ब्लॉगिंग के लौहपुरुष कोपभवन में…खुशदीप

बहुत बड़ा लोचा हो गया है…मुझे अभी अभी ब्लॉगिंग के लौहपुरुष सतीश सक्सेना भाई जी ने अपने पर्सनल सेक्रेटरी टीपक मरोड़ा के ज़रिए एक चिट्ठी भिजवाई है…

चिट्ठी में सतीश भाई ने जो लिखा है, उसकी वजह से ब्लॉग बिरादरी की आपातकालीन बैठक बुलाना ज़रूरी हो गया है…मैं चाहता हूं कि आप सब पहले सतीश भाई की चिट्ठी पढ़ लें…

समस्त ब्लॉगर बिरादरी,


मैंने पूरी जिंदगी ब्लॉगिंग और ब्लॉगरों की सेवा करने में गर्व और संतुष्टि हासिल की है…कुछ समय से मैं अपने आपको ब्लॉगिंग की इस दुनिया के मौजूदा काम करने के तरीके और दिशादशा से जोड़ नहीं पा रहा हूं…मुझे नहीं लगता कि यह वही आदर्शवादी विधा है जिसे जीतू भाई, पंडित अनूप शुक्ल जी, कविमना समीर लाल और टेक्नोक्रेट रवि रतिलामी ने अपने खून-पसीने से सींचा और जिस मंच का एकमात्र मकसद हिंदी और हिंदीभाषियों का उत्थान था…


आज हमारे ज्यादातर ब्लॉगर अब सिर्फ अपने निजी हितों को लेकर चिंतित हैं…इसलिए मैंने पार्टी के तीन अहम पदों अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारिणी, परामर्श बोर्ड और अवार्ड चयन समिति से इस्तीफा देने का फैसला किया है… इस पत्र को मेरा इस्तीफा माना जाए…


सतीश सक्सेना


20-06-2013


वाकई सतीश भाई का ये इस्तीफ़ा ब्लॉगिंग के लिए बहुत बड़ा संकट काल है…सतीश भाई के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती…इसके लिए उन्हें हर हाल में मनाया जाएगा…इसके लिए इंदौर में तंग मुख्यालय में ब्लॉग तंग चालक ताऊ जी महाराज से भी संपर्क साधा गया है…

मैंने खोज़ी पत्रकारिता के माध्यम से पता लगाया है कि सतीश भाई की नाराज़गी के पीछे किसी अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर शिरोमणि अवार्ड समारोह का लफड़ा है…इसके ज़रिए सतीश भाई को संदेश भेजा गया कि अब वो चीफ़ इन वेटिंग से चीफ़ नहीं बन सकते…इसलिए आजीवन अध्यक्ष बनकर सिर्फ मार्गदर्शक की भूमिका निभाएं…बाकी सब मक्खन जैसी युवा पीढ़ी के लिए छोड़ दें…सुना है इस सोच के पीछे इंदौर में तंग मुख्यालय का ही दिमाग काम कर रहा है…

वैसे ये दो पोस्ट हैं, जिनकी वजह से ये सब लोचा हुआ है…

अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड में भाग लें -सतीश सक्सेना

“अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर शिरोमणि अवार्ड” – 2013 आयोजित

 

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