दम ले ले घड़ी भर, ये आराम पाएगा कहां…खुशदीप

समुद्र किनारे मछुआरों के सुंदर से गांव में एक नौका खड़ी है…

एक सैलानी वहां पहुंचता है और मछुआरों की मछली की क्वालिटी की बड़ी तारीफ़ करता है…

सैलानी पूछता है…इन मछलियों को पकड़ने में तुम कितना वक्त लगाते हो…

एक-स्वर में जवाब मिलता है…ज़्यादा नहीं…

तुम समुद्र में ज़्यादा वक्त क्यों नहीं लगाते जिससे ज़्यादा मछलियां पकड़ी जा सकें…

मछुआरों से जवाब मिलता है…हम जितनी भी मछलियां पकड़ते हैं, वो हमारी ज़रूरत पूरी करने के लिए काफ़ी होती हैं..

लेकिन तुम अपने खाली वक्त में क्या करते हो…

हम देर से उठते हैं…अपने बच्चों के साथ खेलते हैं…पत्नियों के साथ बढ़िया खाना बना कर खाते हैं, शाम को हम दोस्त-यार मिलते हैं…साथ जाम टकराते हैं…गिटार बजाते हैं…गाने गाते हैं…मौज उड़ाते हैं..फिर थक कर सो जाते हैं…या यूं कहें ज़िंदगी का पूरा आनंद लेते हैं…

मैं हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए हूं…मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं…मेरी सलाह है कि तुम मछलियां पकड़ने में ज़्यादा वक्त लगाया करो…और जितनी ज़्यादा मछलियां पकड़ोगे, उन्हे बेचकर ज़्यादा पैसे कमा सकते हो…फिर उसी पैसे को बचाकर  बड़ी नौका खरीद सकते हो…

फिर उसके बाद…

बड़ी नौका पर काम बढ़ेगा तो तुम दूसरी, तीसरी नौकाएं खरीद सकते हो…फिर तुम्हारा नौकाओं का पूरा बेड़ा हो जाएगा…अब तुम बिचौलियों को मछली देने की जगह सीधे प्रोसेसिंग प्लांट से डीलिंग कर सकोगे…फिर शायद अपना ही प्लांट लगा लो…तुम इस छोटे से गांव को छोड़ किसी महानगर में जाकर बस सकते हो…वहां से तुम अपना खुद का कारपोरेट हाउस बना सकते हो…

ये सब कितना टाइम लेगा…

शायद बीस से पच्चीस साल…

उसके बाद क्या होगा…

उसके बाद…सैलानी हंसते हुए बोला…जब तुम्हारी कंपनी काफ़ी बड़ी हो जाएगी तो फिर तुम शेयर खरीदने-बेचने में पैसा लगाकर बेशुमार  कमा सकते हो…करोड़ों में खेल सकते हो…

करोड़ों में…सच…फिर उसके बाद

फिर तुम चैन से रिटायर हो सकते हो…समुंद्र किनारे किसी छोटे से सुंदर गांव में बसेरा बना सकते हो…सुबह आराम से उठो…थोड़ी मछलियां पकड़ो…बच्चों के साथ खेलो…पत्नी के साथ मनपसंद खाना बनाकर खाओ…शाम को दोस्तों के साथ रिलैक्स करो…ड्रिंक लो…कहीं कोई काम की टेंशन नहीं…

सलाह के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया श्रीमान…लेकिन जो आपने सबसे आखिर में बताया…वही ज़िंदगी तो हम अब भी जी रहे हैं…फिर पच्चीस साल बेकार करने का मतलब…

मॉरल ऑफ द स्टोरी

इसे ठीक तरह जानिए कि आप ज़िंदगी में कहां जा रहे हैं…

आप जहां जाकर रुकना चाहते हैं, देखिए शायद आप वहां पहले से ही खड़े हों…

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद ये गीत ज़रूर सुनिए…

स्लॉग गीत

वहां कौन है तेरा, मुसाफ़िर जाएगा कहां,


दम ले ले घड़ी भर, ये आराम पाएगा कहां…

गाइड, 1965

Visited 1 times, 1 visit(s) today
error

Enjoy this blog? Please spread the word :)