मैं कौन हूं…मैं असीमा हूं…इस सवाल की तलाश में तो बड़े बड़े भटकते फिरते हैं…फिर चाहे वो बुल्लेशाह हों-बुल्ला कि जाना मैं कौन..या गालिब हों…डुबोया मुझको होने ने…ना होता मैं तो क्या होता…सो इसी तलाश में हूं मैं…मुझे सचमुच नहीं पता कि मैं क्या हूं…बड़ी शिद्दत से यह जानने की कोशिश कर रही हूं…वैसे कभी कभी लगता है…मैं मीर,फैज और गालिब की माशूका हूं तो कभी लगता है कि निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो की सुहागन हूं…शायद लोगो को लग रहा होगा कि पागल हूं…होश में नहीं हूं…मुझे ये पगली शब्द बहुत पसंद है..,कुछ कुछ दीवानी सी…
ये ऊपर की पंक्तियां पढ़ कर आपको कुछ हुआ…मेरे अंदर तो सिहरन सी दौड़ गई…लगा कि क्या कोई शब्दों से भी अभिनय कर सकता है…ऊपर लिखा पढ़ कर खुद को रोक नहीं सका इस शख्सियत के बारे में और जानने से…असीमा भट्ट…प्रोफेशन- अभिनय…मुंबई में डेरा…अल्फाज़ों से ये क्या जादू जगा सकती हैं, चांद, रात और नींद में देखिए…
एक बार इनके यहां जाकर देखिए, मुझे याद रखेंगे…और हां इनकी हौसला-अफ़ज़ाई करना मत भूलिएगा…