पाकिस्तान जैसे मुल्क के बारे में यही धारणा है कि कटटरपंथ के प्रभावी होने के चलते वहां महिलाओं को खुली हवा में सांस लेने की छूट नहीं होगी…और राजनीति में तो पुरुषों के आगे उनकी बिल्कुल नहीं चलती होगी…और एक हमारा देश भारत है, जहां राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की प्रमुख सोनिया गांधी, अपोजिशन की नेता सुषमा स्वराज, स्पीकर मीरा कुमार और विदेश सचिव निरूपमा राव हैं, सबसे बड़े प्रदेश यूपी की सीएम मायावती हैं…फिर पाकिस्तान भारत से बेहतर कैसे हो गया…वहीं तो अब मैं सुनील पाल के रतन नूरा की तरह साबित करने जा रहा हूं…
क्या आपको याद पड़ता है कि महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई रिज़र्वेशन देने का बिल देश में कबसे लटका पड़ा है…सोनिया गांधी के हाथ में देश की पावर होने से उम्मीद बंधी थी कि जल्द ही ये बिल पास होकर क़ानून बन जाएगा…हर साल महिला दिवस के मौके पर इस बिल को याद कर रस्म अदायगी ज़रूर की जाती है…कल तो बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी कह दिया कि बिल ज़रूर पास होना चाहिए लेकिन आम सहमति मिलने के बाद…तो क्या देश में कभी आम सहमति बन पाएगी…मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, शरद यादव जैसे नेताओं की तिकड़ी कभी बनने देगी इस पर सहमति…अरे ये तीनों नेता तो क्या कांग्रेस और बीजेपी जैसी पार्टियों के पुरुष नेताओं को भी डर है कि बिल पास हो गया तो उन्हें बरसों से अपनी जमी जमाई सीटें रिज़र्व होने की वजह महिलाओं के आगे खोनी पड़ेंगी यानि बरसों से अपने इलाके में किए गए वोट-जुटाऊ जुगाड़ धरे के धरे रह जाएंगे…नए इलाके में जाकर दोबारा से मेहनत करनी पड़ेगी…और फिर कौन जाने वहां कोई घास डालेगा या नहीं…
दुनिया भर के देशों की संसद में महिलाओं की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन ने एक रिपोर्ट पेश की है…इस रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में भारत का फेहरिस्त में स्थान 98वां है…545 सदस्यीय लोकसभा मे 59 महिला सांसदों की भागीदारी 10.8 फीसदी और 245 सदस्यीय राज्यसभा में 25 महिला सांसदों की भागीदारी 10.3 फीसदी बैठती है…फेहरिस्त में 51वें नंबर पर पाकिस्तान का रिकार्ड इस मामले में हमसे कहीं अच्छा है…पाकिस्तान में संसद के निचले सदन में 22.2 फीसदी और ऊपरी सदन में 17 फीसदी महिलाएं हैं…और तो और बांग्लादेश और नेपाल भी इस मामले में हमसे आगे हैं…नेपाल की संसद में महिलाओं को 33.3 फीसदी और बांग्लादेश में 18.6 फीसदी नुमाइंदगी मिली हुई है…
पूरी दुनिया में महिलाओं को संसद में सबसे ज़्यादा नुमाइंदगी देने वाला देश रवांडा है…वहां महिलाओं की संसद में भागीदारी 57 फीसदी है…टॉप फाइव में रवांडा के बाद स्वीडन, साउथ अफ्रीका, क्यूबा और आइसलैंड के नाम आते हैं…दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का दावा करने वाले अमेरिका की स्थिति भी इस मामले में बदतर ही है…अमेरिका का नंबर फेहरिस्त में 72वां हैं…
वैसे भारत के पुरुष नेताओं के लिए खुश होने वाली एक बात ये हो सकती है कि दुनिया में सऊदी अरब, कतर, ओमान समेत 12 देश ऐसे भी हैं जहां की संसद में महिलाओं की भागीदारी 0 फीसदी है यानि एक भी महिला सांसद नहीं है…