पत्नियों की बातें, पतियों की बातें…खुशदीप

ऑफिस में दो युवतियां बात कर रही थीं-

पहली- कल मेरी शाम शानदार गुज़री…तुम अपनी बताओ…

दूसरी- महाबकवास, मेरे पति ऑफिस से आए, तीन मिनट में डिनर निपटाया…अगले दो मिनट में खर्राटे मारने लगे…तुम्हारे साथ क्या हुआ…

पहली- अद्भुत, मेरे पति ऑफिस से आए…और मुझे रोमांटिक डिनर पर ले गए…डिनर के बाद एक घंटा सड़क पर टहलते रहे…जब घर वापस आए तो पति महोदय ने घर भर में मोमबत्तियां जलाईं…फिर हम एक घंटे तक बात करते रहे…ये सब किसी परिकथा से कम नहीं था…

जब ये दो युवतियां बात कर रही थीं, ठीक उसी वक्त दूसरे ऑफिस में दोनों के पति भी एक-दूसरे का हालचाल ले रहे थे…

पहला पति…कहो शाम कैसी रही…

दूसरा…ग्रेट, मैं घर आया तो खाना टेबल पर लगा था…फटाफट खाया…उसके बाद जल्दी ही बड़ी मस्त नींद आ गई…तुम्हारा क्या हाल रहा…

पहला…बेहद खराब…घर आया तो खाना नहीं बना था, दरअसल घर की बिजली कट गई थी क्योंकि मैंने टाइम से बिल नहीं जमा कराया…पत्नी को होटल में डिनर के लिए ले गया…बिल बड़ा मोटा आया…जेब में टैक्सी के भी पैसे नहीं बचे…घर पैदल मार्च करते ही आना पड़ा…इसी में एक घंटा लग गया…उसके बाद घर में बिजली कटी होने की वजह से मोमबत्तियां जलाईं…तब तक मैं पूरी तरह भुन्ना चुका था…नींद कहां से आती…ऊपर से एक घंटे तक पत्नी की चपर-चपर और सुननी पड़ गई….

अपना-अपना नज़रिया है साहब…

ई-मेल से अनुवाद

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