सम्मान नहीं, मेरे लिए आपका प्यार ही सब कुछ…खुशदीप

काम से आकर बैठा हूं…लैपटॉप खोला…आदत के मुताबिक सबसे पहले अपनी पोस्ट पर टिप्पणियों पर नज़र डाली…एक टिप्पणी भाई ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ की थी…
खुशदीप जी, आपको सूचित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आपको संवाद सम्मान-नामित श्रेणी के लिए चुना गया है…आपका मेल आई डी उपलब्ध न होने के कारण अभी तक आपको ई प्रमाण पत्र वगैरह नहीं भेजा जा सका है…कृपया मुझे zakirlko@gmail.com पर मेल करने का कष्ट करें, जिससे अग्रेतर कार्यवाही की जा सकें…

पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि मैंने ऐसा कौन सा तीर मार दिया है कि सम्मान के लिए चुना गया हूं…कौतुहलवश जाकिर भाई ने जो लिंक दे रखा था, उस पर क्लिक कर दिया…इसे पढ़ कर पता चला कि सलीम ख़ान भाई को नवोदित ब्लॉगर सम्मान और मुझे नवोदित ब्लॉगर नामित सम्मान के लिए चुना गया है…ज़ाकिर भाई के अनुसार संवाद सम्मान 2009 के अन्तर्गत सिर्फ उन्हीं नामों पर विचार किया गया, जो नामांकन के द्वारा प्राप्त हुए थे। वे नाम रहे- सर्वश्री/सुश्री आदर्श राठौर, नवीन प्रकाश, नीर, रंजू राठौर, प्रवीण त्रिवेदी, मिथिलेश दुबे, मोहम्मद कासिम, महफूज अली, खुशदीप सहगल, चंदन कुमार झा, सलीम खान, रमेश उपाध्याय, गिरिजेश राव, अदा, वाणी शर्मा, सुशीला पुरी…

ज़ाकिर भाई का कहना है कि इन सारे नामों पर गौर करने और ब्लॉगर से जुड़े विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बार जो दो नाम सामने आए, वे थे सलीम खान और मेरा… मेरे बारे में ज़ाकिर भाई का कहना था कि मुझे ब्लॉगिंग में बहुत अधिक समय नहीं हुआ है, फिर भी मैं अपनी लेखनी और ब्लॉग प्रबंधन के कारण सदैव चर्चा में रहता हूं और अपनी लगभग हर पोस्ट को हिट करवा ले जाता हूं…ज़ाकिर भाई आपने मुझे इतना अच्छा कमेंट दिया, इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया..

जहां तक सम्मान पर मेरे खुद के नज़रिए की बात है, वो मैं पोस्ट में आगे स्पष्ट करूंगा…पहली बात तो ज़ाकिर भाई, मैं जानता हूं कि आपने संवाद सम्मान के लिए बहुत अधिक मेहनत की है…इसलिए आपने जो भी प्रक्रिया अपनाई होगी, काफी सोच-समझ कर अपनाई होगी…मुझे नहीं पता कि जब आपके पास इस श्रेणी विशेष के लिए 16 लोगों के नामांकन आए तो आपने उनमें से दो नाम छांटने के लिए कौन सा मानदंड अपनाया या कौन सी जूरी का सहारा लिया…सलीम भाई के बारे में ज़ाकिर भाई ने ज़रूर लिखा है कि उनकी समझ से ‘नवोदित ब्लॉगर’ सम्मान के वे सबसे योग्य उत्तराधिकारी हैं…

ज़ाकिर भाई अब यहां सवाल उठता है कि आपने सलीम भाई के साथ मेरा नाम भी अंतिम दो के लिए अपनी समझ से चुना या मतदान या जूरी जैसी कोई प्रक्रिया अपनाई थी…अगर आपने सिर्फ अपनी समझ से 16  में दो नाम छांटे हैं तो निश्चित रूप से आपने संवाद सम्मान पर सवाल उठाए जाने को मौका दे दिया…टिप्पणियों के ज़रिए आपको ये स्पष्ट भी होने लगा होगा…मुझे सब ने बधाई दी, इसके लिए मैं सभी का शुक्रगुज़ार हूं…अदा जी और मेरे अनुज मिथिलेश दूबे ने मेरे लिए जो विचार व्यक्त किए, उन्हें जानकर मैं अभिभूत हूं…लेकिन उन्होंने सलीम भाई को सम्मान दिए जाने पर सवाल भी उठाया है…एक टिप्पणी अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी भाई की भी है…काफी लंबी चौड़ी टिप्पणी की है…लेकिन एक सवाल अमरेंद्र जी ने सीधा मुझसे किया है….वो ये है…

अब अंतिम बात खुशदीप जी से , क्या आप इस पुरस्कार को सलीम खान के साथ स्वीकारने जा रहे हैं ? यदि स्वाभिमान आपको इसकी इजाजत देता है तो मेरी तरफ से भी बधाई ले लीजिये !

अमरेंद्र भाई, आप शायद भूल गए कि सम्मान को लेकर अलबेला खत्री जी ने जब ब्लॉगर सम्मान समारोह की एक कैटेगरी में मेरा नाम नामितों की सूची में शामिल किया था तो मैंने क्या रुख अपनाया था…व्यस्तता के चलते आपको उस प्रकरण का पता न हो तो मैं यहां फिर से अपनी उस पोस्ट का लिंक दे रहा हूं…मैंने अलबेला जी से आग्रह किया था कि मेरा नाम नामितों की सूची में से हटा दें…मुझे ऐसा महसूस हुआ था कि अलबेला जी बड़ी मेहनत से उस कार्यक्रम को अंजाम दे रहे थे…लेकिन मेरे इस तरह का दृष्टिकोण अपनाने से उनकी भावनाएं ज़रूर आहत हुई थीं…अलबेला जी ने मेरी पोस्ट पढ़ने के बाद ये कहा था कि वो सोच रहे हैं कि ब्लॉगर सम्मान समारोह कराएं भी या नहीं…और अंतत उन्होंने कार्यक्रम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी कर दिया…अलबेला जी के ये स्टैंड लेने के बाद मिथिलेश दूबे ने मेरी पोस्ट पर आकर छोटे भाई जैसे इन शब्दों के साथ नाराजगी भी जताई थी…

एक बार फिर ब्लोगिंग की गुटबाजी साफ दिख रही है , शायद आप लोगो को बुरा लगे… मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस पर विवाद क्यो है , मुझे नाम होने पर कम बल्कि नाम ना होने पर ज्यादा विवाद दिख रहा है… जो ये सब आयोजन कर रहा है वह कुछ समझकर कर रहा है , पैसा जिसका काम उसका… आप लोगो को उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए पर आप लोग उनपर लांछन लगा कर उनका हौसला पस्त करने की भरपूर कोशिश कर रहे है , जो कि सरासर गलत है… आप को सम्मान नहीं चाहिए मत लीजिए आप लोगो को शायद लग रहा है कि ये पुरस्कार आप लोगो के लायक नहीं है… जहाँ तक मै जानता हूँ कि हर सम्मान अपने आप में बहुत बड़ा होता है , और न लेने का मतलब यह होता है कि आप उसका विरोध कर रहें है या वह आपके लायक नहीं है…

मुझे पता है कि मेरे कुछ और अज़ीजों को भी मेरा उस तरह का स्टैंड पसंद नहीं आया था…

तो अमरेंद्र भाई आपको ये सब बताना इसलिए ज़रूरी था कि मेरा सम्मान को लेकर जो नज़रिया तब था वही नज़रिया अब भी है…एक बात और साफ़ कर दूं कि मैंने न तो अपना नामाकंन ज़ाकिर भाई को किसी श्रेणी के लिए भेजा है और न ही मुझे ये पता है कि मेरे नाम का प्रस्ताव करने वाले कौन लोग हैं…अगर ज़ाकिर भाई अपनी किसी पोस्ट में कहीं ये स्पष्ट कर देते कि मेरा नाम भी नामितों की सूची में है तो मैं पहले ही ज़ाकिर भाई से अनुरोध कर अपने नाम को हटवा देता…ठीक वैसे ही जैसे मैंने अलबेला खत्री जी से किया था…

मैंने ब्लॉगिंग में आने के बाद जो कमाया है वही मेरे लिए सबसे बड़ी पूंजी है…ये पूंजी है बड़ों का आशीर्वाद, हमउम्र साथियों का भरोसा और छोटों का प्यार…यही मेरे लिए सम्मान, हौसला, प्रेरणा सब कुछ है…लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं कि मैं ज़ाकिर भाई की अथक मेहनत को कम करके आंक रहा हूं…लेकिन मैं अपने उसूलों की वजह से ये सम्मान स्वीकार नहीं कर सकता…ज़ाकिर भाई ये कह कर मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहता था..पर करना पड़ रहा है….आपको एक बात का भरोसा ज़रूर दिलाता हूं कि मैने जिस तरह अलबेला जी को मना किया था ऐसे ही आगे भी भूल से कभी मेरा नाम इस तरह किसी सम्मान के लिए लाया जाता है तो मैं उसे स्वीकारने में विनम्रता से असमर्थता जता दूंगा…ज़ाकिर भाई पर अगर इस तरह सब उंगली उठाए तो वो भी सही नहीं है…

रही बात सलीम भाई की…निश्चित रूप से उनकी पहले की शैली और अब की शैली में परिवर्तन आया है…और अगर इस तरह के सम्मान से वो और अच्छा लिखने को प्रेरित होते हैं तो ये हमारे ब्लॉगवुड के लिए बड़ी सुखद बात है…लेकिन अगर सलीम हताश होकर फिर पुरानी राह पर लौट जाते हैं तो उससे ज़्यादा दुखद बात और कोई नहीं होगी….इसलिए बड़ी मुश्किल से ब्लॉग जगत में सौहार्द का माहौल बन रहा है…इसलिए सभी को थोड़ी उदारता से काम लेना चाहिए…ये सम्मान सम्मान के चक्कर में आपस में कटुता के बीज नहीं डलने देने चाहिएं…मुझे सच में दिल से बड़ी खुशी होती कि मेरी जगह ज़ाकिर भाई अगर महफूज़ अली या मिथिलेश दूबे या किसी और ऊर्जावान युवा साथी को सम्मान के लिए चुनते…

हां, अमरेंद्र भाई…आपसे एक छोटी सी शिकायत है, इसे अन्यथा मत लीजिएगा….आपने इस पोस्ट पर जो लोग टिप्पणी करने आए, एक तरह से उन सभी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है…अगर इस तरह का ही दृष्टिकोण अपनाया जाता रहा तो ब्लॉगर भाई कहीं टिप्पणी करने से पहले भी अब सौ बार सोचा करेंगे…ये कतई हिंदी ब्लॉगिंग के प्रचार-प्रसार के लिए सही नहीं होगा…उम्मीद करता हूं कि मेरा नज़रिया सभी के सामने साफ़ हो गया होगा…फिर भी कहीं कोई आशंका है तो मैं उसका हर घड़ी जवाब देने के लिए तैयार हूं…यहां एक बात और न जाने क्यों याद आ रही है…पाप से घृणा करो, पापी से नहीं…

ज़ाकिर भाई आपसे एक अनुरोध और…आपने संवाद सम्मान के लिए स्पांसर ढूंढ रखा है…आपने अभी अनिल पुसदकर भाई की एक पोस्ट पढ़ी होगी जिसमें उन्होंने एमए में पढ़ रही एक लड़की पर कैसी घोर विपदा आ गई है, का ज़िक्र किया है…अगर उसकी स्पांसर से कुछ मदद करा दे तो उस बेचारी की तकलीफ कुछ कम हो सकेंगी…वैसे आप जो 1001 रुपये नकद का जो सम्मान दे रहे हैं, मैं जानता हूं इसे जीतने वाले सभी ब्लॉगर भाई खुशी खुशी किसी दुखियारी की मदद के लिए दान कर देंगे…ये मेरी सिर्फ एक सलाह है…इसमें और कोई निहितार्थ नहीं है…चलिए काफी कुछ लिख लिया…अब स्लॉग ओवर से थोड़ा माहौल हल्का कर दिया जाए…

स्लॉग ओवर

जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु की शादी हो गई (मान लीजिए)….

दोनों को सुपुत्र की प्राप्ति हुई…

लेकिन ये क्या जूनियर जॉन महाराज तवे की तरह काले निकले…

जॉन ने बिपाशा से कहा…मैं गोरा, तुम सांवली…फिर ये क्यों इतना काला….

बिपाशा का जवाब था…मैं हॉट, तुम हॉट…जल गया लाला…