कल मुन्नी बदनाम पर पोस्ट लिखी…महफूज़ ने उस पोस्ट में कमेंट के ज़रिए बड़ा अच्छा वैल्यू एडीशन किया…ये जोड़कर कि उमर शरीफ़ ने 1992 में पाकिस्तानी फिल्म फिल्म मिस्टर चार्ली में कव्वाली के अंदाज़ में गीत गाया था…लड़का बदनाम हुआ, हसीना तेरे लिए…इसके बाद एक कमेंट में महफूज़ ने लिंक देकर ये भी बताया कि किस तरह पाकिस्तान के पुराने गीतों को चुरा कर बॉलीवुड के कई हिट गीत बनाए गए…
दरअसल पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्मों का उतना ही क्रेज है जितना कि भारत में…पिछले कुछ साल से पाकिस्तानी सिनेमाहालों में भारतीय फिल्में भी रिलीज की जा रही थीं…लेकिन अब फिर पाकिस्तान सरकार ने भारतीयों फिल्मों की पाकिस्तान में रिलीज़ पर पाबंदी का ऐलान कर दिया है… इस ऐलान का पाकिस्तान के सिनेमामालिकों का संघ कड़ा विरोध कर रहा है…उनका कहना है कि मंदी की मार से बचने के लिए भारतीय फिल्में ही बड़ा सहारा हैं…अगर उन पर रोक लगा दी गई तो सिनेमाहालों पर ताले लटकाने की नौबत आ जाएगी…
विभाजन के बाद देश के कई कलाकार पाकिस्तान चले गए थे…शुरू में इनमें से कई कलाकारों ने मुसलमान होते हुए भी अपने स्क्रीन नाम हिंदू ही रखे…पाकिस्तान में आज तक बड़ी हीरोइनों के नाम हिंदू ही चले आ रहे हैं जैसे मीरा, वीना, रीमा, आशा, स्वर्णलता, संगीता, सुनीता…मेरा यहां ये सब बताने का मतलब यही है कि पाकिस्तान की फिल्मों का नाम भारत में सुना जाना तो दूर पाकिस्तान में भी कोई घास नहीं डालता…पाकिस्तान में कई कलाकारों के प्रतिभावान होने के बावजूद तकनीकी दृष्टि से पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री हमसे दो दशक पिछड़ी हुई है…पाकिस्तानी फिल्मों, उनके गीत संगीत को भारत में कोई नहीं जानता, इसी का फायदा बॉलीवुड के गीतकार-संगीतकार उठाते हैं…पूरे के पूरे गाने के बोलों को जस का तस उठा लिया जाता है…कॉपीराइट उल्लंघन जैसा कोई पचड़ा ही नहीं…
लेकिन ऐसा नहीं कि उलटी गंगा नहीं बहती…पाकिस्तान में भी दबा कर भारतीय फिल्मों के गीत-संगीत की चोरी की जाती है लेकिन उन पाकिस्तानी फिल्मों को कहीं भाव नहीं मिलता, इसलिए वो चोरी पकड़ी नहीं जाती…आज एक ऐसी ही चोरी से मैं आपको दो-चार कराने जा रहा हूं…यहां किसी गाने की चोरी नहीं बल्कि भारत में बनी पूरी की पूरी फिल्म को ही चोरी कर पाकिस्तानी फिल्म की शक्ल दे दी गई…ये भारतीय फिल्म थी 1954 में आई- जागृति…देशभक्ति पर बनी बेमिसाल फिल्म थी…
तीन साल बाद पाकिस्तान में जागृति की हू-ब-हू कॉपी बनाई गई- बेदारी…बस इतना फर्क किया गया कि जहां जहां जागृति में भारत या हिंदुस्तान का ज़िक्र होता था, बेदारी में उसे पाकिस्तान कर दिया गया….गांधी की जगह जिन्ना का नाम कर दिया गया…मजे़ की बात ये है कि जागृति में रतन कुमार ने बाल कलाकार का रोल किया था…फिर यही रतन कुमार पाकिस्तान चले गए तो वहां बेदारी में भी काम किया…
अब आपको नीचे दिए गए लिंक्स के ज़रिए दिखाता हूं कि जागृति के गानों को भी किस तरह हू-ब-हू उठाकर पाकिस्तानी फिल्म बेदारी में फिट कर दिया गया था…
पहले भारतीय फिल्म जागृति का ये गीत…
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के…
अब पाकिस्तानी फिल्म बेदारी में भी सुनिए यही गीत
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के…
जागृति का ही एक और गीत-
आओ बच्चों तुम्हे दिखाए झांकी हिंदुस्तान की…
अब पाकिस्तानी फिल्म बेदारी में जागृति के उपरोक्त गीत की ही कॉपी सुनिए-
आओ बच्चों सैर कराएं तुम को पाकिस्तान की…
जागृति का एक और गीत-
चलो चले मां, सपनों के गांव में…
पाकिस्तानी फिल्म बेदारी में इस गीत की कॉपी
चलो चले मां, सपनों के गांव में
जहां जागृति के गीतों को अमर कवि प्रदीप ने लिखा था…वहीं पाकिस्तान में इन गीतों का क्रेडिट बेशर्मी से सलीम रज़ा को दे दिया गया था…
यानि यही कहा जाएगा कभी मोर पर चोर तो कभी चोर पर मोर…
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