पानी में अपने भी जहाज़ चला करते थे…खुशदीप

कहां गई वो बचपन की अमीरी हमारी,
जब पानी में अपने भी जहाज़ चला करते थे
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सिरहाने मीर के आहिस्ता बोलो,
अभी तक रोते-रोते सो गया है…
-मीर तक़ी मीर

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स्लॉग ओवर…

डॉक्टर मक्खन से…क्या प्रॉब्लम है…

मक्खन…तबीयत ठीक नहीं है मेरी…

डॉक्टर…शराब पीते हो…

मक्खन…सुबह का वक्त है, डॉक्टर…
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इसलिए मेरा छोटा पैग ही बनाना

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vandana gupta
13 years ago

हा हा हा

Atul Shrivastava
13 years ago

बहुत खूब।

Unknown
13 years ago

क्या बात है

वन्दना अवस्थी दुबे

सुख भरे दिन बीते रे भैया….. 🙂

Rakesh Kumar
13 years ago

दिन तो अभी भी कहीं नही गए जी,
पहले पानी में जहाज अब ख्वाबों में
अपने हवाई जहाज चला करते हैं.

सिरहाने बहुत जोर से बोलियेगा हजूर
सोते सोते भी शोर सुनने की आदत जो है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

वो कागज़ की कश्ती….

Satish Saxena
13 years ago

शीर्षक से कुछ और ही लगा था …
खैर वे भी क्या दिन थे …

प्रवीण पाण्डेय

वाह, अब तो रात हो गयी डॉक्टर..

नीरज गोस्वामी

HA HA HA HA HA BAHUT KHOOB…

दीपक बाबा

🙂 🙂 🙂

परमजीत सिहँ बाली

वाह! बहुत बढिया!

अजित गुप्ता का कोना

पानी में ही नहीं सभी जगह राज था। अनुपस्थिति बढ़ती जा रही है।

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