हमने देखी है, उन आंखों की महकती खुशबू,
हाथ से छूके इसे, रिश्तों का इल्जाम ना दो,
सिर्फ एहसास है ये, रूह से इसे महसूस करो…
आज गाने की ये पंक्तियां सतीश सक्सेना भाई की पोस्ट पर एक कमेंट के तौर पर की थी…लेकिन आज इन पंक्तियों को मैंने जिया भी…कैसे भला…वो ऐसे…
तारीख– 12 दिसंबर 2010
वक्त– दोपहर पौने 12 से पौने 2 बजे तक
जगह– नई दिल्ली रेलवे स्टेशन
पात्र– गुरुदेव समीर लाल समीर और मैं
गवाह–साधना भाभी, बेटा अनुपम और लाल परिवार के सम्मानित सदस्य
घटना-गुरुदेव से साक्षात मिलने की शिष्य की इच्छा पूरी होना
गुरुदेव समीर जी के साथ मुझे करीब दो घंटे बिताने का सौभाग्य मिला…समीर जी परिवार के साथ देहरादून में विवाह अटैंड करके जबलपुर लौट रहे थे…नई दिल्ली स्टेशन पर ट्रेन बदलने के लिए उनका दो घंटे का हाल्ट था…अब उनके सानिध्य में मैंने कैसा महसूस किया, इसे शब्दों में उतार पाने की न तो मेरी सामर्थ्य है और न ही हिम्मत…मेरे जीवन के इन दो सबसे अनमोल घंटों का एहसास बस रूह से ही महसूस किया जा सकता है…आशा है मैं इस एहसास को इतने कम शब्दों के साथ ही आप सब तक पहुंचा सका हूंगा…
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बधाई
अद्भुत था तुमसे मिलना.,,,बयान करने को शब्द नहीं.
आप खुश किस्मत हे
समीरलाल जी से कौन ब्लागर नहीं मिलना चाहेगा? आप भाग्यशाली हैं।
wah…..kya mulakaat rahi hogi….khushdeep bhai apni apni kalpna ke liye swatantra hain na sabhi…..
यही एहसास मैने भी उस दिन महसूस किया था जब अपने बेटे से मिली थी । बहुत अच्छा लगता है अपनिओ से मिलना। समीर जी और खुशदीप दोनो भागयशाली गुरूचेला को मेरी बधाई और शुभकामनायें।
बधाई हो…किस्मत वाले हो दोस्त…मुंबई से हो कर कोई गाडी जबलपुर नहीं जाती…क्या करें…???
नीरज
सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो।
सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो। हम भी रूह को जगा रहे हैं महसूस करने के लिए।
aapne apni khushi hum logon se bantne ko……
pranam.
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है – पधारें – सांसद हमले की ९ वी बरसी पर संसद हमले के अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि – ब्लॉग 4 वार्ता – शिवम् मिश्रा
गुड़ … बढ़िया लगा..
बधाई , आखिर मुलाकात हो ही गई ।
अच्छे मुलाकात जीवन भर के लिये यादगार होती है ।
बहुत बढ़िया ..बधाई हो.
बहुत बधाई।
केस लड़ने की तैयारी है
या है उम्मीद करेगा कोई केस
इसलिए गवाहों की पहले से
मुस्तैद कर ली फौज
हम तो मिलते हैं आपसे भी
उनसे भी रोज
जिन्हें आप आज मिले हैं
और बन गए हैं रोज़
बेबस बेकसूर ब्लूलाइन बसें
badhiyaa
बहुत खुब जी आप खुश किस्मत हे, धन्यवाद
khus deep ji khabar der se mili .
…मेरे जीवन के इन दो सबसे अनमोल घंटों का एहसास बस रूह से ही महसूस किया जा सकता है
bilkul sahi kaha .
वाह … बहुत बहुत बधाइयाँ खुशदीप भाई !
अच्छा अच्छा तो जी न्यूज़ वालों तक उडन जी ने ये खबर पहले पहुंचा दी रुकिए रुकिए ..हम घेरते हैं