पति ने पत्नी से कहा-
देखो एक महान लेखक ने क्या शानदार लिखा है- पति को भी घर के मामले में बोलने का हक़ होना चाहिए…
पत्नी-
वो भी बेचारा देखो लिख ही पाया, बोल नहीं सका…
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एक बार रजनीकांत ने चेक काटा…
अगले दिन बैंक बाउंस हो गया….
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अल्कोहलिक फिल्में…
बंटी और बाटली
रम दे बसंती
सोडा अकबर
जब वी टुन्न
सब ने पिला दी थोड़ी
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एक बार मक्खन और ढक्कन टुन्न होने के बाद किसी को टक्कर मार कर भाग गए…जिसे टक्कर लगी उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी…पुलिस ने टक्कर लगने वाले से दोनों का हुलिया पूछा…जिस तरह का हुलिया बताया गया, पुलिस ने उसी के आधार पर आठ-दस लोगों को पकड़ कर शिनाख्त परेड के लिए बुला लिया…इनमें मक्खन और ढक्कन भी शामिल थे…शिनाख्त मजिस्ट्रेट के सामने हो रही थी…टक्कर जिसे लगी थी उसके सामने जब सब खड़े हो गए तो मजिस्ट्रेट ने कहा…पहचानो कौन था…ये सुनते ही मक्खन-ढक्कन जिसे टक्कर लगी थी उसकी तरफ़ इशारा करते हुए बोले- यही था…
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हा…हा…हा…
मजेदार
🙂
जरा सतीश सक्सेना जी की बात पर ध्यान दिया जाये.:)
रामराम.
very funny
हा हा ये तो छक्के से भी आगे निकल गये …
too good, hahaaahaaa!!!
बहुत बढ़िया !!
खुशदीप जी आपके पत्नी भय पर एक बात मुझे भी याद आयी , कपिल अपने मित्र सुनील के घर गया .बातों बातों में बात तानाशाहों पर शुरू हो गयी । कपिल ने कहा यार दुनिया के तीन सबसे ज़ालिम तानाशाहों के नाम बताओ । सुनील बोला — हिटलर , चंगेज़ खां औऱ फिर अपनी पत्नी की तरफ देख कर बोला तीसरे का नाम फिर कभी अकेले में बताऊंगा
🙂
आपने शुरुआत की , बढ़िया है । जानते हैं यदि घर की कामवाली बाई अचानक छुट्टी मार जाए तो गाज़ किस पर गिरती है ?
आज एक दोस्त ने भेजा..दारु की वजह से बरबाद शराबी ने कसम ली और घर से दारु की खाली बोतलें फेंकने लगा. पहला फेंक के बोला-तेरी वजह से मेरी नौकरी गई. दूसरी फेंक कर बोला-तेरी वजह से मेरा घर बिका. तीसरी फेंक के बोला-तेरी वजह से बीवी चली गई। चौथी उठाई तो वो भरी हुई निकली.बोला-तू साइड में हो जा, इसमें तेरा कोई कसूर नहीं ….हा हा हा…
आखिर बेचारे फंस गए न … मख्खन ढक्कन …. हा हा
हा हा हा।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
🙂 🙂
हा हा हा
राम राम जी
हा हा हा । आज बहुत दिनो बाद एक हल्की फुल्की मजेदार पोस्ट आयी है। मगर देर से देख पाई। बस ऐसे ही खुशियाँ मुस्कुराहटें बाँटते रहो। आशीर्वाद।
अगले छक्के का इन्तजार है | चौके में तो मजा आग्या |
हा-हा-हा
जबरदस्त चौका
मक्खन-ढक्कन ने आखिर शिनाख्त कर ही दी 🙂
प्रणाम
खुशदीप भाई आप भी लिख ही पा रहे हो, बोल नहीं सकते।
यह तो अपना हाल लिख दिया भैया !लिख ही पाते हैं वह भी दिखाते नहीं….
🙁
तुम बचाने आओगे क्या ?
वाह खुशदीप भाई
मक्खन और ढक्कन सा ईमानदार आदमी कहीं देखने नहीं मिला।
जो शिनाख्त खुद ही कर दे। हा हा हा
राम राम
वाह, सुबह सुबह तबीयत हरी हो गयी।
🙂 🙂 🙂
क्या बात है भास्कर खुश हुआ
बहुत बढ़िया..
हा हा बहुत बढ़िया, मक्खन और ढक्कन के किस्से अच्छे लगे।
हा हा!!
मख्खन ढक्कन कित्ते सीधे हैं. 🙂
वाह सब के सब एक से बड़ कर एक !
जय हिंद !!
मस्त जी सभी धन्यवाद