संसद में जो कुछ आज हुआ, पहले कांग्रेस के सवाल और फिर सुषमा स्वराज के जवाब, उन्हें सुनकर
फिल्म दीवार और उसमें लिखे सलीम-जावेद के डॉयलॉग बहुत याद आए….
फिल्म दीवार और उसमें लिखे सलीम-जावेद के डॉयलॉग बहुत याद आए….
संसद की ‘दीवार’
हमें एक ललित लिस्ट मिली है, जिसमें उन
लोगों के नाम हैं जो भगौड़ों की मदद करते है, उनसे मदद लेते हैं, और भी ऐसे कई काम
जो कानून की नजर में गुनाह हैं…और उस लिस्ट में एक नाम तुम्हारा भी है …लो इस पर साइन कर
दो….
लोगों के नाम हैं जो भगौड़ों की मदद करते है, उनसे मदद लेते हैं, और भी ऐसे कई काम
जो कानून की नजर में गुनाह हैं…और उस लिस्ट में एक नाम तुम्हारा भी है …लो इस पर साइन कर
दो….
क्या है ये?
इसमे लिखा है कि तुम अपने
सारे गुनाह कबूल करने को तैयार हो… तुम सब बताओगे कि कब किस भगौड़े की मदद की,
कब किस भगौड़े या उसके करीबियों से मदद ली…परिवार के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए
कब क्या क्या किया…सब सच बताओगे…फिर इस इस्तीफ़े पर साइन कर दो….
सारे गुनाह कबूल करने को तैयार हो… तुम सब बताओगे कि कब किस भगौड़े की मदद की,
कब किस भगौड़े या उसके करीबियों से मदद ली…परिवार के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए
कब क्या क्या किया…सब सच बताओगे…फिर इस इस्तीफ़े पर साइन कर दो….
मैं इस पर साइन करने के लिए तैयार
हूं…लेकिन अकेले नहीं…जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने अपने एक करीबी को अंकल सैम की जेल से छुड़ाने के लिए भोपाल गैस बॉम्बर को देश से भागने दिया…जाओ पहले उस आदमी
का साइन लेकर आओ जिसने दलाली के तोपची को छुपने और देश से भागने में मदद की…इसके
बाद मामा बॉय तुम जिस कागज पर कहोगे मैं साइन करने को तैयार हूं…
दूसरो के पाप गिनाने से तुम्हारे अपने
पाप कम नहीं होगें…ये सच्चाई नहीं बदल सकती कि तुम भगौड़े की मदद के ज़िम्मेदार
हो…और जब तक ये दीवार बीच में हैं हम एक छत के नीचे नहीं रह सकते…संसद में
सत्तापक्ष और विपक्ष एक साथ नहीं रह सकते…हम यहां से जा रहे हैं…चलिए नेताजी
अपनी साइकिल लेकर हमारे साथ बाहर चलिए…
पाप कम नहीं होगें…ये सच्चाई नहीं बदल सकती कि तुम भगौड़े की मदद के ज़िम्मेदार
हो…और जब तक ये दीवार बीच में हैं हम एक छत के नीचे नहीं रह सकते…संसद में
सत्तापक्ष और विपक्ष एक साथ नहीं रह सकते…हम यहां से जा रहे हैं…चलिए नेताजी
अपनी साइकिल लेकर हमारे साथ बाहर चलिए…
तुम्हें जाना हो तो जाओ नेताजी नहीं
जाएंगे…
हमने कहा नेताजी हमारे साथ चलो…
नेताजी दबी आवाज़ में पहली बार बोलते
हैं…नेताजी यहीं रुकेंगे…
हैं…नेताजी यहीं रुकेंगे…
नहीं नेताजी तुम ऐसा नहीं कर सकते…हम
जानते हैं नेताजी साम्प्रदायिकता का कितना विरोध करते हैं…हम जानते हैं नेताजी
विपक्ष की एकता के लिए कितना जोर देते हैं…नेताजी यहां नहीं रुक सकते…
नेताजी….मामा बॉय तुम भूल रहे हो कि
सीबीआई का तोता अब तुम्हारे कब्ज़े में नहीं रहा…सीबीआई का तोता अब इनके पिंजड़े
में है…इसलिए नेताजी यहीं रुकेंगे…तुम्हे जाना है तो जाओ…
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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
बात मात्र लिख भर लेने की नहीं है, बात है हिन्दी की आवाज़ सुनाई पड़ने की ।
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जय हिन्द ।
https://www.mooshak.in/login
हाहा फ़िल्मी अंदाज़ में बहुत अच्छा लिखा है सर, superb satire
बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया…
जय हिंद…
नेता मस्त, जनता पस्त…
जय हिंद…
मस्त है
Thanks Archana ji,
Jai Hind…
wonderful satire…
cheers, Archana – http://www.drishti.co
शुक्रिया इंदु जी…
जय हिंद…
Great,nice satire.