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डॉक्टर मक्खन से…
आई एम सॉरी, तुम्हारी पत्नी मक्खनी अब दो दिन की ही मेहमान है…
मक्खन…
आप क्यों परेशान होते हैं…
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मेरा क्या है जहां बीस साल निकाल दिए, वहां ये दो दिन भी जैसे-तैसे कट जाएंगे…
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मक्खन का मक्खनी से झगड़ा हो गया…
मक्खन गुस्से में घर से बाहर जाने लगा…
मक्खनी ने पूछा….अब जा कहां रहे हो…
मक्खन…मरने जा रहा हूं…
मक्खनी ने कहा…एक मिनट ठहरो…
मक्खनी ने मक्खन को डेयरी मिल्क चाकलेट लाकर दी और बोली…
कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खा लेना चाहिए…काम अच्छा होता है…
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गुल्ली स्कूल से खुशी खुशी घर आया…
आते ही मक्खन से बोला…
डैडी जी, डैडी जी…कल से आप की सारी फ़िक्र दूर हो जाएगी…
मक्खन…
क्यों भई, कल कौन सा अलादीन का चिराग हाथ लग जाएगा, जो हमारी कड़की दूर कर देगा…
गुल्ली…
ओ, नहीं डैडी जी…
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मेरी मैथ्स टीचर ने कहा है कि कल वो पैसों को रुपयों में बदलना सिखाएगी…
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मक्खन पर बिजली का तार गिर गया…
मक्खन तड़प तड़प कर मरने लगा…
एक मिनट बाद उसे कुछ याद आया और वो सीधा खड़ा होकर कपड़े झाड़ता हुआ बोला…
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साल्या ने खामख्वाह तरा कड देता, दो दिना दी ते पूरे शहर विच बत्ती ही नहीं आंदी पई…
(सालों ने खामख्वाह डरा दिया, दो दिन से तो पूरे शहर में बिजली ही नहीं आ रही…)
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मक्खन आ गया और हम भी आ गए।
मख्खन की अपनी औकात नहीं है.
डबल रोटी यहां है नहीं.
थोड़ा गरीबों का भी ख्याल रखना थ न ?
आयं ….कौन कौन आउट आफ़ सिलेबस हैं जी खुशदीप भाई । देखिए हम तो खुदे दु तीन महीना के एबसेंटी के बाद परजेंट सीरीमान हुए हैं …लेकिन अब जब लौटे हैं तो बहुत जल्दी ही पटरी पर ऊ रेलगाडी दौडाएंगे कि बस..। मक्खनवा को …रेभाईटल का जूस भोर साम पिलाइए ..बीच बीच में अलोवेरा फ़ेंट के । मक्खनवा कमाल है , हमेशा से ही । बताया जाए के के है और जो अबसेंटी चल रहा है किलास से फ़ौरन व्हिप जारी करते हैं …
हा हा हा सही है …समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
मक्खन इज बैक . लेकिन खुशदीप भाई सारे धुरंधर कवि , लेखक और गुरु ब्लोगर्स यहाँ बैक दिखाकर पुस्तक में मूंह छिपाए हुए हैं . 🙂
मक्खन इज़ बैक … हा हा पढ़कर आनंद आ गया ….
मख्खन कमाल की चीज है खुशदीप भाई …
इसकी नीलामी करो , वारे न्यारे हो जायेंगे !
haa haa
🙂 mast hai ji…. Kash gaye bloggers bhi itni masti ke saath hi wapas aa jaen.
jaise makkhan vapas aaye vaise blogger bhee vapas aa jaayenge 🙂
Aameen. 🙂
@Rachanaji
To sharpen your memory it is inspired from column of my all-time favourite Khushwant Singh. Jokes are always get copied or inspired from somewhere and get circulated very fast with so many communication tools in this net-age …
Jai Hind…
गुल्ली…
ओ, नहीं डैडी जी…
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मेरी मैथ्स टीचर ने कहा है कि कल वो पैसों को रुपयों में बदलना सिखाएगी…
this is copied khushdeep
i read it in todays news paper !!!!!!!!!!!!
ध्यान रखिएगा ताकि मक्खन-मक्खनी को कुछ होने न पाए.दोनों की बड़ी दरक़ार है ब्लॉगिंग को.
चलिये, लोगों को लिखने के लिये उकसाया जाये।
उधर फ़त्तू की वापसी हुई इधर मक्खन की। खालीपन और भारीपन की असलियत तो सबको पता ही है।
हा हा हा ! आखिरी वाला तो कमाल का है ।
कुछ दिन से हम भी नहीं हँसे थे । शुक्रिया ।
खूब कही,मखन मखनी का सिल्सिल्स चलता रहे तो ही अच्छा है
अभी सबको खबर कर के आ रहा हूँ कि मक्खन लौट आया है… पार्टी……………हुर्रे……..
बढ़िया फ़ैसला.
मक्खन का ना कर ले कोई हाईजैक ! 🙂