लंदन के कूल कूल माहौल से शिखा वार्ष्णेय ने बड़ी कूल पोस्ट लिखी है…वरना जून की गर्मी में क्या ब्लॉग और क्या देश, हर जगह पारा ऐसा चढ़ा हुआ है कि नवरत्न कूल तेल भी कोई काम नहीं कर रहा…दिमाग भन्नौट हुए जा रहे हैं…इंद्रदेव अपनी ठंडी फुहारों से इसे ठंडा करते, उससे पहले ही शिखा जी ने इंद्रलोक की ब्लॉगिंग की रिपोर्टिंग करके सबको चिल कर दिया…शिखा के अंदर का पत्रकार जानता है कि लोगों को हंसाते हंसाते तीर कहां निशाने पर लगाना है…शिखा जी !… सटीक चोट की है…समझने वाले समझ गए जो न समझे, वो अनाड़ी है…नहीं समझे…
हाय कितने मासूम हैं, हम सब पुरुष ब्लॉगर…
पहले शिखा के इस पैराग्राफ़ के एक-एक शब्द को गौर से पढ़िए…
और प्रभु उसपर स्वर्ग की देवियों और अप्सराओं ने भी ब्लॉगिंग शुरू कर दी है, अब तक तो वे देवताओं के कामों में ही उलझी रहती थीं…अब जब से लिखना शुरू किया है कमाल हो गया है…. ऐसा लिखती हैं कि सब खिचे चले जाते हैं…हमने तो यहाँ तक फैलाया कि अप्सराओं के लेखन पर नहीं, वे अप्सराएँ हैं इसलिए लोग जाते हैं…उनकी पोस्ट पर.परन्तु कोई फायदा नहीं प्रभु! उनके लेखन में ताजगी है,मौलिकता है और उनके पास समय भी है…प्रभु !….हमें तो कोई पूछता ही नहीं…अब कितना किसी को भड़काएं…
अब पोस्ट पर आई कुछ टिप्पणियों पर गौर फरमाइए…
वंदना जी ने कहा-
मज़ा आ गया शिखा…………सारी पोल खोल दी……………ऐसे व्यंग्य आते रहने चाहिये ताकि कोई ब्लोगर यदि सिर उठाये तो कुचला जा सके अपने व्यंग्यों से…………हा हा हा…
अजित गुप्ता जी के शब्द-
इस बहाने महिला ब्लागरों की तो खूब तारीफ हो गयी, हम तो गद गद हुए…अब चाहे दिव्या की हो या रश्मि रविजा की लेकिन हमें तो लगता है कि हम सबकी ही हो गयी…अपने मियां मिठ्ठू बन गए हैं जी…बढिया लिखा है, डोलने दो इन्द्र का सिंहासन, बस कहीं उस पर भी इंन्द्राणी ना बैठ जाए! हा हा हा हा…
क्या ये सब पढ़कर भी पुरुष ब्लॉगरों को चेत नहीं जाना चाहिए…भईया कुछ सार्थक वगैरहा लिखना शुरू कर दो, नहीं तो बोरिया बिस्तरा बांधने के लिए तैयार हो जाओ…खतरे की घंटी बज चुकी है…क्या कहा…रोज़-रोज़ कहां से लाएं सार्थकता…कहां से लाए मौलिकता….औरों को इधर-उधर भिड़ाने का नारद कार्ड भी अब तो फेल होता जा रहा है…और सिर्फ ब्लॉगिंग या ब्लॉगर पर ही घिसी-पिटी बातों को कब तक घुमा घुमा कर स्वयंभू ब्लॉगगुरु बनते रहें…और ये अप्सराएं हैं कि रोज़ न जाने कहां से एक से बढ़कर एक रचनाकर्म पेश करती रहती हैं…तो क्या करें… चूके हुए कारतूसों को कब तक दाग़ते रहें…
अब सरस्वती जी ने सारी कृपा अप्सराओं पर ही करने की ठान ली हैं तो किया भी क्या जा सकता है…मेरे दिमाग़ में एक उपाय आ रहा है…इसकी प्रेरणा मुझे बाबा रामदेव जी से मिली है…इसे मैंने शिखा की पोस्ट पर टिप्पणी के ज़रिए साफ़ भी किया है…
लगता है टीआरपी बढ़ाने के लिए वही नुस्खा अपनाना पड़ेगा जो बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान से निकलने के लिए अपनाया था…शिखा जी, आप तो लंदन में रहती है…ये ज़रा क्रिस्टी या सॉदबी वालों से पता लगवा कर तो दीजिए कि बाबा ने जो दुपट्टा, सलवार, कमीज पहना था, उसका ऑक्शन कब होगा…बोली के लिए मेरा नाम अभी से लिखवा दीजिए…(क्रिस्टी और सॉदबी दुनिया के सबसे बड़े ऑक्शन हाउस हैं)…
इस तरह पोस्ट लिखते हुए मेरा कैसा वेश होगा, इसका प्रीव्यू शाहनवाज़ अपनी एक पोस्ट में पहले ही दिखा चुका है…
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हाहाहा…..मजेदार ….अरे ये शिखा दीदी कौन है बहुत गजब लिखती है…कोई हमको भी इनका ब्लॉग लिंक दे दो न….
🙂
बहुत गहराई से विश्लेषण किया है भाई ।
अप्सराएँ स्वर्ग की शान हैं और ब्लोगिंग की भी ।
ये जो भी लिखेंगी , ताजगी और मौलिकता ही नज़र आएगी ।
नहीं भी नज़र आई तो सब खुद ढूंढ लेंगे । 🙂
शिखा जी का व्यंग जबरदस्त है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
श्रीमती अजित गुप्ता जी का कमेंट भी काबिले-गौर है.
कम से कम किसी ने तो पुरुष ब्लागरान को देवता कहा
हा हा हा ..क्या बात है खुशदीप जी.बिना इशारे की बात भी समझ ली 🙂 आखिर पत्रकार मन है आपका भी तो 🙂 🙂
वैसे आपकी विनती पर काम शुरू कर दिया है मैंने जल्दी ही आपको सूचना भेजती हूँ 🙂
.
.
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रचना जी का खरा-खरा कमेंट एक सत्य को जबान दे रहा है यहाँ पर…सोचने को मजबूर भी करेगा यह बहुतों को…
मेरी नजर में आपकी आज की पोस्ट की उपलब्धि है रचना जी की यह टिप्पणी…
…
खुशदीप जी
जल्दी से आपात बैठक करवाईये …………चूक गये तो मुश्किल मे पड जायेंगे और देखो अब बैठक आप बुलवायेंगे तो आपका इंदासन पक्का तो फिर किस बात की देरी…………कम से कम एक आसन तो होना चाहिये ना……………हा हा हा……………बाकी ये सब तो चलता रहेगा अब चाहे आप लडकी का वेश की क्यो ना बना लें यहाँ की महिला मंडली से ज़रा बच के रहियेगा……………पता नही कब क्या कर दे…………हा हा हा
ओ लै! मैं तो यह जानता ही हूँ कि सुंदर लड़कियां हमेशा ही सुंदर लिखतीं हैं…
ओ लै! मैं तो यह जानता ही हूँ कि सुंदर लड़कियां हमेशा ही सुंदर लिखतीं हैं…
हा हा हा जी चाहता है इस तस्वीर वाली दुलहन को अपनी बहु बना लूं। अच्छा व्यं आशीर्वाद।
मैं हूं बाल ब्रम्हचारी……………..हाहहा हा हा हा चिंता योग्य विषय है़
@ समझने वाले समझ गए जो न समझे, वो अनाड़ी है…नहीं समझे…
हम तो नहीं समझे थे, लेकिन यहां आई टिप्पणियों को देख कर कुछ-कुछ समझ में आने लगा.
एक बात समझ से परे होती जा रही है कि महिलाओं के वस्त्रों से इतनी आपत्ति क्यों हैं? किसी ने विपत्ति काल में यदि महिलाओं के वस्त्र पहन लिए तो क्या उसका इतना अपराध हो गया कि उसका मखौल उड़ाया जाए? पहनने वाले ने तो कभी सोचा भी नहीं कि इस देश में लोग महिलाओं के प्रति इतनी नफरत रखते हैं वे तो माँ-बहनों के वस्त्र पहनने में कोई विपरीतता नहीं महसूस कर सके, यदि उनके दिमाग में भी यह होता कि इस देश के लोग महिला वस्त्रों को मखौल के रूप में लेते हैं तब तो वे भी बदल ही लेते। हमारे यहाँ तो कहा गया है कि इस देश में पुरुष तो केवल कृष्ण ही हैं बाकि तो सब गोपियां ही है।
मस्त रहो, ब्लॉगिंग करते रहो।
उसने अप्सरा की तलाश में अपनी नज़र आकाश की ओर उठाये रखी और नहीं देख पाया कि पाताल के वासुकि का संबंधी उसके पाँव के पास रेंग रहा है ।
जो अच्छा लिखेगा उसे तो दूसरे दल वाले भी हाथों हाथ चमका देंगे! खतरा तो है ही..।
सुरक्षित मार्ग तो यही है कि अच्छा लिखो। जैसे यह पोस्ट अच्छी है।
पुरुषवर्ग की ब्लागर प्रजाति पर आसन्न इस खतरे का निराकरण करवाने हेतु आयोजित होने वाली महासभा में मेरी भी उपस्थिति कृपया दर्ज करें । चिन्तातुर…
अल्ला जाने क्या होगा आगे।
जय हो!
बस इसी तरह से इशारों इशारों मैं सटीक चोट एक दूसरे पे करते रहें. ब्लॉगजगत का कल्याण अवश्य करेंगे इन्द्र भगवान्
शिखा जी का व्यंग तो जबरदस्त है … रोज़ एक पैरा उठाकर विवेचना की जा सकती है ..बाकी अप्सरा सुनकर फूले नहीं समां रहे है हम 🙂
:):) अच्छा है विचार चिंतन चल रहा है ..बैठक में कोई नतीजा ज़रूर निकालना चाहिए वरना स्वर्ग की सभा की तरह विसर्जित हो जायेगी :):)
पूरी पोस्ट पढ़ ली एक बात छुट गयी वो ये की देवता ब्लोगर एक दूसरे को टेक बहुत देते हैं . एक देवता ब्लोगर दूसरे को देवता ब्लोगर पर पोस्ट लिखते हैं तारीफों की . कोई किसी को महान कहता हैं कोई किसी को रजनीकांत , कोई किसी की तारीफ़ में उसको छोटा भाई कहता हैं तो किसी को बड़ा भाई और तो और कुछ तो बस यही करते हैं और अपनी दूकान चलाते हैं .
और अप्सराओं में शायद ही कोई हो जिसने दूसरी अप्सरा की तारीफ़ में कोई पोस्ट लिखी हो . इस लिये नहीं की वहां कोई जलन हैं बस इसलिये की वहाँ लिखने को बहुत कुछ हैं और देवताओ के पास बस सोशल नेट्वोर्किंग हैं ( निर्मल हास्य)