जनता या मंदिर का घंटा, जो चाहे आकर बजा दे…खुशदीप

नेता…हम जनता के नुमाइंदे हैं…
सिविल सोसायटी- हम जनता के नुमाइंदे हैं…


नेता…विरोधी कुछ भी कहें, हमें जनता चुन कर भेजती है..
सिविल सोसायटी…सरकार, नेता कुछ भी कहें, हम जनता की असली आवाज़ हैं…


नेता…हमारे विरोधी हम पर आरोप द्वेष भावना के चलते लगाते हैं जिससे हम चुनाव न जीत सकें…
सिविल सोसायटी…भ्रष्टाचारी नेता एकजुट होकर हम पर आरोप लगा रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिम पटरी से उतर जाए…

नेता…जब तक अदालत (वो भी सुप्रीम कोर्ट) दोषी करार न दे दे हम निर्दोष हैं…
सिविल सोसायटी…झूठा आरोप लगाने वालों को अदालत में जवाब देना होगा…अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें…


मॉरल ऑफ द स्टोरीसब दूध के धुले हैं, कमबख्त ये जनता ही मतिभ्रष्ट है, जो चांद को खिलौना समझ कर छूने की जिद करने लगती है…हम होंगे कामयाब…हम होंगे कामयाब…


चलिए अब दिमाग़ पर ज़ोर मत डालिए…नीचे का वीडियो गौर से और पूरा देखिए…क्या जनता का भविष्य यही है….

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