मोहे ऐसा ना जनम दीजो…खुशदीप

एक बच्चा इस दुनिया में किसके साथ सबसे सुरक्षित महसूस करता है, अपने मां-बाप के पास…लेकिन मां-बाप ही अपनी लाडली के कत्ल के दोषी करार दिए जाएं…वो लाडली जिसे पांच साल के फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बाद पाया हो…यहां कत्ल सिर्फ एक बच्ची का नहीं बल्कि उस भरोसे का भी हुआ है, जो हर जन्मदाता पर किया जाता है…मां-बाप अति व्यस्त हैं तो यही अपनी ज़िम्मेदारी ना पूरी समझे कि बच्चों को मोटी पॉकेट मनी या महंगे गिफ्ट देकर ही ज़िम्मेदारी खत्म हो जाती है…बच्चों को खासा वक्त देने की भी ज़रूरत होती है…आप समझ सकें कि बच्चे के मन में क्या चल रहा है…कहीं उसकी दिशा गलत तो नहीं…मेरे लिए आरुषि मर्डर केस देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री से ज़्यादा पेरेंटिंग फेल्योर का मामला है…जानो दुनिया न्यूज़ चैनल पर इसी मु्द्दे पर हुई बहस…

         



मोहे ऐसा जनम ना दीजो…


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vandana gupta
11 years ago

sahi kah rahe hain aap

S.M.Masoom
11 years ago

सही कहा है |

बेनामी
बेनामी
11 years ago

सहमत

Satish Saxena
11 years ago

सहमत हूँ आपसे !!

प्रीतेश दुबे

परवरिश मे की गयी अनदेखी
और अपने झूठे सम्मान के लिए अपनी ही बेटी को मार देना….इंसानियत और मत्रत्व पर दाग है!
मेरे हिसाब से तो कन्या भ्रूण हत्या करने वाले परिवार मे और तलवार दंपत्ति मे कोई फ़र्क नही है, परंतु क़ानून यहाँ भी भेदभाव करता है!

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