श्री समीर-सलाह, डॉ दराल प्रेस्क्रिप्शन, अनवांटेड एडवाइज़…खुशदीप

कल की पोस्ट पर लखनऊ में सरदार बच्चे के सामने मिमियाते दो सांडों का ज़िक्र किया था..सभी ने इस पोस्ट को अपने अंदाज़ से लिया…लेकिन मेरे उस अनुरोध पर लखनऊ के किसी ब्लॉगर भाई ने गौर नहीं किया जो मैंने उनसे किया था…कृपया नया गणेशगंज जाकर सरदार बच्चे और सांडो का वीडियो तैयार करें…वीडियो न बन सकें तो कम से कम फोटो खींचकर ही ब्लॉगजगत को उस नज़ारे से ज़रूर रू-ब-रू कराएं…

कल की पोस्ट पर सबसे ज़्यादा चुटीले कमेंट्स गुरुदेव समीर लाल समीर जी और डॉ टी एस दराल की तरफ़ से आए…

समीर लाल जी ने सलाह दी कि जिस सरदार बच्चे को देखकर सांड उलटे पैर हवा-हवाई हो जाते हैं, उसका ब्लॉग शुरू कराना चाहिए, काम आएगा…

ठीक कह रहे हैं गुरुदेव, ब्लॉग जगत में जो भी फाउल लेखन करे या छुट्टे सांड जैसा व्यवहार करे, उसके सामने बस सरदार बच्चे को ले जाकर दिखवा दो….फाउल करने वाला खुद ही अपना ब्लॉग डिलीट न कर दे, तो कहना…फिर ब्लॉग गलियों में वो भी डरा-डरा ही घूमेगा, न जाने कब सरदार बच्चा आकर सामने न खड़ा हो जाए…

डॉ दराल का लाफ्टर का नुस्खा था-


कभी कभी पिछले जन्म की बातें याद रह जाती हैं,
पिछले जन्म में सांड पति और सरदार पत्नी रहा होगा…

अब बात समझ में आई, शादी के इस रिश्ते को जन्म-जन्म का बंधन क्यों कहते हैं…

वो गाना है न…जाइए आप कहां जाएंगे, ये नज़र लौट के आएगी…

स्लॉग समझदारी

एक स्मोकर एयरपोर्ट पर सिगरेट पी रहा था, साथ ही हवा में धुंए के छल्ले बना-बना कर छोड़ रहा
था…
तभी एक सज्जन उस स्मोकर के पास आए और सवाल किया…बंधु आप दिन में कितने सिगरेट पी जाते हैं…
स्मोकर…आप ये सवाल क्यों पूछ रहे हो…
सज्जन…आपने जो पैसा सिगरेट में उड़ाया है, अगर उसे बचाया होता तो पीछे जो हवाई जहाज़ खड़ा है, वो आज आपका होता…
स्मोकर सज्जन पुरुष से…क्या आप स्मोक करते हैं…
सज्जन पुरुष…नहीं, बिल्कुल नहीं…
स्मोकर…क्या ये हवाई जहाज़ आपका है….
सज्जन…नहीं तो…
स्मोकर…ये हवाई जहाज़ मेरा है…

जानते हैं उस स्मोकर का नाम क्या था…वो जनाब थे विजय माल्या…

वैधानिक चेतावनी…धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है
नैतिक चेतावनी…किसी को बिन मांगे सलाह देना भी कम ख़तरनाक नहीं…

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