”दफ़नाने” पर भी “जलाना”…खुशदीप

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा…
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वो आती है रोज़, मेरी क़ब्र पर,
अपने हमसफ़र के साथ…
कौन कमबख्त कहता है कि,
“दफ़नाने” के बाद “जलाया” नहीं जाता…

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डॉ. दिलबागसिंह विर्क

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-701:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

निर्मला कपिला

दफनाने के बाद तो अधिक जलाया जाता है। दिल की आग के साथ जो मनों लकडियाँ होती हैं उनकी आँच भी तो झेलनी पडती है। लेकिन जलते दोनो हैं दफन होने वाले भी और दफनाने वाले भी। शुभकामनायें।

Ayaz ahmad
13 years ago

वाकई बहुत खूब कहा है।

Atul Shrivastava
13 years ago

वाह..
बेहतरीन।

devendra gautam
13 years ago

क्या बात है…!

नीरज गोस्वामी

वाह..शायर का अंदाज़े बयां काबिले दाद है…एक शायर ने तो कुछ यूँ कहा सुनिए:-

मैं मर गया जिसके लिए ये हाल है उसका
ईंटें चुरा के ले गया मेरे मज़ार से

नीरज

डॉ टी एस दराल

हा हा हा ! और जलने में तकलीफ भी ज्यादा होती है ।

vandana gupta
13 years ago

कौन कमबख्त कहता है कि,
"दफ़नाने" के बाद "जलाया" नहीं जाता…
ओये होये …………मार ही डाला

Pratik Maheshwari
13 years ago

क्या खूब शेर कहा है (जिसने भी कहा है).. मज़ा ही आ गया आज तो..

shikha varshney
13 years ago

वाह वाह ..क्या शेर है ..एकदम बब्बर टाइप का.

Geeta
13 years ago

wah wah, boht khoob sher hai, sayar log bade ache hote hai

Pallavi saxena
13 years ago

yes… मैंने भी सुना है यह शेर॥वाकई बहुत खूब कहा है।समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।

प्रवीण पाण्डेय

जलाना जारी आहे।

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