मैं कौन हूं…मैं असीमा हूं…इस सवाल की तलाश में तो बड़े बड़े भटकते फिरते हैं…फिर चाहे वो बुल्लेशाह हों-बुल्ला कि जाना मैं कौन..या गालिब हों…डुबोया मुझको होने ने…ना होता मैं तो क्या होता…सो इसी तलाश में हूं मैं…मुझे सचमुच नहीं पता कि मैं क्या हूं…बड़ी शिद्दत से यह जानने की कोशिश कर रही हूं…वैसे कभी कभी लगता है…मैं मीर,फैज और गालिब की माशूका हूं तो कभी लगता है कि निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो की सुहागन हूं…शायद लोगो को लग रहा होगा कि पागल हूं…होश में नहीं हूं…मुझे ये पगली शब्द बहुत पसंद है..,कुछ कुछ दीवानी सी…
ये ऊपर की पंक्तियां पढ़ कर आपको कुछ हुआ…मेरे अंदर तो सिहरन सी दौड़ गई…लगा कि क्या कोई शब्दों से भी अभिनय कर सकता है…ऊपर लिखा पढ़ कर खुद को रोक नहीं सका इस शख्सियत के बारे में और जानने से…असीमा भट्ट…प्रोफेशन- अभिनय…मुंबई में डेरा…अल्फाज़ों से ये क्या जादू जगा सकती हैं, चांद, रात और नींद में देखिए…
एक बार इनके यहां जाकर देखिए, मुझे याद रखेंगे…और हां इनकी हौसला-अफ़ज़ाई करना मत भूलिएगा…
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असीम जी के परिचय के लिए हार्दिक आभार।
शानदार तरीक! विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
असीमा जी अभिनय की धनी और बहुत टेलेन्टेड हैं…उन्होंने ज़िन्दगी को क़रीब से जाना-समझा है…
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (18-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
शुभकामनाएँ ही व्यक्त कर सकता हूँ!
आज पागलपन ही सबसे अच्छी चीज है..सब इसे अपना रहें हैं…नेता देश को बेचने का पागलपन अपना रहें हैं,उद्योगपति देश व समाज का खून चूसने का पागलपन अपना रहें हैं तो हम जैसे लोग इंसान बन्ने के पागलपन के शिकार बनकर संघर्षरत हैं…असीमा जैसे पागल से मिलवाने के लिए आपका आभार…ये पागलपन भी अजीब है…
असीमा वही
जिनके अच्छे विचारों की नहीं है
कोई भी सीमा।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
खुशदीप जी ,
शुक्रिया ..वहाँ से लौट कर आए हैं ..खूबसूरत ब्लॉग का पता दिया
क्या सही जगह पहुंचा दिया आपने.. मज़ा ही आ गया.. धन्यवाद..
तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
असीमा जी की दावत मे हम भी चले जी राम राम….
असीमा जी से परिचय कराने का शुक्रिया खुशदीप भाई.
नई ब्लोगर से परिचय करने के लिए आभार ।
कैसे ढूंढ लेते हो यार ।
पढ़वाने का आभार।
असीमा जी,
इस पोस्ट को आप पढ़ रही हैं तो अपने ब्लॉग से वर्ड वैरीफिकेशन या शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिए…इससे कमेंट देने वालों को परेशानी होती है…
वर्ड वैरीफिकेशन हटाने के लिए अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड पर जाकर सैटिंग्स पर जाइए…वहां कमेन्ट्स का कॉलम दिखेगा…उसे क्लिक कीजिए, सबसे नीचे होगा वर्ड वैरीफिकेशन (शब्द पुष्टिकरण) ज़रूरी है या नहीं…वहां नहीं वाले ऑप्शन को टिक कर दीजिए…वर्ड वैरीफिकेशन दिखना बंद हो जाएगा…
जय हिंद…
उस रात
तुम कहां थे चांद ???????
jai baba banaras……..
ये चलेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ले…………….
हो तो आये पर कुछ कह ना पाए … पुष्टिकरण के लिए दिया गया शब्द ही अधूरा दिख रहा था और काफी कोशिशो के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला … वैसे वहाँ जाना सार्थक रहा … असीमा भट्ट जी इस आमद के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं … आपका आभार !
एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
अभी जा रहे है …