मेरी नज़र में लखनऊ ब्लॉगर सम्मेलन…खुशदीप

तस्लीम और परिकल्पना के सहयोग से लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय  ब्लॉगर सम्मेलन संपन्न हुआ…इस आयोजन के लिए भाई रवींद्र प्रभात और भाई ज़ाकिर ने ​महीनों अथक मेहनत की, जिसके लिए वो साधुवाद के पात्र हैं…इस कार्यक्रम के लिए मुझे भी रवींद्र भाई ने न्योता भेजा था लेकिन स्वास्थ्य कारणों ​से मेरी शिरकत संभव नहीं थी, जिसके बारे में मैंने पहले ही सूचित कर दिया था…अभी मेरी सर्जरी होना शेष है, शायद अगले हफ्ते हो जाए..इस वजह ​से नेट पर भी मेरा बहुत कम आना हो पा रहा है…

पिछले दो-तीन में मौका मिला तो देखा, लखनऊ के कार्यक्रम को लेकर  ब्लॉग  और फेसबुक पर पोस्ट-एंटी पोस्ट, टिप्पणी-प्रतिटिप्पणियों की भरमार थी…​इन्हें पढ़कर ऐसा लगा कि जैसे अपमैनशिप के लिए रस्साकशी हो रही है…पुरस्कार आवंटन को लेकर ​पक्ष-प्रतिपक्ष की ओर से कुछ दंभपूर्ण बातें की गईं, ठीक वैसे ही जैसे नौ दिन से संसद में कोल ब्लाक आवंटन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी भिड़े हुए हैं…​
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यहां सवाल टांग-खिंचाई का नहीं, दोनों तरफ़ से एक सार्थक सोच दिखाने का है…जिससे नए ब्लॉगरों में भी अच्छा संदेश जाए…नवोदित प्रतिभाओं ​को प्रोत्साहन के लिए रवींद्र भाई इस तरह के कार्यक्रम करते हैं तो उनका भी हमें मनोबल बढ़ाना चाहिए…हां, जो लोग अब ब्लॉग में खुद को अच्छी ​तरह स्थापित कर चुके हैं, अगर उन्हें ही ये सम्मान साल दर साल दिए जाते रहेंगे, तो मेरी दृष्टि से दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में इसके प्रतिगामी परिणाम​ आएंगे…

मेरा मानना है कि एक ब्लॉगर को सबसे ज़्यादा खुशी दूसरे ब्लॉगरों से मिलने से होती है…सम्मान समारोह में भी ज़्यादातर ब्लॉगर खुद ​के सम्मान से ज़्यादा दूर-दराज़ से आए ब्लॉगरों के साथ मिलने की चाहत से ही पहुंचते हैं…अब सवाल यही रह जाता है कि एक दिन के अल्पकाल​ में औपचारिकताओं को निभाते हुए क्या  ब्लॉगरों की आपस में मिल-बैठने की कसक पूरी हो पाती है…विशिष्ट अतिथियों की नसीहतों से ज़्यादा ब्लॉगरों को एक-दूसरे को सुनने की ज़्यादा ख्वाहिश होती है…इसी पर विमर्श किया जाना चाहिए कि क्या इस तरह के आयोजन इस ख्वाहिश को पूरा कर पाते हैं…​

यहां इसी संदर्भ में मैं उदाहरण देना चाहूंगा, जर्मनी से राज भाटिया जी के हर साल हरियाणा में आकर आयोजन करने का…इन आयोजनों में न कोई​ पूर्व निर्धारित एजेंडा होता है, न ही सम्मान जैसा कोई झंझट…लेकिन भाटिया जी की स्नेहिल मेज़बानी में ब्लॉगरों की एक-दूसरे के साथ मिल-बैठने ​की चाहत बड़ी अच्छी तरह पूरी होती है…यहां सभी  ब्लॉगर होते हैं…राजनीति या साहित्य जगत से कोई बड़ा नाम नहीं होता, जिस पर पूरा कार्यक्रम ही ​केंद्रित हो जाए और ब्लॉगर खुद को नेपथ्य में जाता महसूस करें… कार्यक्रम के बाद सभी हंसी-खुशी विदा लेते हैं कि फिर मिलेंगे अगले साल…ऐसे में कम से कम मुझे तो भाटिया जी के कार्यक्रम का हर साल बेसब्री से इंतज़ार रहता है…​
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अगर मेरी बात को किसी दुराग्रह की तरह न लिया जाए तो मैं लखनऊ जैसे कार्यक्रम के लिए अपने कुछ सुझाव देना पसंद करूंगा, जिससे कि आने वाले​ वर्षों में इस तरह के कार्यक्रमों की सार्थकता बढ़ सके…​

पहली सौ टके की बात, सम्मान से ज़्यादा इन कार्यक्रमों में  ब्लॉगरों के मेल-मिलाप को बढ़ावा देने पर फोकस रखा जाए…​
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पहले दिल्ली और अब लखनऊ में टाइम मैनेजमेंट के चलते ब्लागरों के लिए महत्वपूर्ण सत्रों को रद करने की गलती हुई, जिससे वहां शिरकत करने​वाले ब्लॉगरों को असुविधा हुई…इस पक्ष पर सुधार के लिए प्रयत्न किया जाना चाहिए..​
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इतने बड़े आयोजन के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है…कम से कम दो दिन का आयोजन होना चाहिए…ऐसे में सवाल कार्यक्रम पर आने वाले खर्च का उठ सकता है…तो मेरा नम्र निवेदन है कि इसका सारा बोझ आयोजकों पर डालने की जगह, ब्लॉगरों से ही अंशदान लिया जाना चाहिए…मैं समझता हूं कि सभी ब्लॉगर इसके लिए हंसी-खुशी तैयार होंगे..​
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ब्लागर इतने दूर-दराज़ से आते हैं तो ब्लॉगरों के ठहरने की समुचित व्यवस्था आयोजकों की ज़िम्मेदारी हो जाती है…बेशक इस काम पर आने वाला खर्च​ खुद ब्लॉगर ही  उठाएं..लेकिन अनजान शहर में कम खर्च पर पहले से ही  ब्लॉगरों को ऐसी सुविधा मिले तो उनके लिए बहुत आसानी हो जाएगी…​

ब्लॉगर जगत के लिए आदर्श हैं, जिनका हर कोई सम्मान करता है…जैसे कि रूपचंद्र शास्त्री जी मयंक…अगर उन जैसे ब्लॉग को कार्यक्रम को लेकर कोई​ शिकायत है तो निश्चित तौर पर ये अच्छा संदेश नहीं है…खटीमा से इतनी दूर तक गए शास्त्री जी को पूरा मान-सम्मान मिलना चाहिए था…उनका आसन​ मंच पर ही होना चाहिए था…मैं जानता हूं कि रवींद्र भाई और ज़ाकिर भाई को भी दिल से इस बात के लिए खेद होगा…​
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मुझे ये जानने की बड़ी इच्छा थी कि कार्यक्रम में पिछले साल हमसे बिछड़े डा अमर कुमार को याद किया गया या नहीं…उनकी पुण्यतिथि 23 अगस्त को​, जन्मदिन 29 अगस्त को था…इन्हीं दो तिथियों के बीच यानी 27 अगस्त को ये कार्यक्रम हुआ…लेकिन मैं इस बारे में कहीं पढ़ नहीं पाया…अगर उन्हें कार्यक्रम में याद किया गया तो इसे जानकर मुझे सबसे ज़्यादा संतोष मिलेगा…​

स्लाग ओवर​
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मैं इस तरह के सम्मान समारोह के लिए एक रामबाण नुस्खा सुझाता हूं, जिससे कि सम्मान को लेकर ये किसी को शिकायत ही नहीं रहेगी कि इसे मिला ​तो उसे क्यों नहीं मिला…इसके लिए नोएडा में जिस तरह फ्लैटों के ड्रा के लिए तरीका अपनाया जाता है, वहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए…इसमें​ शीशे के दो तरह के बक्से होते हैं, जिन्हें घुमाया जा सकता है…एक बक्से में सभी आवेदकों की पर्चियां होती हैं…दूसरे बक्से में आवंटित होने वाले फ्लैटों​के नंबर होते हैं…जाहिर है कि आवेदक हज़ारों (कई बार लाखों) में होते हैं तो फ्लैट सिर्फ पचास-सौ ही होते हैं…ऐसे में पहले फ्लैट वाले बक्से से पर्ची निकाली​जाती है और दूसरे बक्से से आवेदक वाली…जिस आवेदक का नाम आता है उसी को फ्लैट आवंटित हो जाता है…यानी सब लाटरी सरीखा, किसी को​ शिकायत का कहीं मौका नहीं…इसी तरह की प्रक्रिया ब्लॉगरों को सम्मान आवंटित करने के लिए अपनाई जानी चाहिए….सभी ब्लॉगर एक समान…कोई​​ किसी से श्रेष्ठ नहीं, कोई किसी से कमतर नहीं.

Khushdeep Sehgal
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BS Pabla
12 years ago

आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना

Vinay
12 years ago

🙂

रवीन्द्र प्रभात

आपकी बातों से सहमत हूँ, आप जल्द स्वास्थ्य लाभ अर्जित करें इसी कामना के साथ शुभकामनाएँ|

शेखचिल्ली का बाप

अंग्रेज़ी सरकार राय बहादुर और ख़ान बहादुर के खि़ताब दिया करती थी। हिन्दुस्तानी सरकार भी हर साल सौ पचास ब्लॉगर्स को ‘ब्लॉग बहादुर‘ के खि़ताब दे दिया करे तो सब अपनी सिटटी पिटटी गुम और बोलती बंद करके ख़ुद ही बैठ जाएंगे।
इंडी ब्लॉगर एग्रीगेटर तो ब्लॉगर्स से सामान भी बिकवाता है।

ये इश्क़ नहीं आसां

की तर्ज़ पर कहा जा सकता है

ये ब्लॉगिंग नहीं आसां

*** जिन्हें लॉटरी वाला आयडिया पसंद नहीं। वे तोते से नाम उठवा सकते हैं। जिसका नाम तोता उठा दे, ईनाम उसका। तोते पर कौन इल्ज़ाम लगाएगा भला ?

बात तो इल्ज़ाम से बचने की है।

Pallavi saxena
12 years ago

बहुत अच्छे सुझाव दिये आपने, ऐसे कार्यक्रमों में ब्लॉगर का आपसी मेल जोल बढ़े और सभी ब्लोगर एक दूसरे को और करीब से जाने और पहचाने यही असल मक़सद होना चाहिए ऐसे कार्यकर्मो का आपके इस सुझाव और बात से में पूर्णतः सहमत हूँ। कुछ निजी कारण वश मैं खुद भी इस कार्यक्रम में शामिल न हो सकी इसलिए मैंने अपने पापा जी(father-in-law) को वहाँ भेजा था। ताकि उन्हें भी ब्लॉग की दुनिया का अंदाज़ा हो सके। मगर इस अवसर पर सभी ब्लॉगर से मिलने का स्वर्णिम अवसर मेरे हाथ से चला गया इसका अफसोस मुझे हमेशा रहेगा।

vandana gupta
12 years ago

्काफ़ी अच्छे सुझाव्।

महेन्द्र श्रीवास्तव

भाई खुशदीप जी
अगर मैं आपकी लाटरी वाली बात को अलग कर दूं तो आपकी बातें व्यवहारिक और मान्य होंगी। फिर ऐसा भी नहीं है हम सब ऐसी बातें कह रहे हैं जो आयोजक नहीं जानते… दरअसल पहले मन साफ हो और तिकड़म से दूर रहना जरूरी है। ये बेसिक बात है, जिसका अभाव शुरु से दिखाई देता रहा है।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया

आपके सुझावों से सहमत,,,शुभकामनाए,,,,,,

RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

virendra sharma
12 years ago

इसे कहतें हैं फ़ूड फॉर थाट.अच्छा सार्थक विमर्श .गुन अवगुण विवेचन न होता गर ये सम्मान सम्मलेन न होता .खुशदीप जी शुभकामनाएं .आप आयें थियेटर ओपरेशन से कामयाब आयें .सेहतमंद हो आयें .ब्लॉग लफडा वहीँ छोड़ आयें थियेटर ओपरेशन में ……
ram ram bhai
रविवार, 2 सितम्बर 2012
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य
सादा भोजन ऊंचा लक्ष्य

स्टोक एक्सचेंज का सट्टा भूल ,ग्लाईकेमिक इंडेक्स की सुध ले ,सेहत सुधार .

यही करते हो शेयर बाज़ार में आके कम दाम पे शेयर खरीदते हो ,दाम चढने पे उन्हें पुन : बेच देते हो .रुझान पढ़ते हो इस सट्टा बाज़ार के .जरा सेहत का भी सोचो .ग्लाईकेमिक इंडेक्स की जानकारी सेहत का उम्र भर का बीमा है .

भले आप जीवन शैली रोग मधुमेह बोले तो सेकेंडरी (एडल्ट आन सेट डायबीटीज ) के साथ जीवन यापन न कर रहें हों ,प्रीडायबेटिक आप हो न हों ये जानकारी आपके काम बहुत आयेगी .स्वास्थ्यकर थाली आप सजा सकतें हैं रोज़ मर्रा की ग्लाईकेमिक इंडेक्स की जानकारी की मार्फ़त .फिर देर कैसी ?और क्यों देर करनी है ?

हारवर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के शोध कर्ताओं ने पता लगाया है ,लो ग्लाईकेमिक इंडेक्स खाद्य बहुल खुराक आपकी जीवन शैली रोगों यथा मधुमेह और हृदरोगों से हिफाज़त कर सकती है .बचाए रह सकती है आपको तमाम किस्म के जीवन शैली रोगों से जिनकी नींव गलत सलत खानपान से ही पड़ती है .

वाणी गीत
12 years ago

अच्छे विचार और सुझाव!
शुभकामनाये!

Unknown
12 years ago

आपके सुझावों से सहमत पर सम्मान के लिए लाटरी से बिलकुल असहमत भले ही स्लागोवर में क्यों न हो. आपकी सफल शल्यक्रिया के लिए शुभकामनाये

Rahul Singh
12 years ago

स्‍लाग ओवर पर- शायद क्रिकेट में ऐसा ही कुछ होता है, ''सब बराबर'' चाहे सचिन की सेंचुरी हो या किसी नवोदित का हिट विकेट या कि एक्‍स्‍ट्रा खिलाड़ी, मैच फीस सबकी बराबर ही होती है.

Khushdeep Sehgal
12 years ago

बहुत ही नेक सुझाव…ये सुझाव मैंने रवींद्र प्रभात भाई को भी दिया था कि हर साल डा अमर कुमार स्पष्टवादिता सम्मान दिया जाना चाहिए…मैं ​ठीक होते ही इस योजना में आपके साथ लगता हूं…​
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​द्विवेदी सर, जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई…​
​​
​जय हिंद…

दिनेशराय द्विवेदी

सब ठीक है। कुछ होगा तो नुक्स निकालने की गुंजाइश तो निकलती ही है। यदि न निकाले जाएँ तो अगले कार्यक्रम के लिए सुधार की कोई प्रेरणा ही नहीं रहेगी। हमें डाक्टर अमर ही क्यों, उन सभी ब्लागरों को याद करना चाहिए जो हम से सदा के लिए बिछड़ गए हैं। मेरा तो मानना है कि हमें अगले अगस्त तक उन की स्मृति में ही एक कार्यक्रम रखना चाहिए। उन के नगर में हो सके तो ठीक वर्ना दिल्ली में तो करना ही चाहिए।
आप ठीक समय पर शल्य करवा लें। उस के बिना सामान्य जीवन में लौटना संभव नहीं हो सकेगा। एक बार स्वस्थ हो कर काम पर लौटें। फिर डा. अमर की स्मृति में कार्यक्रम करने की योजना बनाते हैं। इस बार राज भाटिया जी आएंगे तो एक कार्यक्रम वे करना चाह रहे हैं। उस के बाद उन का आना भी काफी दिन बाद होगा। हम चाहें तो डाक्टर अमर की स्मृति कार्यक्रम को उन के कार्यक्रम से जोड़ सकते हैं। डाक्टर अमर के नाम से एक "डाक्टर अमर स्मृति ब्लागर सम्मान" आरंभ करने का निर्णय करना चाहिए।

Khushdeep Sehgal
12 years ago

नीचे वाला सुझाव नहीं, स्लाग ओवर है, इसलिए उसे स्लाग ओवर ही की तरह ही लिया जाए…
​​
​जय हिंद…

राजीव तनेजा

सहमत …..

Tanu Thadani
12 years ago

बहुत ही अच्छे सुझाव हैं …….मगर आत्म-मुग्ध आयोजक स्वीकारेंगे इसमे संदेह है ……..मैं स्वयं नागालैंड से आ कर उस तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में पूरे दिन अपरिचित सा बैठा रहा देखता रहा लगभग २०० ब्लोगर आये होंगे मगर आयोजक समेत तीस-चालीस लोग स्वयं-भू समर्थ ब्लोगर बन कर बस एक दुसरे का गुणगान किये जा रहे थे ,एक गुट सा बना कर सम्मान-पत्र का लेन – देन कर रहे थे ….अन्य ब्लोगरो से मिलने या परिचय करने या कराने की न तो आयोजको की नीयत थी ना ही दिलचस्पी ……जल्दी जल्दी प्रसिद्ध होने की होड़ सी मची दिख रही थी उस गुट में ……..मगर मैं निराश नहीं हूँ …..राजनीति तो हर जगह हावी है …प्रतिभावान ब्लोगर का असल मंच तो इन्टरनेट ही है ……ईश्वर ऐसे आयोजको को सदबुध्हि दे यही कामना रहेगी

अनूप शुक्ल

इनाम/फ़िनाम बांटने बवाल का ही काम है। लेकिन जिनकी फ़ितरत है वो तो बांटकर ही रहेंगे।
डा.अमर कुमार के बारे में क्या जिक्र हुआ यह तो वहां गये लोग बता सकते हैं। शास्त्रीजी के बारे में क्या कहें। बहुत बड़ा कार्यक्रम था। ये सब छोटी-मोटी बातें रह गयीं ध्यान से। अंतरर्राष्ट्रीय सम्मेलन था और खटीमा के ब्लॉगर के अपमान का किस्सा उठा रहे हो।

स्वास्थ्य के लिये मंगलकामनायें।

सुशील कुमार जोशी

़़़
कुछ कुछ समझ में आया
दिमाग जितना था लगाया
ब्लाग ब्लागर और इस दुनिया को
अलग सा समझ रहा था अब तक
पता लगा वैसी ही है जैसी छौड़ के
मैं यहाँ वहाँ से कुछ दिन पहले आया !

प्रवीण पाण्डेय

मिलजुल कर भी आनन्द बढ़ा ही होगा सबका..

डॉ टी एस दराल

काले अक्षरों में लिखे से अक्षरश: सहमत .
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनायें .

Gyan Darpan
12 years ago

आपके ज्यादातर सुझाव ठीक हैं|फिर हर तरह के प्रोग्राम होते रहने चाहिए|
आपकी सर्जरी निरापद हो और आप जल्द स्वास्थ्य लाभ अर्जित करें इसी कामना के साथ शुभकामनाएँ|

amit kumar srivastava
12 years ago

सुझाव अच्छे हैं , इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के आयोजन के स्तर को भी थोड़ा ऊपर किया जा सकता है | लखनऊ का कार्यक्रम पूरी तरह से mismanaged था |

रेखा श्रीवास्तव

बहुत अच्छे सुझाव रखे खुशदीप जी अपने. मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी और बहुत थोड़ा सा इस बारे में लिखा भी लेकिन कुछ साथियों को समझ नहीं आया. वैसे ऐसे आयोजन हमें एक दूसरे को जानने का पूरा अवसर देता है कम से कम हम एक दूसरे को जान तो सकें. व्यक्तिगत तौर पर मिलने का सुख और विचारों के आदान प्रदान का सुख किसी सम्मान से ज्यादा होता है. मैंने दिल्ली वाला आयोजन देखा था और मिल जरूर कम ही लोगों से सकी थी लेकिन जितने लोगों से मिल सकी बहुत ख़ुशी हुई थी.
सारे सुझाव विचारणीय हें. आयोजन के लिए ब्लोगर भी अपना अंशदान दे सकते हें क्योंकि ऐसे आयोजनों का होना अत्यंत आवश्यक है. रही बात जिम्मेदारी की तो कोई न कोई तो इसको उठाता ही है. इसके साथ ही हर ब्लोगर के लिए एक ऐसे आई कार्ड की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि हम एक दूसरे को उनके सामने लगे हुए कार्ड से पहचान सकें न कि सब को बताएं कि हम ये हें और आप?
साथ ही जो नवोदित हों उनका परिचय भी कराया जा सकता है जो सुप्रसिद्ध हें उन्हें तो सभी पहचानते हें . प्रथम दिन थोड़ा सा समय परिचय के लिए भी चाहिए.
आपके स्वास्थ्य लाभ के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ. शीघ्र स्वस्थ हों और सक्रिय हों.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

मेरे ख़्याल से, दो बातों से ही समस्‍या काफी हल हो सकती है एक, सम्‍मानबाजी बंद हो और ये भी कि‍ फलां ब्‍लॉग/ब्‍लॉगर बड़ा है/बहुत बड़ा है दूसरे, वक्‍ता और वि‍षय पहले से तय हों जि‍समें स्‍टेज पर भीड़ जमा करने से परहेज हो. ब्‍लॉगरों को सादर न्‍योता/सूचना दे दी जाए, अब ऐसे में जि‍से आना हो ख़ुशी से आए लेकि‍न स्‍टेज की तरफ लपकने की इच्‍छा न रखे.

शेष, आप जल्‍दी जल्‍दी स्‍वास्‍थ्‍यलाभ कर पूर्णत: सक्रीय हों.

Arvind Mishra
12 years ago

आपकी सर्जरी निरापद हो मेरी शुभकामनायें …
आपके सारे तो नहीं ज्यादातर सुझाव ठीक हैं और काफी देख तक कर मंथन के बाद आये हैं !

DR. ANWER JAMAL
12 years ago

हिंदी ब्लॉगिंग की मुख्यधारा से अलग हटकर एक ताज़ा ख़याल.

शुक्रिया.

Sunil Kumar
12 years ago

सुझाव बहुत अच्छे हैं लेकिन कोई मानें तो :):)

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