ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था,
आज जहां है धोनी, वहां कल कोई और था…
पहले जब कभी जीतता था भारत,
देश रहता होली-दीवाली से सराबोर था…
आज क्रिकेट में जीतता है सिर्फ पैसा,
हर तरफ़ आईपीएल की रंगीनियों का शोर सा…
ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था…
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ऐसा नहीं है कि आज के क्रिकेटरों में खेल भावना और देश प्रेम नहीं रह गया है आपने शायद क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से जीतने के बाद युवराज का रियेक्शन नहीं देखा………..
हां ये भी सही है कि पहले के खिलाड़ियों की तुलना में आज के खिलाड़ियों में पैसा और पोजिशन ज्यादा हावी हो गया है लेकिन येसा भी नहीं है कि उनमें खेल के प्रति समर्पण की भावना नहीं बची है……….