आज आपको इस माइक्रोपोस्ट से यक़ीन हो जाएगा कि मर्द बेचारे कितने बेचारे होते हैं…
मसलन…
अगर औरत पर हाथ उठाये तो : ज़ालिम
औरत से पिट जाये तो : बुज़दिल
चुप रहे तो : बेगैरत
घर से बाहर रहे तो : आवारा
घर में रहे तो : नकारा
बच्चों को डाटें तो : बेरहम
न डाटें तो : लापरवाह
पत्नी को नौकरी से रोके तो : शक्की-मिज़ाज
न रोके तो : पत्नी की कमाई खानेवाला
मां की माने तो : मां दा लाडला
पत्नी की सुने तो : जोरू का गुलाम
न जाने कब आएगा : Happy Mens Day ?
मुझे लगता है कि यहां तक पढ़ने के बाद मर्द डिप्रैशन में आना शुरू हो गए होंगे…
अब उनके डिप्रैशन को दूर करने के लिए परम श्रद्धेय बाबा खुशवंत सिंह जी के कॉलम से आभार लिया स्लॉग ओवर सुनाता हूं…
स्लॉग ओवर
जितने भी वफ़ादार पति होते हैं, मरने के बाद सीधे स्वर्ग में जाते हैं…
और जो पति वफ़ादार नहीं होते यानी नॉटी होते हैं वो…
…
…
…
जीते जी ही स्वर्ग धरती पर ले आते हैं…
(वैधानिक चेतावनी…मर्द अपने जोखिम पर इस स्लॉग ओवर के पालन की सोचें…वैसे बचेंगे तब सोचेंगे न..)
(विशुद्ध हास्य)
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आपने अपने इस आर्टिकल में जेंडर के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दिया है और बड़े ही प्यार से लिखा भी है. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने मेल फीमेल से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
धन्यवाद.
अक्षरशः सच लिखा आपने.
हे हे हे……नो कमेंट्स.
ek sunder atam chintan.
inextricable situations well highlighted!!!
मेरा ख़्याल है कि अब पुरूषवादी ब्लागों का ज़माना भी आया ही जानो
आपकी इस सुन्दर रचना की चर्चा
बुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!
हा हा हा .. दुनिया भर के सारे मर्दों से हमारी सहानुभूति रहनी चाहिए !!
मेरी सहानुभूती बेचारे मर्द नामक जीव के साथ है |
ओह रे कहाँ ठिकाना मिलेगा बेचारे मर्द को .. सही कही आपने. कौन सा रास्ता सही है सोंचकर मर्द बेचारा परेशान … स्लोग ओवर तगड़ा रन पिटवा गया…..
.
सृजन शिखर पर " हम सबके नाम एक शहीद की कविता "
च च च च च च….बिचारा मर्द…
नीरज
jabardast…. yuhin muskuraahat baante rahiye
पुरुषों की नियति पर बढ़िया हास्य..
आदरणीय खुशदीप जी
नमस्कार !
……………बहुत आनन्द आया।
खुशदीप जी हमारे स्कूल में एक लड़का था स्कूल के साप्ताहिक कल्चरल शो में वो अक्सर एक गाना गया करता था जिसकी कुछ लाइनें मुझें याद हैं ———–
यार मेरी घरवाली ने मुझे मारा ,
चकले से मारा बेलन से मारा ,
तवे से कर गयी मुंह काला ,
ओ यार मेरी घरवाली ने मुझे मारा ।
पेंट भी ले गयी , कमीज़ भी ले गयीं,
पाजामे का निकाल गयी नाड़ा ,
ओ यार मेरी घरवाली ने मुझे मारा ।
bhaijee ee sab batai ke dipression me lai diye huo
ab to bas….happy mens day….ki khabar dena…..
nahi to kal se ek tippni ka nuksan kare lio ……
bap re bap
pranam.
ये रचना शायद कुछ दिन पहले प[ाढी थी। वाकई बहुत अच्छी खोज है। कितना चिन्तन किया होगा इस पर? हा हा हा ।चलो बेचारे मर्द पर हंसने का एक अवसर तो मिला। आशीर्वाद।
खुशदीप जी, आज तो हँसते-हँसते पेट में बल पड़ गए। क्या विश्लेषण किया है? बहुत आनन्द आया।
हा हा! बेचारे मर्द!!
@सतीश भाई,
आप जबसे हमें मिलने लगे,
आपकी सोहबत में.
हम भी निखरने लगे…
जय हिंद…
6/10
संग्रहणीय पोस्ट 🙂
मर्दों के पक्ष में पहली बार कोई इतनी सशक्त पोस्ट देखी
वाह वा ..वाह वा …..खुशदीप बाबा
सो मैंने भी आप को पहचान लिया ……
बुजदिल
आवारा
नाकारा
लापरवाह
शक्की दा मिजाज़
माँ दा लाडला और जोरू का गुलाम दोनों आप हो ही …( यह कला सिर्फ आपको आती है )
आगे का तो मुझे भी नहीं मालुम ..?????
🙁
सच घटना है,मोहल्ले में बाप-बेटा दोनो दारु पीकर लड़ रहे थे।
किसी बात पर बाप को गुस्सा आ गया। उसने बेटे को दो चार थप्पड़ जड़ दिए। तो बेटे ने बाप से कहा –
राम लाल "मर्द को दर्द नहीं होता" हा हा हा हा
जय हो!
जिएं तो जिएं कैसे…?
बताइये, अब कोई करे तो क्या करे?
mard ki chintaon se aaap achhi tarah vakif hai
dhanyvad
आओ खुशदीप जी
खुशवंत जी से
मिलने चलते हैं
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है – पधारें – पैसे का प्रलोभन ठुकराना भी सबके वश की बात नहीं है – इस हमले से कैसे बचें ?? – ब्लॉग 4 वार्ता – शिवम् मिश्रा
bahut badddhiya.
🙂 😉 :p
पहले आप अपने बारे में बताओ … फिर हम इस स्लोग ओवर पर अमल करने के विचार के विषय में सोचेंगे !
तब तक हम बेचारे ही सही !
जय हिंद !
बेचारा…… खुश दीप जी कही यह पोस्ट हमारे लिये तो नही लिखी, कभी कभी हमे यह सब सुनाने पढते हे,ओर जो वफ़ा दार भी हो ओर नाटी भी हो उन की वल्ले वल्ले जी, राम राम जी