समीर जी क्यों मेरे गुरुदेव हैं…खुशदीप

चाटुकारिता, प्रशंसा या दिल से किया गया सम्मान…ये सब हैं तो एक जैसे ही लेकिन इनमें फ़र्क ज़मीन-आसमान का है…फिर महीन लकीर कैसे खिंची जाए…कोई अपने फायदे के लिए चाटुकारिता कर रहा है तो दूसरा कोई ये समझ सकता है कि वाकई ये दिल से बोल रहा है…और अगर कोई वाकई दिल से किसी का सम्मान कर रहा है तो ये समझा जा सकता है कि अपना उल्लू सीधा कर रहा है….चाटुकारिता रूतबे या पैसे में अपने से बड़े की ही की जा सकती है…लेकिन दिल से सम्मान किसी का भी किया जा सकता है…ये उम्र, पैसा, रुतबा नहीं देखता…

अब आता हूं प्रशंसा पर…किसी की प्रशंसा में इतने मीठे बोल भी न बोले जाए कि दूसरे को डायबिटीज़ ही हो जाए...वैसे सच्चा दोस्त वही होता है जो मर्ज़ ठीक करने के लिए सिर्फ मीठी गोलियां ही नहीं देता रहता बल्कि कुनैन की गोली का भी इस्तेमाल कर लेता है…अब तो वैसे ही क्रैकजैक या फिफ्टी-फिफ्टी का ज़माना है…यानि पता ही न चले कि मीठा है या नमकीन…कोरी प्रशंसा आपको ताड़ के पेड़ पर चढ़ा सकती है…इसका नशा इतना मदमस्त कर देने वाला होता है कि आदमी ये मानने लगता है कि उससे बड़ा तुर्रमखान कोई नहीं है…और यहीं से उसका पतन शुरू हो जाता है…इसलिए शॉक एब्जॉर्बर के तौर पर झटके भी ज़रूरी होते हैं…शॉक लगा, शॉक लगा हम गाते हैं तो हमारे ख़ून का दौरा ठीक रहता है…

अब आता हूं दिल से किए जाने वाले सम्मान पर…कभी किसी से मिलकर या उसका लिखा हुआ पढ़कर खुद ही सम्मान में आपका सिर क्यों झुक जाता है…मैंने जब ब्लॉगिंग शुरू की तो एक शख्स को पहली बार पढ़कर ही लगा कि यहीं तो है वो वेवलैंथ जिस पर मैं हमेशा के लिए ट्यून होना चाहता हूं…वो शख्स और कोई नहीं समीर लाल समीर जी यानि मेरे गुरुदेव ही हैं…मैंने उन्हें पहली बार पढ़ने पर ही गुरुदेव मान लिया…कभी सोचता हूं कि मैं इतना गुरुदेव, गुरुदेव करता हूं, कहीं मुझे भी चाटुकार तो नहीं मान लिया जाता…या खुद गुरुदेव ही मेरे इस व्यवहार से इरिटेट (हिंदी का उपयुक्त शब्द नहीं ढूंढ पाया) तो नहीं हो जाते…लेकिन ये तरंगें ही तो हैं जो हज़ारों किलोमीटर की दूरी के बावजूद मुझे छूकर कुछ न कुछ लिखते रहने को प्रेरित करती रहती हैं…अब ये टैलीपैथी है या कुछ और, मैं नहीं जानता…मेरा लिखा कूड़ा करकट है या कुछ और, लेकिन इसने मुझे जीने का नया मकसद दिया है…मुझमें पहले से कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास भरा है…इसके लिए गुरुदेव से बस इतना ही कहूंगा….क्या कहूंगा…शब्द ही कहां हैं मेरे पास कुछ कहने के लिए…बस गुरुदेव, खुद ही समझ जाएंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं…

वैसे मैं गुरुदेव के साथ अपनी ट्यूनिंग कैसी मानता हूं, इसके लिए आपको आनंद फिल्म का ये छोटा सा वीडियो देखना पड़ेगा…मुझे वीडियो लोड करना या एडिट करना नहीं आता, नहीं तो आपको सीधे वही हिस्सा दिखाता जो आपको दिखाना चाहता हूं…
 
आप इस वीडियो का काउंटर 6.54 पर ले जाकर आखिर तक देखिए…

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राजेंद्र माहेश्वरी

Prashansha bhi ek adrashya (invisible) pinjra he hota h.

बिलकुल सही व्यक्तित्व को गुरू चुना है। बधाई और शुभकामनायें।

संजय भास्‍कर

…जय गुरुदेव
…जय गुरुदेव
…जय गुरुदेव
…जय गुरुदेव

शरद कोकास

वो मारा पापड़ वाले को… श्रद्धा या सम्मान अगर मन मे है तो उसे प्रकट करने मे पीछे नही रहना चाहिये । यह कतई चाटुकारिता नही है … कितने दिन की ज़िन्दगानी है यार । यह सब मन मे धरा ही रह जायेगा ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

शीर्षक मे समीर जी का नाम और इतनी कम टिप्पणीया कही कोई गडबड है . 😉

rashmi ravija
14 years ago

निर्मला जी की टिप्पणी शब्दशः मेरी भी मानी जाए 🙂

राज भाटिय़ा

बहुत खुब जी, मान गये आप को. धन्यवाद

Khushdeep Sehgal
14 years ago

@अदा जी,
अब ये अदा एंड खुशदीप ड्रामा कंपनी ऐसे ही हवा में थोड़ी बन गई थी…

जय हिंद…

prasant pundir
14 years ago

anand kee yaad dilwa di aapne,
jeene ka jajba anannd aur muralilal se seekhna chahiye

Unknown
14 years ago

guru sishys parampara ka sunder milan hai yeh sukh sabco nahi milta hai .
aaj ke daur main n to koie guru banane kai liya tayaar hai.
aur na hi koie chela banane ko tayaar hai .
aap nai is parampara ko kayam rakha hai.
hamari hardik subh kamanea aap ke saath hai.

निर्मला कपिला

गुर्रो वही हो सकता है जिसके साथ शिश्य की ट्यूनिन्ग हो तभी तो वो गुरूग्यान पा सकता है। समीर जी का व्यक्तितव है ही ऐसा बिना लाग लपेट और भेद भाव के पूरे ब्लागजग्त के बेताज बादशाह हैं। उनकी लगन और ब्लागजगत के लिये प्रेरणा, प्रयास काबिले तारीफ है। बिलकुल सही व्यक्तित्व को गुरू चुना है। बधाई और शुभकामनायें।

सञ्जय झा
14 years ago

a soul touch namam to both gurdev & sisya for
living & standing guru-sisy tradition.

the post is very very sweet,soft & heart touching.

"suraj na ban paye to .. banke dipak(khushi ke)
jalta chal"

pranam to guru-sisya.

दीपक बाबा

समीर दद्दा – एक उम्दा लिखने वाले ब्लोग्गर ही नहीं अपितु एक बेमिसाल इंसान हैं – वो प्रशंसा के पात्र हैं.

आपको और दद्दा को यानि गुरु और शिष्य दोनों को घणी राम राम.

प्रवीण त्रिवेदी

किस बैंडविथ पर गुरु जी का स्टेशन ट्यून हो सकता है ?

रचना
14 years ago

sameer is a very good human being and he has the art in him to recognize the other human being

what i appreciate in him is he makes relationships thru blogging but never boasts of them on the public domain and neither forgets them

his relationships are his wealth which he keeps under lock and key

his comments are for all because his relationships are not made to get comments and even if he does not comment on my blog i know is there if need be . this assurance in itself says a lot about him

HIS BLOGGING FAMILY is one which is in his heart and not on his sleeve

I just love this person because he never says any thing to anyone even when people make fun of him , his body { which according to me should stop on the public domain as we have no right to make fun of anyone's physical appearance , Thank you khushdeep for providing me the chance to put in my opinion here } .

Some times i feel his hurt has remain unsaid in many episodes of hindi blogging

His desire to return to his roots is deep in his writing and I wish him all success in every walk of his life

विवेक रस्तोगी

गुरु गुरु ही होता है, जय गुरुदेव

Udan Tashtari
14 years ago

हा हा!! मुरारी लाल Vs. समीर लाल….

बालक!! यही स्नेह गुरुदेब को गुरुदेव बनाये रखता है वरना क्या बिसात हमारी…

जिओ!! लिखते चलो..मुलाकात का इन्तजाम किये रहो..नमकीन के साथ. 🙂

Satish Saxena
14 years ago

अदा की एक एक लाइन मेरी मानी जाये हम दोनों ने मिलकर टिप्पणी लिखी है 🙂

उन्मुक्त

xVideoServiceThief किसी भी विडियो को डाउनलोड करने के लिये एवं virtualdub उसे संपादित करने के लिये मुक्त एवं मुफ्त सॉफ्तवेयर हैं। यह दोनो विंडोज़ पर अच्छे चलते हैं। प्रयोग कर के देखिये।

निःसन्देह समीर जी, एक बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी हैं।

दिनेशराय द्विवेदी

सारी दुनिया मुरारी लाल थी आनंद के लिए।

M VERMA
14 years ago

गुरूदेव मुरारीलाल की जै हो …

स्वप्न मञ्जूषा

अच्छा लगा आपके गुरुदेव मुरारी लाल से मिलकर….
इरिटेट का हिंदी 'परेशान' हो सकता है…
वैसे आप 'भी' कम नौटंकी नहीं हैं…
यहाँ 'भी' का प्रयोग, सिर्फ 'भी' के लिए ही किया गया है…
हाँ नहीं तो…!!
हा हा हा हा…..

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