बड़े दिन से अपनी पोस्ट के ज़रिए गंभीर विमर्श करता रहा…इसलिए आज ट्रैक बदल रहा हूं…स्लॉग ओवर भी बेचारा एक कोने में दुबका बाहर आने के लिेए हाथ-पैर मार रहा था…तो आज सिर्फ स्लॉग ओवर…और गुल्ली की गुगली…गुल्ली याद है न आपको…मक्खन का शेर पुतर…गुल्ली…
स्लॉग ओवर
गुल्ली की सोहबत कुछ गलत दोस्तों से हो गई…गली में उनके साथ गुल्ली महाराज ने फक्कड़ तौलने (गालियां देना) सीख लिए…एक दिन गुल्ली बाहर खेल कर घर वापस आया और अपनी टॉय ट्रेन लेकर बैठ गया…अब ट्रेन चक्कर काटने लगी…और गुल्ली रेलवे स्टेशन पर एनाउंसर की तरह एनाउंसमेंट करने लगा…
ये ट्रेन दिल्ली से इलाहाबाद जा रही है…जिन उल्लू के पठ्ठों को इसमें बैठना है, बैठ जाएं…बाकी अपने घर जाएं…
गुल्ली का ये एनाउंसमेंट तीन-चार बार चला तो मक्खन का ध्यान उसकी और गया…गुल्ली के मुखारबिंद से अपवचन सुनकर मक्खन के अंदर का पिता जाग गया…साथ ही सोया शेर भी….मक्खन ने गुल्ली का कान पकड़ा और सीधे बेडरूम में ले गया…अंदर से दरवाज़ा बंद कर गुल्ली की खूब खबर ली…ठुकाई के साथ समझाया भी…दूसरों के लिए इस तरह की गंदी बात आगे से जुबान पर कभी नहीं लाना…नहीं तो ज़ुबान काट लूंगा…
एक घंटा तक क्लास लेने के बाद मक्खन बाहर आ गया…थोड़ी देर बाद गुल्ली भी बाहर आ गया…अब गुल्ली ठहरा गुल्ली…मक्खन का पुतर…चिकना घड़ा…अपनी टॉय ट्रेन लेकर फिर शुरू हो गया…साथ ही एनाउंसमेंट भी होने लगा…
ये ट्रेन दिल्ली से इलाहाबाद जा रही है…जिन भाईसाहब को इसमें बैठना है जल्दी से बैठ जाएं, क्योंकि ये ट्रेन पहले ही एक उल्लू के पठ्ठे की वजह से एक घंटा लेट हो चुकी है…
(नोट किया जाए- अब गुल्ली ने किसी दूसरे या बाहर वाले के लिए अपशब्द का इस्तेमाल नहीं किया)