ये मंत्र अपनाइए, हमेशा खुश रहेंगे…खुशदीप

हर हाल में खुशदीप
हूं, इसलिए आज आप से खुश रहने का मंत्र साझा करना चाहता हूं…ये सच है कि ज़िंदगी
हर कदम इक नई जंग है…अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम इस जंग के लिए किस तरह
अपने को हमेशा तैयार रखते हैं…

अपने तज़ुर्बे से आज
आप को एक बात बताता हूं…इससे पहले आप से एक सवाल करना चाहता हूं कि हमें सबसे
ज़्यादा दुख कब होता है
?  दुख सबसे
ज़्यादा तब होता है, जब आप किसी से बहुत ज़्यादा उम्मीद रखते हैं और वो शख्स आपके
भरोसे पर खरा नहीं उतरता…दुख उस वक्त और ज़्यादा होता है जब आपका कोई अपना इस
तरह का रुख दिखाता है…ज़ाहिर है कि जिन्हें आप अपना समझते हैं उन्हीं से उम्मीद
रखते हैं…

अब आप इससे विपरीत
चल कर देखिए…दुनिया में कोई भी शख्स क्यों ना हो, उससे उम्मीद मत रखिए…जब आप
उम्मीद ही नहीं रखेंगे तो उसका टूटने का डर भी नहीं रहेगा…भरोसा रखना है तो बस
अपने कर्म पर रखिए…देर हो सकती है लेकिन इस तरह की सोच आपको एक-ना-एक दिन फल
ज़रूर देगी…

दूसरों से आप उम्मीद
ना रखें…लेकिन अगर आप ऐसी स्थिति में है कि किसी के कोई काम आ सकते हैं तो ज़रूर
ऐसा कीजिए…ऐसा करके देखिए आपको कितना फीलगुड होगा…और अगर आपको लगता है कि आप
किसी का काम करने में समर्थ नहीं है तो उसे तत्काल मना कर दीजिए…हो सकता है
सामने वाले को कुछ बुरा लगे लेकिन यही उसके लिए सबसे बेहतर है…कम से कम उसका समय
तो व्यर्थ नहीं होगा…



आप भी इस सोच को
अपना कर देखिए, यक़ीन मानिए, जीवन का अर्थ ही बदल जाएगा…इसी संदर्भ में आपको आज
का एक उदाहरण बताता हूं…
मेरी बिटिया पूजन
नौवीं क्लास में पढ़ती है, उसकी आजकल वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं…हर बच्चे की
तरह उस पर भी हर सब्जेक्ट में
A-1 ग्रेड लाने का प्रैशर
है…ये बात दूसरी है कि ना तो मैंने और ना ही पत्नीश्री ने उस पर कभी इसके लिए
दबाव डाला है…लेकिन पूजन खुद ही अपनी ज़िम्मेदारी समझती है…पूजन अपनी
तैयारी में लगी हुई है लेकिन कल उसके स्कूल से क्लास टीचर का फोन आया…क्लास टीचर
ने बताया कि दसवीं की परीक्षा देने वाली किसी लड़की के हाथ में फ्रैक्चर हो गया
है, और उसकी परीक्षा देने के लिए राइटर की ज़रूरत है…प्रिंसिपल ने इसके लिए पूजन
का नाम सजेस्ट किया है…

पूजन को जब ये बताया
तो वो खुद ही अपने अगले पेपर देने की तैयारी में लगी थी…हमने पूजन से कुछ कहने
की बजाय उस पर ही छोड़ दिया कि वो क्या फैसला लेती है…उसे ये बता दिया कि अगर
उसे लगता है कि उसकी तैयारी में फर्क पड़ेगा तो वो मना कर सकती है…लेकिन पूजन ने
बिना देर लगाए फैसला ले लिया कि वो राइटर बनेगी…राइटर उस बच्ची के लिए जिसे वो
जानती भी नहीं….आज वो राइटर के तौर पर ही किसी और के लिए चार घंटे परीक्षा देने
गई हुई है…

अब बताइए कि पूजन
ने ऐसा करके मुझे और पत्नीश्री को जो खुशी दी है वो किसी और बात से क्या मिल सकती
थी…मेरे लिए बिटिया के अच्छे मार्क्स आने से ज़्यादा ये खुशी मायने रखती
है…क्योंकि
GIVING IS
LIVING


बड़े दिन हो गए आपको स्लॉग ओवर में मक्खन से मिलवाए, चलिए आज ये काम भी कर देता हूं…

स्लॉग ओवर
ढक्कन… मक्खन भाई, बड़े दिन से दिखे नहीं थे, कहां चले गए थे…


मक्खन…अरे कहीं नहीं यार…वो दुकान खोली थी ना…छह महीने जेल में रहना पड़ा…

ढक्कन… दुकान खोली थी !!! जेल में रहना पड़ा….बात कुछ समझ नहीं आ रही…

मक्खन…अरे कुछ नहीं…किसी की दुकान हथौड़े से खोली थी ना…


Keywords:giving, living,sharing,happiness
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कौशल लाल
11 years ago

बहुत सुंदर ..

HARSHVARDHAN
11 years ago

आपकी इस प्रस्तुति को आज कि फटफटिया बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर …. आभार।।

SANJAY TRIPATHI
11 years ago

Honahar birwan ke hot chikne pat.aapakI bitiya ko dher sari shubhakamanaen!

Yashwant R. B. Mathur
11 years ago

कल 09/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

प्रतिभा सक्सेना

आपको खुशी हुई बहुत स्वाभाविक है ,हमारा मन भी बेटी के इस व्यवहार पर मुग्ध हो गया –
परिवार के संस्कार और आचार विचार लिये बिटिया सबके शुभाशीष पाए !

Yashwant R. B. Mathur
11 years ago

बहुत अच्छा लगा जानकर!
पूजन हमेशा खुश रहें और दूसरों के लिये भी प्रेरणा बनें यही कामना है।

सादर

ताऊ रामपुरिया

लगता है आपका मक्खन कभी नही सुधरेगा.:)

रामराम.

ताऊ रामपुरिया

पूजन को हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

सुशील कुमार जोशी

सच में बिटिया बहुत सयानी है 🙂

प्रवीण पाण्डेय

बहुत खुशी हुयी यह देख कर। पूजन को मेरी ढेरों शुभकामनायें दीजिये, इस अच्छे कार्य के लिये।

Shah Nawaz
11 years ago

दर असल खुशदीप भाई, हमारी सारी ज़िन्दगी खुश रहने की जद्दो-जहद ही है, और वाकई दूसरों को देकर जो ख़ुशी मिलती है वोह अक्सर पा कर भी नहीं मिल पाती… एक सामाजिक प्राणी जो ठहरे।

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