मुंबई के जज़्बे को सलाम…नेताओं के मुंह से ये जुमला सुनकर त्रासदी की इस घड़ी में भी चेहरे पर विद्रूप सी हंसी आए बिना नहीं रहती…आतंकवादी धमाके करें या 26/11 जैसे हमलों से मुंबई को बंधक बना लें…सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने वाले नेताओं के वही घिसे-पिटे बयान अब ऐसे लगते हैं जैसे कानों में गर्म सीसा उढ़ेला जा रहा है…
मुंबई के ताजा सीरियल ब्लास्ट के बाद नेताओं के मुखार-बिन्दु से निकले गए उवाच और उन पर कॉमन-मैन का दर्द…
गृह मंत्री पी चिदंबरम
मुंबई सीरियल ब्लास्ट खुफिया तंत्र की खामी नहीं है…आतंकवादी हमले भारत में किसी भी शहर में हो सकते हैं…दुनिया में किसी भी जगह को पूरी तरह महफूज़ नहीं कहा जा सकता….मुंबई में 31महीने बाद आतंकवादी वारदात हुई है…
कॉमन मैन…बड़ा धन्यवाद है चिदंबरम जी आपका कि 31 महीने तक मेरी जान बचाए रखी…वैसे एक बात बताइए, ये जीना भी कोई जीना है लल्लू…
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कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह
हम ये नहीं कह सकते कि कोई आतंकवादी घटना नहीं होगी…हमारा रिकॉर्ड पाकिस्तान से बेहतर है, जहां हर हफ्ते आतंकवादी घटनाएं होती हैं…
कॉमन मैन…दिग्गी राजा चिंता मत करो, जिस रास्ते पर आप और आपकी सरकार चल रही है, भारत को भी पाकिस्तान बना कर ही छोड़ोगे…
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कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी
देश में हर आतंकी हमले को रोकना मुश्किल है…सरकार के उठाए कदमों की वजह से 99फीसदी आतंकवादी हमलों को रोकने में कामयाबी मिली है…सिर्फ एक फीसदी हमले रह गए हैं जिन्हें रोकने के लिए भी हमें कोशिश करनी चाहिए…
कॉमन मैन…चलिए पीएम इन वेटिंग के नाते युवराज ने अब हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया देना तो सीख लिया है…लेकिन ऐसा तो मत बोलिए जो ज़ख्मों पर मरहम लगाने वाला कम और नमक छिड़कने वाला ज़्यादा है…जिसे आप एक फीसदी कह रहे हैं, ज़रा उस हमले में मारे गए किसी निर्दोंष के घरवालों से पूछिए कि आपका ये बयान उन्हें सुनने में कैसा लगेगा….
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
आतंक के इस बर्बर कृत्य की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं…
कॉमन मैन…प्रधानमंत्री जी आपके पास वैसे ही बोलने के लिए अपने शब्द होते कहां हैं…
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बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी
ज़ीरो टॉलरेंस और ज़ीरो टॉक की नीति पर चलते हुए पाकिस्तान से सभी तरह की बातचीत बंद कर देनी चाहिए…
कॉमन मैन…सही कह रहे हैं आडवाणी जी….लेकिन देश ये भी नहीं भूला है कि जब आप गृह-मंत्री थे तो पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने किस तरह ठीक आपकी नाक के नीचे संसद पर हमला किया था…2003 में मुंबई के इसी झावेरी बाज़ार को आतंकवादियों ने निशाना बनाया था…लेकिन इसके बावजूद आपके स्टेट्समैन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल के सूत्रधार मुशर्रफ़ की नज़र उतारते हुए इस्लामाबाद जाकर पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की नींव डाली थी….
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खैर छोड़िए, नेताओं को इन सबसे क्या लेना-देना…मुंबई के जज़्बे को सलाम कीजिए और काम पर चलिए…
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sab theek tha, shuru se lekar ant ke kuch pehle tak! bas jo bat pasand nhi aayi wo aakhri line,
"Mubaikar ke jajbe". har koi yahi kehkar nikal jata he patli gali se!
jise aapjajba kehte hain, wo majburi hai janab! kya karenge/ gahr par baith jaye ? kaise chalega fir!
ye jajba nhi majburi hai har hindustani ki!
महेंद्र जी,
आम आदमी का जीना ही आपत्ति है…
जय हिंद….
सच है,
विषय गंभीर है, शीर्षक पर आपत्ति है।
आम आदमी के सारे वाज़िब प्रश्न आपने उठा दिए खुशदीप भाई । सटीक पोस्ट
सही बात…ऐसी घटनाओं पर इन नेताओं के ऐसे बयान आते रहेंगे
भावी गृहमँत्री अमर कुमार कहिन..
देशवासियों को सतर्क और एकजुट रखने के लिये ऎसी घटनाओं का होते रहना आवश्यक है ।
कॉमन मैन… दोहाई है हुज़ूर की, आपके सूझबूझ से अमेरिका को सीखना चाहिये जो बेचारा 9/11 के बाद पिछले दस सालों में ऎसी कोई घटना दुबारा नहीं करवा पाया ।
क्या कर लोगे, वोट देने जाओगे तो जात, मजहब के नाम पर वोट दोगे, नहीं तो वोट देने ही नहीं जाओगे, फिर कोसोगे नेताओं को,
अमेरिका से नेताओं को नहीं, हमें सीखना है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हालात के लिए कही ना कही देशवासी खुद भी जिम्मेदार है सब इन हमलो को अपनी नियति मनाते जा रहे है कोई भी ये सवाल नहीं करता की हमलो के बाद सुरक्षा के लिए क्या सार्थक कदम उठाये गये और आतंरिक सुरक्षा के लिए क्या क्या किया जा रहा है सब अपने ही जीवन में मस्त है तब तक के लिए जब तक की खुद वो या उनके अपने हमलो की चपेट में ना आ जाये |
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
कोई मरता है तो मरता रहे ,इन नेताओं को क्या फिकर खुशदीप भाई.
शुक्र मानिए अभी इन्होने यह नहीं कहा की जनसंख्या
कम करने के लिए वे ऐसा करवा रहे हैं.
पुराने ज़माने में राजा लोग आखेट किया करते थे वन्य पशुओं की जनसंख्या नियंत्रण के लिए.
जनता भी तो वन्यजीवों के समान है उनकी नज़रों में.
खुशदिप साहेब, दी वैडन्सडे की तरह ही आज सब हिन्दुस्तानियों को इन आतंकियों को सबक देना चाहिए ..ताकि कोई फिर इधर निगाह न उठा सके …
सच है जिसका गया उसी को पता लगता है ऐसे हमलों का दर्द. बाकी तो बस बयान बाजियां, वादे और सब ख़त्म. ऐसे हमलों की जितनी निंदा की जाए कम है. खुशदीप भाई एक बार फिर शुक्रिया . कल के चर्चा मंच मैं यह पोस्ट दिखेगी.
दिग्गी जी को क्या पता जिनके अपने चले गए उनका दर्द ? नेताओं की तो सेक्युरिटी भी होती है न !! और उन जैसे नेताओं को आतंकवादी मारेंगे भी क्यों? ऐसे नेता देश को कमज़ोर बनाते हैं – तो आतंकवादियों का तो फायदा ही होता है न ?
सही कहा आपने खुशदीप जी …………किसी पर असर नही पडना जिसका गया उससे पुछो।
inke ma-baap, bhai-bahan maren to hamen bhi aise hi shabd bolne me koi kathinai nahi hogi..
aur ye badhi hi dukhi man se likh raha hoon, lekin sahi baat yah hai ki ab soch hi aisi ho rahi hai…
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
भारतीयों की सहन शक्ति को सलाम.
इनको कोई दर्द नहीं होगा क्योंकि इनके घर में मातम नहीं है ….इन्होने किसी अपने के शारीर के चीथड़े नहीं समेटे है ..
@अंतर सोहेल,
गाली सुननी है तो इससे पिछली वाली मेरी पोस्ट में द वैडन्सडे के वीडियो में नसीरुद्दीन शाह साहब के मुंह से सुन लो….
जय हिंद…
शर्मनाम स्थिति है।
कल खबर देख रहा था, मुंबई में हुई बारिश ने आतंकी घटना के सबूत को नष्ट कर दिया है। अरे यह बताएं कि पहले जिसमें सबूत भी थे, मामला अदालत में पहुंचा और सजा भी हो गई अपराधियों को उनका क्या हुआ…..
अफजल गुरू मजे में है…. कसाब ऐश कर रहा है…..
आतंकवाद…. नक्सलवाद… इनसे नुकसान किसका है आम आदमी का ही….
शर्म आती है अब तो…..
अरे सीखो कुछ अमेरिका से, दुश्मनों को घर घुसकर मारने का हुनर…..
अब हम तो इन नेताओं के लिये बस यही कह सकते हैं @XXXX%&***
गाली देनी ही नहीं आती लिखनी कैसे आयेगी 🙂
प्रणाम