जब छक्का मारने पर कपिल हुए थे टीम से बाहर



36
साल बाद भी कपिल देव-सुनील गावस्कर तनाव की ख़बरों पर फुलस्टॉप नहीं, 
कपिल
को 1984 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दिल्ली टेस्ट में छक्का मारने पर किया गया था
बाहर, 
उस
वक्त के टीम कप्तान गावस्कर कई बार दे चुके सफ़ाई- ये मेरा नहीं सेलेक्टर्स का
फैसला था

 


नई दिल्ली (16 दिसंबर)।

भारतीय
क्रिकेट के पिछले चार-पांच दशकों के इतिहास को देखा जाएं तो टीम के किन्हीं दो सीनियर
खिलाड़ियों के बीच खटपट की ख़बरें सामने आती रही हैं. मीडिया की ओर से भी इन्हें
खूब तूल दिए जाने की वजह से क्रिकेट फैंस के मन में भी तमाम आशंकाएं उठती रहती
हैं. यही वजह है कि विराट कोहली को 15 दिसंबर को मीडिया कॉन्फ्रेंस में रोहित
शर्मा से किसी तरह की अनबन की अटकलों को खारिज करने के लिए सामने आना पड़ा. विराट
ने कहा कि वो साउथ अफ्रीका में वनडे सीरीज़ में रोहित की कप्तानी में अपना बेस्ट
देने की कोशिश करेंगे. क्रिकेट फैंस यही दुआ करते हैं कि विराट ने जो भी कहा, वही
सच हो और भारतीय क्रिकेट की सेहत के लिए बेहतर भी यही है.



ऐसा
नहीं कि टीम इंडिया के दो सीनियर प्लेयर्स के बीच खटपट की ख़बरें पहली बार सामने
आई हैं. आज हम आपको ऐसा ही एक किस्सा बताने जा रहे हैं जो अस्सी के दशक के मध्य
में कथित तौर पर लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर और ऑल टाइम ग्रेट ऑलराउंडर कपिल देव
के बीच हुआ था. 

Sunil Gavaskar, Kapil Dev (File)


इस किस्से को 36 साल बीत जाने के बाद भी अब तक याद किया जाता है.
दरअसल ये वाकया 1984-85 में इंग्लैंड के भारत टूर के दौरान हुआ था. उस सीरीज में
पांच टेस्ट मैच खेले गए थे और कप्तानी की कमान सुनील गावस्कर के हाथों में थीं. उस
वक्त कपिल 25 साल के थे और 1983 में भारत को वनडे वर्ल्ड कप दिलाने की वजह से
भारतीय फैंस में हीरो का दर्जा हासिल कर चुके थे. कपिल बोलिंग के महारथी तो थे ही
उनका ताबड़तोड़ बैटिंग करने का अंदाज़ भी फैंस को बहुत पसंद आता था. उस टूर में मुंबई
के वानखेड़े स्टेडियम में हुआ पहला टेस्ट भारत ने आठ विकेट से जीता था. दूसरे
टेस्ट के लिए भारत और इंग्लैंड की टीमें दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में आमने सामने
थीं.
भारत को पहले बैटिंग का मौका मिला और उसने
पहली पारी में 307 रन बनाए. कपिल देव 60 रन के स्कोर के साथ टॉप स्कोरर रहे. जवाब
में इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 418 का स्कोर खड़ा किया. 111 रन से पिछड़ने के
बाद भारत ने दूसरी पारी शुरू की तो 207 रन पर भारत के पांच दिग्गज खिलाड़ी पवेलियन
लौट चुके थे. तब कपिल देव बैटिंग के लिए मैदान में उतरे. उस वक्त टिक कर खेलने की
ज़रूरत थी जिससे कि मैच को ड्रॉ कराया जा सके. लेकिन कपिल ने उस वक्त एक गेंद पर
छक्का मारा तो दर्शक तो ज़रूर खुश हुए लेकिन सेलेक्टर्स को कपिल का ये अंदाज़ पसंद
नहीं आया. कपिल जल्दी ही 6 गेंद पर 7 रन बनाकर आउट हो गए. भारत वो मैच आठ विकेट से
हार गया और इंग्लैंड ने सीरीज़ 1-1 से बराबर कर ली. अगला टेस्ट मैच कोलकाता में
होना था, लेकिन कपिल को दिल्ली टेस्ट में रैश शॉट खेलने की वजह से टीम से बाहर कर
दिया गया.

उस वक्त जैसी ख़बरें
मीडिया में सामने आईं, उनसे यही संकेत गया कि कप्तान सुनील गावस्कर ने कपिल को सबक
सिखाने के लिए टीम से बाहर कराया था. कपिल की उस वक्त फैन फॉलोइंग इतनी थी कि
कोलकाता के दर्शक मांग करने लगे थे- नो कपिल, नो टेस्ट. दर्शकों ने गावस्‍कर पर उस
टेस्ट के दौरान सब्‍जियां और फल भी फेंके. सुनील गावस्कर इससे इतना नाराज़ हुए थे
कि यहां तक कह डाला था कि वो अब फिर कभी कोलकाता के ईडन गार्डन्स पर खेलने नहीं
आएंगे.

हालांकि कपिल को चेन्नई
में खेले गए अगले टेस्ट में ही टीम में वापस ले लिया गया. इंग्लैंड ने 5 टेस्ट की
वो सीरीज़ 2-1 से अपने नाम की थी.

हालांकि इस मामले में
सुनील गावस्कर ने कई बार सफ़ाई दी कि कपिल को टीम से बाहर करने के फैसले में उनकी
कोई भूमिका नहीं थी और ये सेलेक्टर्स की ओर से लिया गया था. उस सेलेक्शन कमेटी के
चेयरमैन चंदू बोर्डे थे.
गावस्कर
इस संबंध में सेलेक्शन कमेटी में शामिल हनुमंत सिंह के एक लेख का हवाला भी दिया
जिसमें उन्होंने कहा था कि कपिल देव को टीम से बाहर रखने के फैसले में सुनील
गावस्कर का कोई रोल नहीं था.

गावस्कर
ने अपनी सफाई में ये भी कहा था कि सेलेक्शन कमेटी की बैठक के दौरान भारतीय टीम का
कप्तान बिना वोट के शामिल होता है, इसलिए ये कहना कि कपिल को मैंने टीम से बाहर
किया, बिल्कुल गलत है. गावस्कर के मुताबिक कोई कप्तान नहीं चाहता कि वो अपनी टीम के
बेस्ट ऑलराउंडर को बाहर बिठा दे, कम से कम वो इतने मूर्ख नहीं हैं.

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