बेवक्त ये गाना मैं आपको सुना रहा हूं…ब्लॉगिंग के 14 महीने में आज एक ऐसी घटना मेरे साथ हुई जो पहले कभी नहीं हुई…इसलिए कभी सोचता हूं कि मैं कुछ कहूं…कभी सोचता हूं कि मैं चुप रहूं…अब रात को ही किसी नतीजे पर पहुंच पाऊंगा…तब तक इस गीत के ज़रिए ही अपने अंदर की कशमकश दिखाता हूं…
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहन दो,
मैं गम को खुशी कैसे कह दूं,
जो कहते हैं, उनको कहने दो,
ये फूल चमन में कैसे खिला,
माली की नज़र में प्यार नहीं,
हंसते हुए क्या क्या देख लिया,
अब बहते हैं आंसू बहने दो,
ये ख्वाब खुशी का देखा नहीं
देखा जो कभी तो भूल गए,
मांगा हुआ तुम कुछ दे ना सके,
जो तुमने दिया वो सहने दो,
क्या दर्द किसी का लेगा कोई,
इतना तो किसी में दर्द नहीं,
बहते हुए आंसू और बहे,
अब ऐसी तसल्ली रहने दो,
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहने दो…
- बिलावल भुट्टो की गीदड़ भभकी लेकिन पाकिस्तान की ‘कांपे’ ‘टांग’ रही हैं - April 26, 2025
- चित्रा त्रिपाठी के शो के नाम पर भिड़े आजतक-ABP - April 25, 2025
- भाईचारे का रिसेप्शन और नफ़रत पर कोटा का सोटा - April 21, 2025
क्या हुआ खुशदीप भाई? सब खैरियत तो है ना?
ऒऎ खुशदीप पुत्तर, ठँड रख !
हलाल किया गया तेरा कॅमेन्ट मैं छापूँगा, क्योंकि मुझे बीस मिनट में ऑफ़िस पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है ।
आज तक पूरा देश मलेरिया से ग्रस्त है, क्योंकि वह कुनैन की गोली से डरता है, और पड़ोसी के घर कूड़ा फ़ेंकता है ।
खुद को बुद्धिजीवी घोषित कर बाकियों को छद्म-बुद्धिजीवी करार देता है, और मुन्नी बदनाम का दागदार लहँगा पहन यहाँ भीड़ में घुस कर तमाशा देख रहा है, ऒऎ खुशदीप पुत्तर, ठँड रख !
मेरी मानो तो आप दिमाग की सुनो । दिल तो…. ।
kah daalo bhaai !
क्या हुआ सर जी? …
इंतजार है ।
गैरो में क्या दम था, हमें तो अपनों ने लूटा
मेरी कश्ती तो वहां ढूबी जहां पानी कम था !!
किसी निकटतम बँधु ने दुख पहुँचाया है ॥ भाई खुशदीप जी खुश रहिए ।
very good idea darling.
ऐसा क्या हो गया, खुशदीप भाई…जो ये गाना याद आ गया?
कह डालिए अपने मन की.
कह देना चाहिये। अगर ब्लॉग एक परिवार की तरह है तो कहना गलत नहीं है।
अब कह भी दीजिये
एक चुप सौ को हराता है . दिल की ही सुनिये .
.
.
.
यह टंकी पर चढने वाली बात ना हो तो अच्छा
खुशदीप भाई जो कहना है खुल कर कहॊ, डर किस बात का चलो इंतजार हे आप की बात का…..
कह ही डालिए अब 🙂
बंद हो मुट्ठी तो लाख की
खुल गई तो फिर खाक की
इशारों को अगर समझो….
खुशदीप का काम है खुश रहना और दूसरों को खुश रखना दूसरों को खुश रखने के लिये आँसू तो पीने ही पदते है
वो बस हसाना जानता है
सब को लुभाना जानता है।
जल्दी से कशमक्श से निकलो। आशीर्वाद।
चुप हूं तो कलेजा जलता है
बोलूं तो तेरी रुसवाई है 🙂
यहाँ लिखा नहीं ….. फोन उठा नहीं रहे ….पता कैसे चले क्या हुआ है ???
खुशदीप भाई , जब आप ऐसा कह रहे हैं तो इसका मतलब कि कुछ बहुत ही गंभीर अपने भीतर लिए बैठे हैं ….और हम तो यही कहेंगे कि ..ले आईये सब कुछ बाहर ..फ़िर जो भी उसका नतीजा
हमारे विचार से तो चुप रहने से कह देना बेहतर है।
अब तो टेंशन हो रही है कि क्या हुआ…जल्दी बताओ.
दिल की गिरह खोल दो……………॥
कहूँ या
राज को राज रहने दो…………॥
कुछ समझ नहीं पाया।
शुभ हो, बस यही प्रार्थना है जी
प्रणाम
इतना सस्पेंस काहे को..
अब कह भी दीजिये….हाँ नहीं तो…!!
ye to thik hai magar baat kya hai wo bhi to batate.
यह गीत बहुत ही प्यारा सन्देश दे रहा है!
दर्दनाक है खुशदीप भाई ……खुदा खैर करे 🙂
खुशदीप सर, चुप मत रहिये……….. जो कहना हो वो कहिये…. बाकि रहे दुनिया वाले – उनका काम है कहना – कुछ तो वो जरूर कहेंगे.
पर दिल में बात रखने से बंद ज्यादा परेशान होता है – मैं ये मानता हूँ.
aisee bhee kya baat hai bhai……..?
shubhkamnae .
बढ़िया प्रस्तुति..चिट्ठाजगत की बत्ती जली मिली … चिट्ठाजगत टीम को बधाई.