नशे में सीमा लांघना ‘राष्ट्रीय बहादुरी’ है !…खुशदीप

सरबजीत का उसके गांव भिखिविंड में शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो गया…सरबजीत को पाकिस्तान की जेल में 22-23 साल नारकीय परिस्थितियों में गुज़ारने पड़े होंगे, ये वाकई बेहद दुखद था…उसके परिवार के लिए भी ये पूरा दौर बहुत कष्टकारी रहा…सरबजीत की बहन दलबीर कौर पिछले सात-आठ साल से उसकी रिहाई के लिए बहुत मुखर रहीं…ये दलबीर कौर की वाकपटुता ही है कि उन्होंने सरबजीत की व्यथा को देश में घर-घर तक पहुंचा दिया…पाकिस्तान की जेलों में करीब पांच सौ और भारतीय कैदी भी बंद है…लेकिन उनके घर वाले बेचारे दुर्भाग्य से ये काम नहीं कर सके…इसलिए सरबजीत जैसी परिस्थिति में होने के बावजूद और किसी भारतीय कैदी पर ऐसा फ़ोकस नहीं गया…

सरबजीत के लिए तीन दिन का राजकीय शोक मनाने के साथ पंजाब सरकार ने उसके परिवार को राजकीय ख़जाने से एक करोड़ रुपये दिए…दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी भी मिल जाएगी…पंजाब सरकार ने सरबजीत को शहीद का दर्जा देने के लिए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाने का भी इंतज़ाम किया…केंद्र सरकार भी 25 लाख रुपये देने के साथ पेट्रोल पंप या गैस एंजेसी देने के लिए भी प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है…प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरबजीत को ‘देश का बहादुर बेटा’ बताया है…काश इसी साल 15 जनवरी को लाहौर की कोट लखपत जेल में ही सरबजीत जैसे हालात में ही मारे गए चमेल सिंह के परिवार को भी ये सब कुछ मिला होता…शायद चमेल सिंह की कोई दलबीर कौर जैसी बहन नहीं रही होगी…

चमेल सिंह

सरबजीत को लेकर जो उन्माद जैसे हालात रहे वो अब हफ्ते दस दिन में शांत हो जाएंगे…हो सकता है दलबीर कौर को कोई सियासी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव के लिए टिकट भी थमा दे…इस पूरे प्रकरण पर कुछ सवाल कौंध रहे हैं…हो सकता है आपके पास उनके सवालों का जवाब हो…

सरबजीत के घर वाले उसके बचाव में हमेशा यही तर्क देते रहे हैं कि वो नशे में सरहद लांघ गया था…और पाकिस्तान ने उसे मनजीत सिंह की गलत पहचान देकर बम ब्लास्ट के केस में झूठा फंसा दिया…पाकिस्तान ने ये भी कहा कि सरबजीत भारतीय जासूस था…लेकिन भांरत सरकार ने कभी नही माना कि सरबजीत भारतीय जासूस था…सरबजीत के परिवार और भारत सरकार के दिए तथ्यों पर शक करने के लिए हमारे पास कोई गुंजाइश नहीं हो सकती…ऐसे में सरबजीत के नशे में सरहद पार करने और वहां पाकिस्तान के चंगुल में फंस जाने से ही क्या वो शहीद का दर्जा पाने और राष्ट्रीय हीरो कहलाने  के लिए फिट हो जाता है…सरबजीत मातृभूमि के किसी मिशन पर पाकिस्तान  नहीं गया था…फिर कैसे उसे राजकीय सम्मान दिया जा सकता है या तीन दिन का राजकीय शोक किया जा सकता है…क्या पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल बता सकते हैं कि किसी भारतीय सैनिक को भी राज्य या देश के लिए ड्यूटी पर शहादत के बाद उसके परिवार को उन्होंने राजकीय ख़जाने से एक करोड़ रुपये दिए…

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी साफ़ करना चाहिए कि ‘भारत का बहादुर बेटा’ कहलाने के लिए सरबजीत ने बहादुरी के कौन-कौन से मापदंडों को पूरा किया…क्या नशे में सरहद पार करना ही बहादुरी होती है…ऐसे में सरबजीत के लिए पंजाब और केंद्र सरकार की ओर से इतना कुछ किए जाने से ये सवाल नहीं उठता कि क्या सरबजीत वाकई  भेजा गया ‘स्टेट स्पांसर्ड एक्टर’ था…