रूल्स जो भारतीय फॉलो करते हैं…खुशदीप

मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं…मेरी मर्ज़ी…क्या हम भारतीयों के अंदर कोई आइडेंटिकल और टिपीकल जींस पाए जाते हैं…पृथ्वी सूरज का चक्कर काटना छोड़ सकती है लेकिन मज़ाल है कि राइट टू मिसरूल के हमारे जींस अपने कर्मपथ से कभी विचलित हों…अब दिल थाम कर इसे पढ़िए और दिल से ही बताइए कि क्या आप इन रूल्स (मिसरुल्स) का पालन नहीं करते…

रूल नंबर 1
अगर मेरी साइड पर ट्रैफिक जैम है तो मैं बिना एक मिनट गंवाए साथ वाली रॉन्ग साइड पकड़ लूंगा…मानो सामने से आने वाली सभी गाड़ियों को बाइपास की तरफ़ डाइवर्ट कर दिया जाएगा…

रूल नंबर 2
अगर कहीं कोई कतार लगी है तो तब तक कोई भी मेरे चुपके से आगे कतार में लगने को नोटिस नहीं करेगा, जब तक कि मैं अनजान बन कर कहीं और न देख रहा हूं…


रूल नंबर  3
अगर ट्रैफिक सिगनल पर रेड लाइट नहीं काम कर रही है तो चार गाड़ियां पूरी स्पीड के साथ चार अलग-अलग दिशाओं से आने के बावजूद आराम से एक दूसरे को पास कर सकती हैं…


रूल नंबर 4
अगर मैंने किसी मोड़ पर मुड़ने का इंडीकेटर से इशारा दे दिया तो ये कॉन्फिडेंशियल इन्फॉर्मेशन लीक माना जाएगा…

रूल नंबर 5
जितना ज़्यादा मैं कार के शीशे से मुंह बाहर निकाल कर और जितनी ज़ोर से थूकूंगा, हमारी सड़कें उतनी ही मजबूत बनेंगी…


रूल नंबर 6
सिनेमा हॉल में अगर मेरे मोबाइल पर कॉल आती है तो स्क्रीन पर चल रही फिल्म खुद-ब-खुद पॉज़ मोड में चली जाती है…


रूल नंबर 7
ये बहुत ज़रूरी है कि मेरी कार के पीछे आने वाली गाड़ी के ड्राइवर को मेरे बच्चों के निक-नेम अच्छी तरह याद हो जाएं…

रूल नंबर  8
अगर मैं कार इस तरह से पार्क करता हूं कि वहां पहले से खड़ी कार का रास्ता ब्लॉक हो जाए तो इसमें नाराज़गी वाली कोई बात नहीं…दरअसल मैं उस कार के मालिक को इस आपाधापी वाली ज़िंदगी में कुछ आराम के लम्हे देना चाहता हूं…जिसमें वो और कुछ न करे सिवाय मुझे कोसने के…


रूल नंबर 9
अगर मैं सड़क पर किसी बारात में…मेरे यार की शादी…गाने पर ठुमके लगा रहा हूं तो उस दिन और सब गाड़ी वालों को ये मान लेना चाहिए कि ये मेरे बाप-दादा की सड़क है और उन्हें इस पर धीरे-धीरे सरकने का मौका देकर उन पर एहसान किया जा रहा है…

रूल नंबर 10
वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट…शहर में सिर्फ तीन ही लोग इंपॉर्टेंट हैं…ME, I, MYSELF…

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Udan Tashtari
14 years ago

बिल्कुल सही!!

शरद कोकास

रूल्स तो और भी है वाह ।

naresh singh
14 years ago

कमोबेश ये नजारा सभी शहरो का है |

Udan Tashtari
14 years ago

Bilkul Sahi….

डॉ टी एस दराल

फोटू ने ही सारे रूल सिखा दिए ।
वैसे यहाँ कितने लोग ऐसे हैं जिन्होंने टैस्ट पास कर लाइसेंस लिया था ।

daanish
14 years ago

अच्छा लेखन
विचारणीय …
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया .

Archana Chaoji
14 years ago

@खुशदीप जी
आपने शुरू में ही तो कहा—"मेरी मर्जी" हा हा हा …
लिस्ट तो उस्ताद जी के पास भी है…फ़िर भी —
१)गाड़ी अगर टू-सीटर हो तो तीन या चार और फ़ोर-सीटर हो तो ६ या ७ को आराम से कहीं भी ले जा सकते हैं।
२)सीट बेल्ट को सिर्फ़ सामने से घुमा कर बाजू मे रख ले,बन्द न करें।
३)किसी के घर गये हो, तों गाड़ी मेन गेट के सामने पार्क करें।
४)सिगरेट का शौक रखते हों,तो बिना बुझाए सड़्क पर बिना पीछे देखे फ़ेंके।
५)गाड़ी चलाते समय अगर मोबाईल का उपयोग करना हो तो बस थॊड़ा कंधे का सहारा दें और गर्दन तिरछी रखते हुए गंतव्य की ओर गति करते रहे।
६)बेंक में जाएं तो कभी अपना पेन लेकर न जाएं हमेशा आगे-पीछे से ले और साथ लेकर आ जाएं।
७)हॉस्पीटल जाएं तो चुन्नू-मुन्नू को ले जाना न भूले।
८)कचरा फ़ेंकना हो, तो सिर्फ़ और सिर्फ़ दूसरे के घर के सामने ।

और–और—

shikha varshney
14 years ago

रूल नंबर ७ सबसे मस्त है 🙂

Pawan Kumar
14 years ago

ऐसा लगता है…कि वे सारे रुल जो हम भारतीय फालो करते हैं आपने कोडिफाई कर दिए हैं……. भई हम कब सुधरेंगे.

Neeraj
14 years ago

पुणे पहली बार आया था, भाई साहब के साथ बाइक पे बैठा था| चौराहे पे कोई रेड ग्रीन, कुछ सिग्नल नहीं| चारों तरफ से स्पीड से गाड़ियां आ रही| आमने सामने गाड़ियाँ अपनी समझ से इधर उधर भाग रही थी, रुक रही थी| भाई साहब बोले – 'देख, यहाँ पे जो डर गया समझो रुक गया|'

अन्तर सोहिल

चलो हमने भी जान लिये जी तरक्की के गुर
अब फॉलो करने पडेंगें, सभी

प्रणाम

अनुपमा पाठक

व्यंग्य के माध्यम से हमें हमारे सत्य से परिचित कराती पोस्ट!:)

उस्ताद जी

7/10

हमसे सीधा सरोकार रखती जरूरी पोस्ट.
लिस्ट इतनी लम्बी हो सकती है कि रजिस्टर भी कम पड़ेगा.
अजीब बात है कि यह रुल्ज़ फालो करता है -पढ़ा लिखा समाज.

शिवम् मिश्रा

सत्य वचन महाराज !

जय हिंद !!

निर्मला कपिला

वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट…शहर में सिर्फ तीन ही लोग इंपॉर्टेंट हैं…ME, I, MYSELF..
मुझे लगता है हमारे जींस मे इस रूल का काफी प्रभाव है।
सतीश जी ने सही कहा है– एक जींस तो सभी भारतियों मे है —
ट्रेफिक रूल हम तोड़ें तो समझदारी और और लोग तोड़ें तो बेवकूफी मानी जाती हैं ! ये ट्रेफिक के लिये ही नही बल्कि जीवन की हर विधा के लिये समझा जाये। लगता है गाडी चलाते हुये भी पोस्ट बनाने के चक्कर मे रहते हो। सावधान। आपके बीवी बच्चे आपका इन्तजार कर रहे हैं। व्यंग मे खरी बात कह दी। आशीर्वाद।

Tausif Hindustani
14 years ago

वास्तविकता के निकट है ये लेख
dabirnews.blogspot.com

vandana gupta
14 years ago

ME, I, MYSELF…
अब इससे ज्यादा आप और क्या चाहते हैं।

हरकीरत ' हीर'

@ जितना ज़्यादा मैं कार के शीशे से मुंह बाहर निकाल कर और जितनी ज़ोर से थूकूंगा, हमारी सड़कें उतनी ही मजबूत बनेंगी…

हा…हा….हा….सड़क तो मज़बूत होगी ही …..दाग पड़ जायें तोशुक्र मनाइए आधुनिक जींस पैंटों के पैसे बच गए …..

सारे के सारे रूल्स तोड़ने लायक हैं …..यहाँ भी ट्राफिक जाम हो तो फूटपाथ तो है ही बाईक वालों के लिए …
और गंदगी …..?
तौबा ……
बड़े बड़े डस्टबिन रखे हैं सड़क के किनारे …म्युनिसिपल्टी वाले घर से कचरा भी ले जाते हैं ….पर सड़क पर रखे डस्टबिनों से कचरा बीनने वाली स्त्रियों को कोई रोकने वाला नहीं ….सारा का सारा कचरा फिर सड़क पर ….और हम नाक पर कपडा दिए धीरे से कहते हैं …''.अपना भारत महान …..''

anshumala
14 years ago

खुशदीप जी

होता ये है की हम जैसे ही सड़क पर आते है और स्टेयरिंग या बाइक का हैंडिल पकड़ते है अचानक ही हमें याद आता है की हमें तो देर हो रही है हमें जल्दी चलना है और फिर रेस शुरू होती है की किसे सबसे ज्यादा जल्दी है | रुल १-२-३से तो मेरा रोज सामना होता है ४- कभी कभी लगता है की टैक्सियों में इंडिकेटर होता ही नहीं है ५- सड़क क्या घर सरकारी आफिस के सीडियो के कोने भी ऐसे ही मजबूत किये जाते है लाल रंग कर ८- कल मै पुरे ४५ मिनट अपनी बच्ची के स्कूल में फंसी रही इस कारण ९- ये तो मै और मेरा खानदान कई बार कर चुके है वो भी पुरे हक़ और शान से १०- पूरी तरह सहमत |

मुकेश कुमार सिन्हा

वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट…शहर में सिर्फ तीन ही लोग इंपॉर्टेंट हैं…ME, I, MYSELF…
isme saare rules cover ho gaye sir………:P

दिनेशराय द्विवेदी

बहुत सी खूबियाँ फिर भी छूट गई हैं।

अजित गुप्ता का कोना

मैंने एक दिन अपने एक भाई से पूछा कि अमेरिका में भारतीय इतने सफल क्‍यों हैं? उसने बताया कि अमेरिकी सीधे-सीधे चलते हैं इसलिए सोफ्‍टवियर बना लेते हैं लेकिन भारतीय हमेशा नया तरीका खोजता है और उल्‍टा ही चलता है इसलिए एण्‍टीवायरस बनाता है। तो जनाब यह है भारतीय। हमारे जीन्‍स में ही अफलातूनी है।

Sushil Bakliwal
14 years ago

हमारी नजरों में ये सारे रुल्स हमें छोडकर सामने वाले के लिये आवश्यक हैं । शायद इसी लिये सामूहिक रुप से कुंड में एक लोटा दूध डालने की आवश्यकता पर ये सोचकर की सब तो दूध डाल ही रहे हैं मेरे पानी डाल देने से क्या फर्क पड जाएगा, सभी दूध की जगह पानी डाले चले जा रहे हैं और पनियल स्थिति बन जाने पर दूसरों को कोसें भी जा रहे हैं ।

प्रवीण पाण्डेय

दमदार व्यंग, पर हम सब अन्दर से ऐसे ही हैं।

संजय भास्‍कर

beshak sir ji…

Satish Saxena
14 years ago

खुशदीप भाई !
ड्राइविंग के देसी रूल बड़ी ईमानदारी, से बिना पक्षपात किये, दिए हैं आपने !

मगर मैं रूल १,२,५,६, से बहुत परेशान होता हूँ ! रूल ८ और ९ का उपयोग करने वालों का सर तोड़ देने का मन करता है !

इनको गाली देते हुए रूल ३,४, को उपयोग में लाने की " समझदारी " कई बार मैं भी करता हूँ ! 🙁

ट्रेफिक रूल हम तोड़ें तो समझदारी और और लोग तोड़ें तो बेवकूफी मानी जाती हैं !

हम देसी भी क्या चीज़ हैं ??

Khushdeep Sehgal
14 years ago

@अर्चना जी,
जारी कीजिए न आप भी ऐसे ही रूल्स की कोई और लिस्ट…

जय हिंद…

Shah Nawaz
14 years ago

आज तो आपने कामयाबी के वोह सारे राज़ खोल दिए जिनके बारे में हमें जानकारी ही नहीं थी… पता चला क्यों हम इतनी तेज़ी से तरक्की कर रहे हैं… अब आगे बढ़ना है तो थोड़ी तो कुर्बानी देनी ही पड़ती है न… हम भारतीय दे रहे…

Satish Saxena
14 years ago

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

Archana Chaoji
14 years ago

ये तो कुछ भी नही है, एक लम्बी लिस्ट है ऐसे रूल्स की जो जानबूझ कर हम भारतीयों से फ़ॉलो हो जाती है …(ये खुद के बनाये होते है न शायद इसलिये..)

Girish Kumar Billore
14 years ago

बेशक खुश दीप भैया

राम त्यागी

शत प्रतिशत सहमत 🙂

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

इसमें भी कोई दोराय हो सकती है क्या..

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