मियांजी पधारो म्हारे ब्लॉगवुड…खुशदीप

बधाइयां जी बधाइयां…समूचे ब्लॉगवुड के लिए खुशियां मनाने का मौका जो आया है…आरतियां उतारो…मंगलगीत गाओ…आज हमारे बीच नया मेहमान जो आया है…नाम जानना चाहते हैं…तो नाम है…मियां जी…ज़रा सुनो !…क्या कहा नाम अजब सा है…अरे नाम अजब-गज़ब नहीं होगा तो क्या होगा…इन्होंने इंसान योनि से कोई जन्म लिया है…ये नन्हे मियांजी तो बहुत पहुंची हुई आत्मा हैं…ये दुनिया पर अवतरित होने से पहले गर्भ में नौ महीने नहीं रहे हैं…पैदा होते ही मुखारबिंद से मधुर वचनों की बरसात करने वाले मियां जी खुद दावा कर रहे हैं कि वो पिछले पांच साल से ब्लॉगवुड की हर हरकत पर नज़र रख रहे हैं…इन्होंने दुनिया में आने से पहले ही कई बरसाती नदी-नालों को ब्लॉगवुड में आने के बाद वक्त के थपेड़े खाने के बाद गुम होते देखा है…अब ये कलयुगी अवतार नहीं तो और क्या हैं…अब आप सोचेंगे कि ऐसी महान आत्मा को दुनिया में लाने के लिए ज़िम्मेदार कौन होगा…धन्य है वो जनक जिसने मियां जी को जन्म दिया…अब आप उस जनक को बधाई देने के लिए बेचैन होंगे…लेकिन मुश्किल यही है मियां जी भी अपने प्रोफाइल में ज़्यादा कुछ नहीं बता रहे और उनका जनक भी सामने नहीं आ रहा…न जाने क्यों वो जनक बदनामी के डर से घुला जा रहा है…ब्लॉगवुड से आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा…

ये मियां जी बॉलीवुड, हॉलीवुड, टॉलीवु़ड, लॉलीवुड और ब्लॉगीवुड, न जाने कौन-कौन से वुड की ख़ाक़ छान चुके हैं…अगर आप इनके अनमोल वचनों के बारे में ज़्यादा नहीं जानते तो आज मेरी पोस्ट पर जाकर इनकी टिप्पणियों को पढ़ आइए…

अब आप मेरे बारे में इनकी राय जान चुके होंगे…अब मियांजी की ओर से मुझे दिए गए आशीर्वादों और उन पर मेरे जवाबों को सुनिए…

मियांजी का आशीर्वाद नंबर 1

मैं आत्ममुग्ध हूं….

मेरा जवाब

मियां जी मेरी आंखे खोलने के लिए धन्यवाद…मैं तो यही समझता था कि ब्लॉगिंग में मैंने ऐसा कोई तीर नहीं मारा कि आत्ममुग्ध होता फिरूं…वैसे मियांजी मेरी किसी एक पोस्ट का भी हवाला दे देते जिसमें मेरी महानता का बखान होता…

मियांजी का आशीर्वाद नंबर 2
पिछले कुछ दिनों से मैं रोज़ ब्लॉगवुड शब्द का इजाद करने के लिए अपनी पीठ ठोक रहा हूं…वरिष्ठ और गरिष्ठ ब्लॉगर भी इस काम के लिए मुझे दाद पर दाद दिए जा रहे हैं…

मेरा जवाब

अगर मेरी याददाश्त साथ दे तो मैंने महफूज और सलमान खान की तुलना करते हुए 12 जनवरी को अपनी पोस्ट..महफूज इक झूमता दरिया… में अनायास ब्लॉगवुड और बॉलीवुड शब्दों का इस्तेमाल किया था…उसी पोस्ट पर अदा जी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि उन्हें ब्लॉगवुड शब्द अच्छा लगा…उस पोस्ट के बाद मैंने अपनी किसी पोस्ट में नहीं कहा कि मैंने ब्लॉगवुड शब्द को इजाद किया…हां, ब्लागर बिरादरी के लिए ज़रूर तीन-चार जगह ब्ल़ॉगवुड शब्द इस्तेमाल करता रहा…हां, कल…हर ब्लॉग कुछ कहता है…वाली पोस्ट पर मैंने ब्लॉगर बिरादरी से ये जानना चाहा कि
ब्लॉग जगत के लिए ब्लॉगवुड शब्द इस्तेमाल करने पर सबकी राय क्या है…इसी बात को विवाद का रंग देने के लिए मियांजी को इस दुनिया में आना पड़ा…

मियांजी का आशीर्वाद नंबर 3

इसे आशीर्वाद की जगह दावा कहा जाए तो ज़्यादा अच्छा होगा…स्वयंभू गुरु की तरह मियांजी ने मुझे बताया कि ब्लॉगवुड नहीं सही शब्द ब्लॉगीवुड होता है…इस व्युत्पत्ति के लिए मियां जी ने मुंबई से बॉलीवुड, अमेरिका से हालीवुड, कोलकाता से टॉलीवुड और लाहौर से लॉलीवुड शब्द निकलने का हवाला दिया…बकौल मियां जी मुझे झटका देने वाला एक और बम बाकी था कि कुश जी बहुत पहले ही ब्लॉगीवुड शब्द को इजाद कर चुके हैं और सारे गरिष्ठ ब्लॉगर इस बात को जानते हैं…

मेरा जवाब

शुक्र है मैंने अनजाने में ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल नहीं कर दिया, ब्ल़ॉगवुड ही किया…नहीं तो मुझ पर आज कॉपीराइट, पेटेंट न जाने कौन कौन से कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता…भइया ब्ल़ॉगीवुड हो या ब्ल़ॉगवुड, कोई इन शब्दों के पहले इस्तेमाल के लिए किसी को माला तो पहनाने जा नहीं रहा …अब अगर कुशजी ने पहली बार ब्लॉगीवुड इस्तेमाल किया तो बड़ी अच्छी बात है कि हमारे ख्याल मिलते जुलते हैं…पिछले पांच महीने से मैं ब्लॉगिंग में हूं, कम से कम मैंने तो किसी को ब्लॉगवुड या ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल करते देखा नहीं…और अगर दो साल पहले कुशजी ने ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल किया था तो वो मुझे कैसे पता चल जाता…और ये ऐसा मुद्दा ही कहां है जिसे विवाद की शक्ल दे कर मेरी तरफ बंदूक तानी जा रही है…मियांजी ने तो उस पोस्ट का लिंक दिया नहीं जिसमे कुश जी ने बोलीवुड़ या ब्लागीवुड़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल एक व्यंग्य में किया था…लेकिन कल जैसे ही बेनामी मियांजी ने मेरे पर तोप दागी वैसे ही बिना वक्त गंवाए कुश जी ने आकर पहली टिप्पणी में अपने उस व्यंग्य का लिंक दिया

http://chitthacharcha.blogspot.com/2008/10/blog-post_2006.html
आज की चर्चा बोलीवूड़ स्टाइल में.

कुश जी का एक बेनामी टिप्पणी पर अचानक ऐसा करना मुझे आश्चर्यजनक लगा…मेरी एक बात समझ नहीं आई कि कुश जी ने पहली टिप्पणी में सिर्फ लिंक क्यों दिया…वहां एक भी शब्द क्यों नहीं लिखा…वहीं मियांजी की भर्तस्ना क्यों नहीं की…इसलिए मैंने टिप्पणी कर कुश जी से पूछा…

“@कुश जी,

आपने सिर्फ लिंक देकर छोड़ दिया…बाकी एक भी शब्द नहीं लिखा…मुझे याद पड़ता है तो आप पिछले पांच महीने में सिर्फ एक बार मेरी किसी पोस्ट में कमेंट करने आए थे…आज…मियां जी…ज़रा सुनो!!! के जन्म लेने के साथ आप फिर अचानक अवतरित हो गए…कहीं इस नवजात शिशु से आपका कोई संबंध तो नहीं…”

जय हिंद…

मेरा कुश जी से इससे पहले संवाद सिर्फ बबली प्रकरण में हुआ था…पुराने सब ब्लॉगर तो उस प्रकरण के बारे में जानते हैं लेकिन नये ब्ल़ॉगर जो नहीं जानते उनके लिए मैं वो लिंक दे देता हूं….कि किस तरह बबली जी की पोस्ट पर कमेंट करने को लेकर कई वरिष्ठ ब्लागर्स की टांग खींचने की कोशिश की गई थी…मैं तो उस वक्त खैर नया नया था लेकिन मुझे भी बाकायदा एक हिटलिस्ट बनाकर उसमें डाल दिया गया था…..इस पोस्ट पर कुश जी और मेरे बीच टिप्पणियों के ज़रिए हुए संवाद पर खास तौर पर गौर कीजिएगा…

हां, मैं हूं बबली जी का वकील…

ये जो मैं लिंक दे रहा हूं, ये चिट्ठाचर्चा की 16 सितंबर 2009 वाली पोस्ट है इसे पढ़ेंगे तो आपको पता चल जाएगा बबली जी का नाम लेकर किस तरह कई वरिष्ठ और कनिष्ठ ब्लॉगर्स को निशाना बनाने की साज़िश रची गई थी…

कौन है आज का ब्लोगर ऑफ़ द डे?

जैसे उस विवाद का अंत हुआ था…कल भी कुश जी ने मेरी पोस्ट पर दूसरी टिप्पणी में मियांजी जैसे बेनामी टिप्पणीकारों की भर्त्सना करते हुए उनका आईपी अड्रैस पता करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था…मैं भी यही चाहता हूं कि एक बार माहौल खराब करने वाले या दो ब्ल़ॉगर के बीच कटुता पैदा करने की साजिश करने वाले इन मियांजी जैसे बेनामियों का सिर गंजा कर सरे बाज़ार जूते लगने चाहिए…कुश जी की दूसरी टिप्पणी जस की तस…

“मैं एक वेब डेवेलपमेंट कंपनी में हु.. कई बार किसी वेबसाईट के लिए डोमेन बुक करते है तो पता चलता है किसी ने बहुत पहले ही लिया हुआ है.. इसका ये मतलब नहीं कि हमने कोपी किया.. बस हमारी सोच और उनकी सोच मिलती है.. वैसे भी जो कुछ हम सोचते है वो कोई और भी कही ना कही सोच रहा होता है… ऐसा कई बार हो जाता है…सागर ने इस पोस्ट का लिंक दिया था.. लंच से पहले अपना लिंक तो दे ही दिया था जहाँ मैंने ये शब्द खोजा था.. आपने भी खोज लिया.. अच्छी बात है..फेक प्रोफाईल से काम लेना बहुत गलत है.. मेरे खिलाफ तो कई लोगो ने इस्तेमाल किया है… एक बार किसी ने डिम्पल के बारे में कायरता पूर्ण टिपण्णी की थी बहुत ही घटिया.. महफूज़ भाई से गुज़ारिश है कृपया उन लोगो के आई पी का पता लगाये.. ताकि इस ब्लोगिंग से कुछ तो गन्दगी दूर हो.. मेरी आवश्यकता पड़े तो बताइयेगा महफूज़ भाई..


खुशदीप भाई से कोई शिकायत नहीं.. ख़ुशी हुई कि अपनी सोच वाले और भी कई है..”

इस बीच मेरे पास सागर का भी फोन आया…जिसमें उसने बताया कि बेनामी की हरकत और मेरे कमेंट से कुशजी आहत हुए हैं…सागर ने ये भी कहा कि इस प्रकरण को यहीं खत्म कर देना चाहिए….सागर ने पोस्ट पर मुझे टिप्पणी में इस प्रकरण पर कुछ न लिखने की सलाह भी दी…

“शुक्रिया खुशदीप बाबू,
देर से आने के लिए मुआफी… सबसे पहले मेरा नाम का जिक्र अपने पोस्ट में किया इसके लिए शुक्रिया… सुबह से देख रहा हूँ इस पोस्ट को लेकिन फुर्सत निकल कर कमेन्ट नहीं कर पाया… कुश जी को लिंक मैंने ही दिया था क्योंकि आज वो चिठ्ठाचर्चा करने वाले थे… दुःख इस बात पर हुआ कि कुछ वरिष्ठ ब्लॉगर भी बड़े छोटे मन के हैं… इसपर ज्यादा कुछ नही कहूँगा … बस इतना याद दिलाना है कि कल आप कुछ और लिखने वाले हैं जिसका आपने वादा किया है… आप उस पर एकाग्र हों.. आप खुद इतना अच्छा माहौल बना कर लिखते हैं… पत्रकारिता का स्टुडेंट होने के नाते मैंने हमेशा से आपको पढ़ा… और आपने जिस तरेह से ब्लॉग को नियमित और मेंटेन रखा है वो प्रशंशनीय है… आपके पढने वाले कुछ नियमित पाठक हैं… उसे एक बेहतरीन पोस्ट से वंचित ना करें… बांकी सब चीजें आती जाती रहती हैं… अभी ज्यादा नहीं लिख सकता बॉस शनिवार को ऑफिस में ही होते हैं… .).).) हाँ सोमवार को नयी पोस्ट मत लिखिए… मैं सन्डे को पढ़ नहीं पाता… अपनी ब्लॉग्गिंग दफ्तर से खाली समय में होती है…”

लेकिन इसी बीच मेरे सवाल पूछने से नाराज होकर कुश जी ने तीसरी और आखिरी बार मेरी पोस्ट पर आकर ये टिप्पणी दी….

“@खुशदीप जी
मैंने अपने कमेन्ट के ऊपर आपका कमेन्ट पढ़ा नहीं था.. अगर पढ़ लिया होता तो कमेन्ट ही नहीं करता.. गलती थी जो यहाँ पर कमेन्ट किया.. जो लोग कान बंद करके बैठते है उन्हें आप कुछ समझा नहीं सकते.. आपको आपका शब्द मुबारक..और हाँ अपनी बात कहने के लिए मुझे बेनामी बनने की जरुरत भी नहीं.. गलती के लिए माफ़ी यहाँ दोबारा आ गया..”

अब लो कल्लो बात की तरफ से फाइनल ब्लास्ट..

मैंने तो कहीं नहीं कहा कि मेरा ब्लॉगवुड पर पेटेंट है, लेकिन कुश जी की आठ अक्टूबर
2008 से पहले भी 19 जुलाई 2008 को तरुण जी ब्लॉगीवुड नहीं ब्लोगवुड शब्द का इस्तेमाल कर चुके हैं…लिंक ये रहा…

भले ही फ्लाप आश्रम चलायें लेकिन इन ब्लोग को मत पढ़िये

अब आपने सब कुछ पढ़ लिया…मैंने अपनी तरफ से सब कुछ साफ करने की कोशिश है…अब अगर मैं गलत हूं तो सभी बड़े और सम्मानित जन मेरे कान पकड़ सकते हैं…मेरा इस पोस्ट को लिखने का आशय यही था कि ये बेनामी टिप्पणीकार किसी भी पोस्ट पर आकर ज़हर बुझे तीर चलाकर ब्ल़ॉगवुड में सौहार्द के माहौल को तार-तार करना चाहते हैं…इस गंदगी को रोकने के लिए ज़रूर कुछ न कुछ किया जाना चाहिए…

बाकी ब्लॉगवुड के इस विवाद को यहीं दफन कर देना चाहिए…किसी को ब्ल़ॉगवुड शब्द अच्छा लगता है तो इस्तेमाल करे, नहीं लगता तो न करे…ये अपनी-अपनी सुविधा का सवाल है…मेरे पास वैसे भी ऐसे पचड़े पालने के लिए वक्त नहीं है…गलत बात न किसी से करता हूं और न ही गलत बात किसी की सहता हूं…अब इस मसले पर मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा…चलिेए छोड़िए ये सारा चक्कर, आइए मूड बदलने के लिए स्लॉग ओवर पर…

स्लॉग ओवर

मक्खन ने मक्खनी को आगाह करते हुए कहा कि अगर उसके लिए कोई फोन आए
तो कहना कि घर पर नहीं हूं...फोन आता है…मक्खनी फोन उठाती है… कहती
है…वो घर पर है…मक्खन घूरते हुए कहता है…ये क्या कहा, मैंने क्या कहा था…
मक्खनी…फोन तुम्हारे लिए नहीं मेरे लिए था….