पेट्रोल प्राइजिंग का खेल
किस तरह आपकी, मेरी, हम सबकी जेब जला रहा है, इस पर कल की पोस्ट को ही आगे बढ़ा रहा हूं. पहले आप ये जान लीजिए कि हमारे देश में कच्चा तेल ही आयात किया जाता है.
बाकी कच्चे तेल को रिफाइन करने से लेकर विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल,
डीजल, एलपीजी, केरोसिन आदि) में तब्दील करने का सारा काम देश में ही होता है.
इसलिए किसी भी रिफाइन्ड पेट्रोलियम प्रॉडक्ट को विदेश से आयात नहीं किया जाता.
लेकिन देश की ऑयल कंपनियां उनकी प्राइजिंग ऐसे ही तय करती हैं जैसे कि उन्हें
काल्पनिक तौर पर विदेश से मंगाया जा रहा हो.
किस तरह आपकी, मेरी, हम सबकी जेब जला रहा है, इस पर कल की पोस्ट को ही आगे बढ़ा रहा हूं. पहले आप ये जान लीजिए कि हमारे देश में कच्चा तेल ही आयात किया जाता है.
बाकी कच्चे तेल को रिफाइन करने से लेकर विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल,
डीजल, एलपीजी, केरोसिन आदि) में तब्दील करने का सारा काम देश में ही होता है.
इसलिए किसी भी रिफाइन्ड पेट्रोलियम प्रॉडक्ट को विदेश से आयात नहीं किया जाता.
लेकिन देश की ऑयल कंपनियां उनकी प्राइजिंग ऐसे ही तय करती हैं जैसे कि उन्हें
काल्पनिक तौर पर विदेश से मंगाया जा रहा हो.
इसे ऐसे समझिए कि कोका-कोला
दुनिया में सभी जगह बिकता है. इसके लिए तमाम देशों में कोका कोला उत्पादन के
प्लांट भी लगे हुए हैं. रॉ मैटेरियल की स्थानीय कीमतें, लेबर चार्जेस के हिसाब से
कोका कोला की रिटेल प्राइज विभिन्न देशों में अलग अलग होती हैं. जैसे कि कोका कोला
की जो पैट बॉटल भारत में 35 रुपए की है वही लंदन में 110 रुपए की है. अब मान लीजिए
कोका कोला की इसी बॉटल को लंदन से इम्पोर्ट कर भारत में लाया जाए तो इसकी कीमत
बीमा, शिपिंग चार्ज, फ्रेट रेट, कस्टम ड्यूटी आदि लगाकर उपभोक्ता तक पहुंचते पहुंचते लगभग डेढ़ गुनी यानि 150 रुपए
की हो जाएगी.
दुनिया में सभी जगह बिकता है. इसके लिए तमाम देशों में कोका कोला उत्पादन के
प्लांट भी लगे हुए हैं. रॉ मैटेरियल की स्थानीय कीमतें, लेबर चार्जेस के हिसाब से
कोका कोला की रिटेल प्राइज विभिन्न देशों में अलग अलग होती हैं. जैसे कि कोका कोला
की जो पैट बॉटल भारत में 35 रुपए की है वही लंदन में 110 रुपए की है. अब मान लीजिए
कोका कोला की इसी बॉटल को लंदन से इम्पोर्ट कर भारत में लाया जाए तो इसकी कीमत
बीमा, शिपिंग चार्ज, फ्रेट रेट, कस्टम ड्यूटी आदि लगाकर उपभोक्ता तक पहुंचते पहुंचते लगभग डेढ़ गुनी यानि 150 रुपए
की हो जाएगी.
भारत की ऑयल कंपनियां
(रिफाइनरी) इसी फंडे यानि इम्पोर्ट पैरिटी प्राइजिंग से अपने उत्पादों की
कीमतें तय करती हैं. यानि काल्पनिक तौर पर माना जाता है कि अगर किसी रिफाइन्ड प्रॉडक्ट (जैसे कि रेडिमेड पेट्रोल) को विदेश
से मंगाया जाता तो उस पर क्या क्या खर्च बैठता. अब इसे ऐसे समझिए कि रिफाइन्ड
पेट्रोल सब देश में ही बन रहा है लेकिन उसकी रिफाइनरी कीमत ऐसे तय कर रही है जैसे
कि विदेश से मंगा रही हो. ये सब कुछ प्राइजिंग में जोड़ा जा रहा है कि पहले
इंटरनेशनल पोर्ट तक प्रोडक्ट को लाने और फिर उसे जहाज से भारत लाने में कितना
काल्पनिक खर्च आएगा. फिर उसमें इंश्योरेंस, कस्टम ड्यूटी कितनी लगेगी.
(रिफाइनरी) इसी फंडे यानि इम्पोर्ट पैरिटी प्राइजिंग से अपने उत्पादों की
कीमतें तय करती हैं. यानि काल्पनिक तौर पर माना जाता है कि अगर किसी रिफाइन्ड प्रॉडक्ट (जैसे कि रेडिमेड पेट्रोल) को विदेश
से मंगाया जाता तो उस पर क्या क्या खर्च बैठता. अब इसे ऐसे समझिए कि रिफाइन्ड
पेट्रोल सब देश में ही बन रहा है लेकिन उसकी रिफाइनरी कीमत ऐसे तय कर रही है जैसे
कि विदेश से मंगा रही हो. ये सब कुछ प्राइजिंग में जोड़ा जा रहा है कि पहले
इंटरनेशनल पोर्ट तक प्रोडक्ट को लाने और फिर उसे जहाज से भारत लाने में कितना
काल्पनिक खर्च आएगा. फिर उसमें इंश्योरेंस, कस्टम ड्यूटी कितनी लगेगी.
2010 में एक संसदीय समिति
को सरकार की ओर से बताया गया था कि एक बैरल क्रूड (कच्चे तेल) को रिफाइन करने पर रिफाइनरी को दो डॉलर खर्च आता है. साथ ही रिफाइनरी की जो भी लागत आती है उसमें से 80 फीसदी
क्रूड मंगाने पर ही खर्च होता है और बाकी 20 फीसदी अन्य चीजों पर. इसका सीधा मतलब है
कि क्रूड की अंतराष्ट्रीय कीमतों के चढ़ने-गिरने का रिफाइनरी के खर्च पर 80
फीसदी प्रभाव पड़ना चाहिए.
को सरकार की ओर से बताया गया था कि एक बैरल क्रूड (कच्चे तेल) को रिफाइन करने पर रिफाइनरी को दो डॉलर खर्च आता है. साथ ही रिफाइनरी की जो भी लागत आती है उसमें से 80 फीसदी
क्रूड मंगाने पर ही खर्च होता है और बाकी 20 फीसदी अन्य चीजों पर. इसका सीधा मतलब है
कि क्रूड की अंतराष्ट्रीय कीमतों के चढ़ने-गिरने का रिफाइनरी के खर्च पर 80
फीसदी प्रभाव पड़ना चाहिए.
एक सरकारी कमेटी ने ऑयल कंपनियों
की ओर से कीमतें तय करने के लिए एक फॉर्मूला तय कर रखा है. उसके हिसाब से अगर डॉलर
64 रुपए में मिल रहा है और कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत 30 डॉलर है तो पेट्रोल
रिफाइनरी को पेट्रोल के प्रति लीटर दाम मिलने चाहिए 13.44 रुपए. अगर
कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत 50 डॉलर है तो रिफाइनरी प्रति लीटर 22.33 वसूल कर
सकती है. 13 सितंबर के रेट के हिसाब से कच्चे तेल का रेट प्रति बैरल 52.36 डॉलर था
तो रिफाइनरी को एक लीटर तेल के अधिकतम 23.35 रुपए मिलने चाहिए थे. लेकिन वो वसूल
रही है 26.65 रुपए. यानि 3.30 रुपए अधिक कीमत रिफाइनरी की ओर से वसूली जा रही
है.
की ओर से कीमतें तय करने के लिए एक फॉर्मूला तय कर रखा है. उसके हिसाब से अगर डॉलर
64 रुपए में मिल रहा है और कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत 30 डॉलर है तो पेट्रोल
रिफाइनरी को पेट्रोल के प्रति लीटर दाम मिलने चाहिए 13.44 रुपए. अगर
कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत 50 डॉलर है तो रिफाइनरी प्रति लीटर 22.33 वसूल कर
सकती है. 13 सितंबर के रेट के हिसाब से कच्चे तेल का रेट प्रति बैरल 52.36 डॉलर था
तो रिफाइनरी को एक लीटर तेल के अधिकतम 23.35 रुपए मिलने चाहिए थे. लेकिन वो वसूल
रही है 26.65 रुपए. यानि 3.30 रुपए अधिक कीमत रिफाइनरी की ओर से वसूली जा रही
है.
रिफाइनरी की आर्थिक सेहत को
इस तरह भी समझिए. इंडियन ऑयल कंपनी का 2016 की तुलना में 2017 में खर्च 3 फीसदी घट
गया है, वहीं मुनाफे में 58 फीसदी की बढोतरी हुई है. इंडियन ऑयल ने 2016-17 में
कुल 17,242 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया है. सरकार को ऑयल कंपनियों से डिविडेंट मिलता
है. बीते साल सरकार को इन कंपनियों से 8 से 10 हजार करोड़ डिविडेंट के मिले. इस
साल जनवरी में सरकार ने ऑयल कंपनियों को साफ किया है कि उसे एक साल में 16 हजार
करोड़ डिविडेंट के तौर पर मिलने चाहिए.
इस तरह भी समझिए. इंडियन ऑयल कंपनी का 2016 की तुलना में 2017 में खर्च 3 फीसदी घट
गया है, वहीं मुनाफे में 58 फीसदी की बढोतरी हुई है. इंडियन ऑयल ने 2016-17 में
कुल 17,242 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया है. सरकार को ऑयल कंपनियों से डिविडेंट मिलता
है. बीते साल सरकार को इन कंपनियों से 8 से 10 हजार करोड़ डिविडेंट के मिले. इस
साल जनवरी में सरकार ने ऑयल कंपनियों को साफ किया है कि उसे एक साल में 16 हजार
करोड़ डिविडेंट के तौर पर मिलने चाहिए.
अब तक आप समझ ही होंगे कि
तेल के इस खेल में किसकी चांदी हो रही है. अब इसके अलावा भी देखिए कि ऑयल पीएसयू
के पैसे का इस्तेमाल किस तरह होता है. इस साल 27 मई से 18 जून के बीच मोदी सरकार
के 3 साल पूरे होने पर 543 जिलो में ‘सबका साथ, सबका विकास सम्मेलनों’ का आयोजन किया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया में इस साल 30 मई को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, ओएनजीसी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन आदि ऑयल
पीएसयू को 223 कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दी गई. 20 जून 2017 को इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार ऐसे एक एक कार्यक्रम पर 50-50 लाख रुपए तक खर्च किए गए.
तेल के इस खेल में किसकी चांदी हो रही है. अब इसके अलावा भी देखिए कि ऑयल पीएसयू
के पैसे का इस्तेमाल किस तरह होता है. इस साल 27 मई से 18 जून के बीच मोदी सरकार
के 3 साल पूरे होने पर 543 जिलो में ‘सबका साथ, सबका विकास सम्मेलनों’ का आयोजन किया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया में इस साल 30 मई को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, ओएनजीसी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन आदि ऑयल
पीएसयू को 223 कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दी गई. 20 जून 2017 को इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार ऐसे एक एक कार्यक्रम पर 50-50 लाख रुपए तक खर्च किए गए.
6 जून 2017 को इंडियन
एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने ऑयल एंड गैस पीएसयू से गुजरात के
साधु बेट में बन रही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट के लिए 200 करोड़ रुपए देने के
लिए कहा. यहां सरदार सरोवर बांध के पास सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई
जानी है. ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन (ONGC) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से 50-50 करोड़ देने के लिए कहा गया. वहीं ऑयल इंडिया लिमिटेड, गेल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के
जिम्मे 25-25 करोड़ रुपए आए. इन्हें कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के
तहत ये रकम देने के लिए कहा गया.
एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने ऑयल एंड गैस पीएसयू से गुजरात के
साधु बेट में बन रही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट के लिए 200 करोड़ रुपए देने के
लिए कहा. यहां सरदार सरोवर बांध के पास सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई
जानी है. ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन (ONGC) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से 50-50 करोड़ देने के लिए कहा गया. वहीं ऑयल इंडिया लिमिटेड, गेल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के
जिम्मे 25-25 करोड़ रुपए आए. इन्हें कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के
तहत ये रकम देने के लिए कहा गया.
स्लॉग ओवर
पेट्रोल पर काफ़ी भारी भरकम
आपने पढ़ लिया…पेट्रोल के दामों की चिंता से मुक्त होना है तो मक्खन वाला
नुस्ख़ा अपनाइए जो उसने मुझे बताया…उसने कहा…
आपने पढ़ लिया…पेट्रोल के दामों की चिंता से मुक्त होना है तो मक्खन वाला
नुस्ख़ा अपनाइए जो उसने मुझे बताया…उसने कहा…
ओ बाओजी लोकि एवें ई
पेट्रोल दियां कीमतां वधन ते शोर पाउंदे रहदें ने…साणूं वेखो साणूं कोई फ़र्क
नहीं पैंदा…आपां पहलां वी विक्की विच 100 रुपए दा पेट्रोल पवांदे सी, हुणे वी 100 दा ई पवांदे वां…दसो साडि जेब तो एक्स्ट्रा की गया…नहीं नहीं दसो…
पेट्रोल दियां कीमतां वधन ते शोर पाउंदे रहदें ने…साणूं वेखो साणूं कोई फ़र्क
नहीं पैंदा…आपां पहलां वी विक्की विच 100 रुपए दा पेट्रोल पवांदे सी, हुणे वी 100 दा ई पवांदे वां…दसो साडि जेब तो एक्स्ट्रा की गया…नहीं नहीं दसो…
(अरे बाऊजी लोग ऐसे ही
पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर शोर मचाते है…हमें देखो, हमें कोई फ़र्क नहीं
पड़ता…मैं पहले भी विक्की में 100 रुपए का पेट्रोल डलवाता था, अब भी 100 रुपए का
ही डलवाता हं…वताओ मेरी जेब से एक्स्ट्रा क्या गया…नहीं नहीं बताओ…)
पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर शोर मचाते है…हमें देखो, हमें कोई फ़र्क नहीं
पड़ता…मैं पहले भी विक्की में 100 रुपए का पेट्रोल डलवाता था, अब भी 100 रुपए का
ही डलवाता हं…वताओ मेरी जेब से एक्स्ट्रा क्या गया…नहीं नहीं बताओ…)
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