आपने महाभारत पढ़ी हो या देखी हो (अरे टीवी सीरियल भाई) तो बकासुर का नाम ज़रूर सुना होगा…आज आपको उसी राक्षस बकासुर की कहानी सुनाने का मन कर रहा है…क्यों कर रहा है…ये पोस्ट के आखिर में…पहले कहानी…
एकाचक्र शहर के पास बकासुर नाम का असुर रहता था…बकासुर से बड़े और किसी भुख्खड़ का ज़िक्र हिन्दू पौराणिक कथाओं में नहीं मिलता…बकासुर का इतना आतंक था कि एकाचक्र का राजा भी उससे बड़ा खौफ खाता था…राजा बिना नागा टनों के हिसाब से चावल और दो भैंसे बकासुर के पास भिजवाता था…बकासुर ये तो खाता ही खाता था, राजा की ओर से जो भी आदमी सारा सामान लेकर जाता था, उस आदमी को भी चट कर जाता था…कहते हैं कि प्राचीनकाल में जिस शहर को एकाचक्र बुलाया जाता था वो आज महाराष्ट्र के जलगांव ज़िले का इरानडोल है…हिन्दू मान्यता के अनुसार वनवास के दौरान पांचों पांडव माता कुंती के साथ एकाचक्र में ही रहे थे…एक बार एक जवान लड़के की मां ने कुंती के पास जाकर गुहार लगाई कि उसके इकलौते बेटे को बकासुर का खाना लेकर जाना है…यानि साफ़ था कि उसे भी बकासुर का ग्रास बनना था…कुंती ने उस मां को आश्वासन दिया और उसके लड़के की जगह भीम को खाने का सामान लेकर बकासुर के पास जाने का आदेश दिया…भीम ने आदेश का पालन किया…लेकिन जब भीम बकासुर के पते पर पहुंचे तो उस वक्त बकासुर वहां मौजूद नहीं था…भीम ने खाली वक्त में बकासुर के चावल ही खाने शुरू कर दिए…बकासुर ने वापस आने पर ये नज़ारा देखा तो गुस्से से थर्र थर्र कांपने लगा…इसके बाद बकासुर और भीम में भीषण युद्द हुआ…दोनों ज़मीन से पेड़ उखाड़ कर ही एक दूसरे पर वार करने लगे…अंतत: भीम ने बकासुर को दोनों टांगों से पकड़ कर चीर डाला…मरते हुए बकासुर ने भीम से पानी मांगा…भीम ने शक्तिशाली भुजा से एक चट्टान पर चोट कर बकासुर के लिए पानी निकाला…इरानडोल शहर के बाहर आज भी सैलानी चावल के गिरे होने की जगह और पानी का तालाब देख सकते हैं…ये तो रही महाभारत के बकासुर की कहानी…
लेकिन हम महाभारत के युग में नहीं वर्तमान के भारत में जी रहे हैं…फिर आज बकासुर की कहानी सुनाने का मतलब…अब यहां ठहर कर थोड़ा सोचिए…क्या आज हमारे देश में बकासुर एक नई शक्ल लेकर नहीं खड़ा…भ्रष्टाचार का बकासुर…बकासुर की खुराक का फिर भी अंदाज़ लगाया जा सकता था…लेकिन आज के इस बकासुर की भूख की कोई थाह नहीं…कितना माल रोज़ ये अपने अंदर ठूंस कर डकार भी नहीं लेता…
आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि ने अपने चहेते और पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए राजा के बचाव की खातिर बयान दिया कि क्या राजा बकासुर है जो टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड़ रुपये हज़म कर जाए और किसी को दिखे भी न कि ये पैसा कहां गया…करुणानिधि राजनीति में आने से पहले तमिल फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखने में माहिर थे…उनका ये हुनर आज भी बरकरार है…इस वक्त करुणानिधि की पहली फिक्र अपने लंबे चौड़े परिवार के लिए राजनीतिक उत्तराधिकार की स्क्रिप्ट लिखने की है…सब जानते हैं कि बेटे एम के स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर करुणानिधि की पहली पसंद हैं…लेकिन करुणानिधि के बड़े बेटे अझागिरी और बेटी कनीमोझी ही इसके सख्त खिलाफ हैं…पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा की हैसियत भी करूणानिधि के परिवार के किसी सदस्य की तरह ही है…दलित समुदाय से आने वाले राजा राजनीति में आने से पहले कविताएं लिखा करते थे…इसी कविता के माध्यम से राजा ने करुणानिधि के पास पहुंचने में कामयाबी पाई…राजा को केंद्र में मंत्री करुणानिधि के दबाव के चलते ही बनाया गया था…लेकिन टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के उजागर होने के बाद हर तरफ से राजा पर इस्तीफे के लिए दबाव पड़ने लगा…आखिर करुणानिधि को बड़ी मायूसी से राजा को इस्तीफे के लिए कहना पड़ा…
खैर राजा के नाम के आगे तो एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड़ घोटाले का ही आरोप लगा है…अब कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, होम लोन घोटाला, यूपी का खाद्यान्न घोटाला आदि आदि इन सब को याद कीजिए…ऐसे ही न जाने कितने छोटे-बड़े घोटाले रोज देश में होते हैं…आप और हम जैसों की ओर से टैक्स के लिए दी जाने वाली रकम घोटालेबाज़ों के पेट तक पहुंचती सो पहुंचती है, ये गरीबों के अनाज तक को चट करने में भी माथे पर शिकन नहीं लाते……मेरा सवाल यही है कि आधुनिक युग के भ्रष्टाचार रूपी इस बकासुर को चीरने के लिए कौन सा भीम भारत की धरती पर जन्म लेगा…और जिन हाथों में हमने देश और अपनी तकदीर छोड़ रखी है, वो खुद ही जाने-अनजाने कभी कॉमनवेल्थ गेम्स तो कभी टू जी स्पेक्ट्रम के ज़रिए इस बकासुर के पेट में तगड़ी खुराक पहुंचाते रहते हैं…जिस देश में हर कोई रातोंरात अमीर बनने के सपने देखता हो, वहां सभी बकासुर की राह पकड़ते नज़र आएं तो ताज्जुब किस बात का…
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