ये पढ़िए, सोच बदल जाएगी…खुशदीप

एक अस्पताल के रूम में दो बुज़ुर्ग भर्ती थे…दोनों ही गंभीर रूप से बीमार थे…एक बुज़ुर्ग को रोज अपने बेड पर एक घंटा बैठने की इजाज़त दी जाती थी ताकि उसके फेफड़ों में भर जाने वाले पानी को शरीर से बाहर निकाला जा सके…उस बुज़ुर्ग का बेड कमरे की इकलौती खिड़की के पास मौजूद था…लेकिन दूसरा बुजु़र्ग उठकर बैठने वाली हालत में भी नही था…इसलिए अपने बेड पर हमेशा पीठ के बल लेटा रहता था…बड़ी मुश्किल से कोहनियों के सहारे ही लेटे-लेटे कभी-कभार सिर ही ऊंचा कर सकता था…

दोनों बुज़ुर्ग घंटों आपस में बातें करते रहते थे…वो अपनी पत्नियों की बात करते, परिवार की बात करते, नौकरी, छुट्टियां कैसे बिताते, यानि हर विषय पर बात करते…इसके अलावा पहला बुज़ुर्ग जब एक घंटे के लिए कमरे की खिड़की के पास बैठता तो अपनी ओर से बाहर का सारा नज़ारा दूसरे लेटे हुए बुज़ुर्ग को सुनाता था…

पहला बुजु़र्ग इतने दिलचस्प और विविध ढंग से रोज़ बाहर की रंगों भरी ज़िंदगी के किस्से सुनाता कि लेटे हुए बुज़ुर्ग को अपनी बीमारी और दर्द सब भूल जाता, वो अपने को आम लोगों की तरह ही स्वस्थ और ज़िंदगी से ही भरा हुआ महसूस करने लगता…ख़िड़की के बाहर पार्क, एक मनोरम झील, झील में अठखेलियां करती बत्तखें, पार्क में बच्चों की शरारतें, एक-दूसरे के हाथों-हाथों में डालकर दुनिया की सुध-बुध खोए युवा जोड़े…पहला बुज़ुर्ग सारे दृश्य उकेरता रहता और दूसरा बुज़ुर्ग आंखें बंद कर उन्हीं रंगों में खो जाता…

एक दिन पहले बुज़ुर्ग ने बाहर से गुज़र रही रंग-बिरंगी परेड का आंखों देखा हाल भी दूसरे बुज़ुर्ग को सुनाया…साउंडप्रूफ़ कमरा होने की वजह से लेटा हुआ बुज़ुर्ग परेड के बैंड की धुनों को तो नहीं सुन सकता था लेकिन दिमाग में उसका असर पहले बुज़ुर्ग के शब्दों के मुताबिक महसूस ज़रूर कर सकता था…

इसी तरह दिन, हफ्ते, महीने गुज़रते गए….

एक सुबह नर्स कमरे में रोज़ाना की तरह दोनों बुज़ुर्गों को स्पंज बाथ दिलवाने के लिए गर्म पानी लेकर आई तो खिड़की के पास वाले बेड के बुज़ुर्ग को बिना हरकत किए सोए देखा…नर्स ने नब्ज चेक की…बुज़ुर्ग के चेहरे पर असीम शांति थी और वो रात को नींद में ही दुनिया को छोड़कर जा चुका था...ये देखकर नर्स की भी आंखें नम हो गईं…उसने अस्पताल के स्टॉफ को बुलाकर पहले बुज़ुर्ग के पार्थिव शरीर को ले जाने के लिए कहा…

दूसरे बुज़ुर्ग को भी पहले बुज़ुर्ग का साथ छूट जाने का बहुत दुख हुआ…उसने नर्स से आग्रह किया कि क्या उसे खिड़की के साथ वाले बेड पर शिफ्ट किया जा सकता है…नर्स ने बुज़ुर्ग की इच्छा का मान रखते हुए तत्काल उसे दूसरे बेड पर शिफ्ट करा दिया…कमरे से नर्स के जाने के बाद दूसरे बुज़ुर्ग ने कोहनी के बल सिर उठाते हुए खिड़की के बाहर झांकने की कोशिश की…लेकिन ये क्या खिड़की के बाहर तो सिर्फ खाली दीवार थी…

दूसरा बुज़ुर्ग हैरान….बेड के साथ लगा बेल का बटन दबा कर नर्स को बुलाया…नर्स से पूछा कि वो पहला बुज़ुर्ग जिस मनोरम झील, पार्क की बात करता था, वो कहां हैं…ये सुनकर नर्स की आंखें फिर गीली हो गईं और धीमे शब्दों में जवाब दिया…उनकी आंखों में रौशनी नहीं थी और वो तो इस खाली दीवार तक को नहीं देख सकते थे…

स्लॉग चिंतन

खुद जैसे भी मुश्किल हालात से गुज़र रहे हो लेकिन दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में ही जीवन का असली आनंद है…

दुख बांटो तो आधा हो जाता है, लेकिन खुशी बांटों तो दुगनी हो जाती है…

अगर सही में अमीर बनना चाहते हो तो उन चीज़ों को गिनो जिन्हें पैसे से खरीदा नहीं जा सकता…

आज (TODAY) सबसे बड़ा तोहफ़ा (GIFT) है, इसीलिए तो ये प्रेज़ेंट (PRESENT) है…

Khushdeep Sehgal
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