मर्द का दर्द न जाने कोए…खुशदीप

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता…होता है जनाब मर्द को भी दर्द होता है…कहो तो साबित कर सकता हूं…तो सुनिए फिर मर्दों के दिल से ही निकला दर्द…

दर्द नंबर एक

मर्द पैदा होता है, बधाई और फूल मां को मिलते हैं…

शादी होती है, तोहफ़े और लाइमलाइट दुल्हन को मिलती है…

मरता है, बीमे की रकम पत्नी को मिलती है…

फिर भी नारियां पुरुषों के वर्चस्व से मुक्त होने की बात करती हैं…

दर्द नंबर दो

औसतन एक मर्द की ज़िंदगी बंटी होती है-

20 साल मां के ये पूछने पर- कहां जा रहे हो…

इसी सवाल को फिर 40 साल पत्नी पूछती है…

और अंत आने के बाद शोक जताने वाले हैरत जताते हैं- जाने कहां चला गया…

दर्द नंबर तीन

शादी के बाद विदाई का वक्त आया…दुल्हन को उसके पिता गाड़ी तक छोड़ने आए…तभी दुल्हन ने पिता के हाथ में कुछ थमा कर मुट्ठी बंद कर दी…सब जानने को उत्सुक कि आखिर दुल्हन ने पिता को क्या दिया है…सबकी नज़रें देखकर पिता ने ऐलान किया…लेडीज़ एंड जेंटलमैन…आज का दिन मेरे लिए बड़ा सौभाग्यशाली है…आखिरकार मेरी बेटी ने मुझे मेरा क्रेडिट कार्ड वापस कर ही दिया…ये सुनकर वहां एक शख्स को छोड़कर बाकी सब खिलखिला कर हंसने लगे…और  वो शख्स  था- दूल्हे राजा…

दर्द नंबर चार

एक आदमी सड़क पर जा रहा था कि पीछे से आवाज़ आई…एक भी कदम और आगे बढ़ाया तो ईंट तुम्हारे सिर पर गिरेगी और तुम्हारा काम तमाम हो जाएगा…आदमी वहीं रुक गया…तभी उसके सामने बड़ी सी ईंट आकर गिरी…आदमी हैरान-परेशान..थोड़ी देर रुकने के बाद वो सड़क क्रॉस करने के लिए आगे बढ़ा तो फिर वही आवाज आई…ठहरो…जहां हो वहीं खड़े रहो…वरना तेज़ रफ्तार कार तुम्हे यहीं कुचल देगी…आदमी वहीं जड़ हो गया…तभी वाकई एक  तेज़ रफ्तार कार उसे छूते-छूते ज़ूम से आगे निकल गई…आदमी ने आवाज़ देने वाले से पूछा…आखिर तुम हो कौन…आवाज़ आई…मैं तुम्हारा रखवाला फरिश्ता हूं…इस पर वो आदमी थोड़ी देर सोचने के बाद तमतमाते हुए  बोला….फिर उस वक्त कहां सोए पड़े थे, जब मेरी शादी हो रही थी….

(निर्मलतम हास्य)

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