रावण को दस सिरों ने बड़ा दुख दीना…खुशदीप




रावण अगर नेता होता तो एक वक्त पर दस रैलियों को संबोधित कर सकता
था…

रावण को कोई चाय के एक कप पर इन्वाइट करना मुश्किल था, क्योंकि उसके
लिए दस कप का इंतज़ाम करना पड़ता…

रावण सामान्य दरवाजों से नहीं निकल सकता था…

रावण किसी आटो या कार में सारे सिर अंदर कर के नहीं बैठ सकता था…

रावण कभी दाईं या बाईं करवट नहीं सो सकता था…

रावण का डेन्टिस्ट हमेशा कन्फ्यूज़ ही रहता था कि 320 दातों में से
कौन सा दांत चेक करूं….

रावण कभी केबीसी का होस्ट नहीं बन सकता था क्योंकि वो एक वक्त में दस
सवाल करता…

रावण कभी टी-शर्ट नहीं पहन सकता था…पहनता भी तो पहले टांगे अंदर
करनी पड़ती…

रावण के लिए रेन-कोट बनाना डिजाइनर्स के लिए चैलेंज था…

रावण अगर फौज में ऑफिसर होता तो सिपाहियों को हर बार दस बार सैल्यूट
मारना पड़ता…

रावण एक वक्त में दस तरह के हेयर-स्टाइल्स रख सकता था…लेकिन नाई को
दसों चेहरों पर मूंछों का स्टाइल एक जैसा रखने में नानी याद आ जाती थी…

रावण एग्जाम में अच्छी तरह नकल मार सकता था…दो आंखें अपने पेपर पर
और 18 आंखें इधर-उधर…

रावण जब भी युद्ध पर जाता था तो उसकी पत्नी को दस बार फ्लाइंग किस
करना पड़ता था…

रावण को फेसबुक पर स्पेशल अकाउंट के लिए अर्ज़ी देनी पड़ी क्योंकि
उसके दस चेहरों को दिखाने के लिए अतिरिक्त स्पेस की आवश्यकता थी…

रावण को ग्रुप डिस्कशन में कोई नहीं हरा सकता था…


टी-20 या वन-डे क्रिकेट मैच में रावण बोलिंग नहीं कर सकता था…एक ही
बार में दस खिलाड़ियों के ओवर माने जाते…



आभार…https://www.facebook.com/RavanaProblems
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DECORATIVE GLASS FILMS
11 years ago

संजय जी आप की बात सत्य है लेकिन जो सेक्युलर धर्म के पुजारी है उनकी कलम सिर्फ हिन्दू धरम के उपर ही कियु चलती है सेक्युलर कलम का जादू मुस्लिम मुहम्मद ,और ईसाई ईशा मशीह ,के नाम से लिख दिया करो …तभी पता चले.गा की आप एक सच्चे सेक्युलर है …..

SANJAY TRIPATHI
11 years ago

कौशल मिश्रजी जैसे सिर्फ सिखों में यह क्षमता है कि वे अपने ऊपर बनाए गए चुटकुलों पर हंस सकते हैं वैसे ही यह हिंदू ही हैं जो स्वयं के धर्म के साथ हास्य का संगम कर सकते हैं !

अजित गुप्ता का कोना

रावण के तो एक ही सिर था बस दस सिर की कल्‍पना तो बुद्धिजीवियों की हैं।

डॉ टी एस दराल

रावण जी खाना कौन से मूँह से खाते थे ! 🙂

Unknown
11 years ago

खुस दीप जी कभी अपनी सेक्युलर कलम का जादू मुस्लिम मुहम्मद ,और ईसाई ईशा मशीह ,के नाम से लिख दिया करो …तभी पता चले.गा की आप एक सच्चे सेक्युलर है …..

जय बाबा बनारस…

समय चक्र
11 years ago

jordar … anand aa gaya …

प्रवीण पाण्डेय

रावण बनने के कितने कष्ट हैं।

Shah Nawaz
11 years ago

🙂 Yah bhi mast rahi….

अनूप शुक्ल

मजेदार!

Satish Saxena
11 years ago

बड़े आदमी …बड़ी समस्याएं

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