पड़ोस के देश पाकिस्तान में एक घटना हुई…मियां नवाज़
शरीफ़ को पनामा लीक मामले में कुनबे की कथित करतूतों को लेकर आख़िरकार इस्तीफ़ा
देना पड़ा…ऐसी नौबत क्यों आई? ये इसलिए मुमकिन
हुआ कि वहां क्रिकेट से राजनीति के कप्तान बने इमरान ख़ान ने शरीफ़ परिवार के कथित
भ्रष्टाचार को लेकर लगातार आसमान सिर पर उठा रखा था…मजबूत विपक्ष की घेराबंदी के
सामने घाघ राजनेता शरीफ़ की एक नहीं चली…आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने भी शरीफ़ को
प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य क़रार दे डाला…
शरीफ़ को पनामा लीक मामले में कुनबे की कथित करतूतों को लेकर आख़िरकार इस्तीफ़ा
देना पड़ा…ऐसी नौबत क्यों आई? ये इसलिए मुमकिन
हुआ कि वहां क्रिकेट से राजनीति के कप्तान बने इमरान ख़ान ने शरीफ़ परिवार के कथित
भ्रष्टाचार को लेकर लगातार आसमान सिर पर उठा रखा था…मजबूत विपक्ष की घेराबंदी के
सामने घाघ राजनेता शरीफ़ की एक नहीं चली…आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने भी शरीफ़ को
प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य क़रार दे डाला…
यहां इस घटना का उल्लेख सिर्फ इसलिए किया कि विपक्ष मज़बूत
हो तो क्या नहीं कर सकता…चलिए पाकिस्तान को छोड़िए, दुनिया के सबसे पुराने
लोकतंत्र अमेरिका की बात कीजिए…अमेरिका में बीते राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन
डोनल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन के बीच मुकाबले में आखिर तक कोई दावे
के साथ नहीं कह सकता था कि जीत किसके हाथ लगेगी…अधिकतर सर्वे हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति बनने की संभावना
जता रहे थे…नतीजे आए तो सब उलट गया…तमाम नेगेटिव बातों के बावजूद ट्रम्प
व्हाइट हाउस में काबिज होने में कामयाब रहे…
हो तो क्या नहीं कर सकता…चलिए पाकिस्तान को छोड़िए, दुनिया के सबसे पुराने
लोकतंत्र अमेरिका की बात कीजिए…अमेरिका में बीते राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन
डोनल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन के बीच मुकाबले में आखिर तक कोई दावे
के साथ नहीं कह सकता था कि जीत किसके हाथ लगेगी…अधिकतर सर्वे हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति बनने की संभावना
जता रहे थे…नतीजे आए तो सब उलट गया…तमाम नेगेटिव बातों के बावजूद ट्रम्प
व्हाइट हाउस में काबिज होने में कामयाब रहे…
अमेरिका के हाल-फिलहाल के चुनावी
इतिहास पर नजर डाले तो वहां डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी, दोनों के बीच
ही हमेशा दिलचस्प लड़ाई होती रही है…हिलेरी क्लिंटन-डोनल्ड ट्रम्प मुकाबले को
छोड़िए, 2000 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को याद कीजिए…तब डेमोक्रेट प्रत्याशी
अल गोर लोकप्रिय वोट जीतने के बावजूद रिपब्लिकन जॉर्ज बुश से चुनाव हार गए थे…इस
चुनाव में वोटों की गिनती कई दिन तक चलती रही थी…फ्लोरिडा प्रांत में वोटों की
दोबारा गिनती पर क़ानूनी विवाद हुआ…अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने
जॉर्ज बुश के हक़ में फैसला दिया…इस चुनाव को अमेरिकी इतिहास का सबसे विवादास्पद
चुनाव माना जाता है…
इतिहास पर नजर डाले तो वहां डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी, दोनों के बीच
ही हमेशा दिलचस्प लड़ाई होती रही है…हिलेरी क्लिंटन-डोनल्ड ट्रम्प मुकाबले को
छोड़िए, 2000 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को याद कीजिए…तब डेमोक्रेट प्रत्याशी
अल गोर लोकप्रिय वोट जीतने के बावजूद रिपब्लिकन जॉर्ज बुश से चुनाव हार गए थे…इस
चुनाव में वोटों की गिनती कई दिन तक चलती रही थी…फ्लोरिडा प्रांत में वोटों की
दोबारा गिनती पर क़ानूनी विवाद हुआ…अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने
जॉर्ज बुश के हक़ में फैसला दिया…इस चुनाव को अमेरिकी इतिहास का सबसे विवादास्पद
चुनाव माना जाता है…
यूं ही नहीं कहा जाता कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष का
मजबूत होना अति आवश्यक होता है…विपक्ष ताकतवर रहे तो सत्ता पक्ष के निरंकुश होने
की संभावना कम रहती है…दुर्भाग्य से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानि भारत में
इस वक्त जो परिस्थितियां हैं, उसमें विपक्ष गौण होता जा रहा है…इसके लिए सत्ता
पक्ष की साम-दाम-दंड-भेद की नीतियों से कहीं ज़्यादा ज़िम्मेदार खुद विपक्ष का रवैया
है…विपक्ष के लुंजपुंज होने के लिए देश में अगर सबसे अधिक ज़िम्मेदार किसी
पार्टी को ठहराया जा सकता है तो वो है ग्रैंड ओल्ड पार्टी यानि कांग्रेस…
1984 लोकसभा चुनाव में 415 सीट जीतने वाली कांग्रेस 30 साल
बाद 2014 में निचले सदन में क्यों महज 44 सीटों पर सिमट गई…होना तो ये चाहिए था कि कांग्रेस गहराई से आत्मावलोकन करती
और जहां जहां पार्टी संगठन में खामियां थीं, उन्हें दूर करती…
बाद 2014 में निचले सदन में क्यों महज 44 सीटों पर सिमट गई…होना तो ये चाहिए था कि कांग्रेस गहराई से आत्मावलोकन करती
और जहां जहां पार्टी संगठन में खामियां थीं, उन्हें दूर करती…
ऐसा नहीं कि
कांग्रेस के पास ज़मीन से जुड़े नेता या कुशाग्र दिमाग नहीं हैं…ऐसा नहीं होता
तो अमरिंदर सिंह पंजाब के कैप्टन नहीं बन पाते…या कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज वकील
जो अपने तर्कों से अब भी सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर सरकार को बैकफुट पर जाने
को मजबूर कर देते हैं…कांग्रेस की ओर से अपनी शाख पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने की
क्लासिक मिसाल 2012 में दी गई…तब प्रणब मुखर्जी जैसे तमाम प्रशासनिक अनुभव वाले ‘संकट-मोचक’ नेता को
राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया…अब कांग्रेस के लिए ये दुर्योग ही है कि प्रणब दा
के राजनीतिक पटल से अलग होते ही कांग्रेस की दुर्दशा का ऐसा दौर शुरू हुआ जो
इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी की हार में भी नहीं देखा गया था…खैर इंदिरा गांधी
तो तीन साल बाद ही फिर सत्ता में आ गई थीं…लेकिन क्या अब ऐसा हो पाएगा? इसका सीधा जवाब देने की स्थिति में कांग्रेस का
कोई नेता भी नहीं है…
कांग्रेस के पास ज़मीन से जुड़े नेता या कुशाग्र दिमाग नहीं हैं…ऐसा नहीं होता
तो अमरिंदर सिंह पंजाब के कैप्टन नहीं बन पाते…या कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज वकील
जो अपने तर्कों से अब भी सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर सरकार को बैकफुट पर जाने
को मजबूर कर देते हैं…कांग्रेस की ओर से अपनी शाख पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने की
क्लासिक मिसाल 2012 में दी गई…तब प्रणब मुखर्जी जैसे तमाम प्रशासनिक अनुभव वाले ‘संकट-मोचक’ नेता को
राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया…अब कांग्रेस के लिए ये दुर्योग ही है कि प्रणब दा
के राजनीतिक पटल से अलग होते ही कांग्रेस की दुर्दशा का ऐसा दौर शुरू हुआ जो
इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी की हार में भी नहीं देखा गया था…खैर इंदिरा गांधी
तो तीन साल बाद ही फिर सत्ता में आ गई थीं…लेकिन क्या अब ऐसा हो पाएगा? इसका सीधा जवाब देने की स्थिति में कांग्रेस का
कोई नेता भी नहीं है…
पहले उत्तराखंड में, फिर गोवा में, मणिपुर में, अब गुजरात
में कांग्रेस के विधायक पाला बदल कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं तो ये किसका कसूर
है…अहमद पटेल जैसे दिग्गज कांग्रेसी को गुजरात से
राज्यसभा में पहुंचने के लिए लाले पड़े हुए हैं तो इसका जवाब खुद कांग्रेस को ही
ढूंढना है…इसके लिए विधायकों को दूसरे राज्य में ले जाकर रिसॉर्ट में ठहराने या
राज्यसभा चुनाव में नोटा जैसे प्रस्ताव पर हाय तौबा मचाने से कुछ नहीं होगा…ना
ही बीजेपी को घर में सेंध लगाने के लिए दोष देते रहने से स्थिति में बदलाव
होगा…अगर राजनीति में कोई विरोधी है तो वो तो अपनी लकीर बड़ी करने के लिए आपकी
जड़ें काटने की कोशिश करेगा ही…ये तो आप पर है कि कैसे अपने किले को बचाए रखते
हैं…
में कांग्रेस के विधायक पाला बदल कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं तो ये किसका कसूर
है…अहमद पटेल जैसे दिग्गज कांग्रेसी को गुजरात से
राज्यसभा में पहुंचने के लिए लाले पड़े हुए हैं तो इसका जवाब खुद कांग्रेस को ही
ढूंढना है…इसके लिए विधायकों को दूसरे राज्य में ले जाकर रिसॉर्ट में ठहराने या
राज्यसभा चुनाव में नोटा जैसे प्रस्ताव पर हाय तौबा मचाने से कुछ नहीं होगा…ना
ही बीजेपी को घर में सेंध लगाने के लिए दोष देते रहने से स्थिति में बदलाव
होगा…अगर राजनीति में कोई विरोधी है तो वो तो अपनी लकीर बड़ी करने के लिए आपकी
जड़ें काटने की कोशिश करेगा ही…ये तो आप पर है कि कैसे अपने किले को बचाए रखते
हैं…
कांग्रेस को ये नहीं भूलना चाहिए कि देश को आज़ादी मिलने से
पहले उसका क्या स्वरूप था? ये एक मास
मूवमेंट (जन आंदोलन) था, तब इसके नेताओं का अपना खुद का कोई स्वार्थ नहीं
था…शायद इसीलिए बापू ने देश को आजादी मिलने के बाद कहा था कि कांग्रेस को अब
डिसमेंटल (खत्म) कर देना चाहिए…बापू को पता था कि सत्ता ऐसा ज़हर है जो अपने साथ
भ्रष्टाचार की बीमारी को भी साथ लाएगा…
पहले उसका क्या स्वरूप था? ये एक मास
मूवमेंट (जन आंदोलन) था, तब इसके नेताओं का अपना खुद का कोई स्वार्थ नहीं
था…शायद इसीलिए बापू ने देश को आजादी मिलने के बाद कहा था कि कांग्रेस को अब
डिसमेंटल (खत्म) कर देना चाहिए…बापू को पता था कि सत्ता ऐसा ज़हर है जो अपने साथ
भ्रष्टाचार की बीमारी को भी साथ लाएगा…
कांग्रेस में एक ही शख्स दोबारा जान फूंक सकता है और वो है…
कांग्रेस को रिवाइव करना है तो एक बात याद रखनी चाहिए कि अब
भी ये करने का मादा एक शख्स में ही है…और वो हैं महात्मा गांधी…गांधी बेशक 69
साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह गए…लेकिन गांधी जो विचार है वो अमर अजर है…कांग्रेस
को देश के लोगों के दिलों में खोई हुई जगह वापस पानी है तो गांधीगीरी से अच्छा रास्ता
और कोई नहीं हो सकता…चुनावी राजनीति को भूल कांग्रेस को सिर्फ इसी रणनीति पर काम
करना चाहिए कि कैसे वो लोगों के दुख-दर्द को कम कर सकती है…गंगा जमुनी तहजीब, जो
भारतीयता का सार रहा है, कैसे उसे मजबूत करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देती
है…
भी ये करने का मादा एक शख्स में ही है…और वो हैं महात्मा गांधी…गांधी बेशक 69
साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह गए…लेकिन गांधी जो विचार है वो अमर अजर है…कांग्रेस
को देश के लोगों के दिलों में खोई हुई जगह वापस पानी है तो गांधीगीरी से अच्छा रास्ता
और कोई नहीं हो सकता…चुनावी राजनीति को भूल कांग्रेस को सिर्फ इसी रणनीति पर काम
करना चाहिए कि कैसे वो लोगों के दुख-दर्द को कम कर सकती है…गंगा जमुनी तहजीब, जो
भारतीयता का सार रहा है, कैसे उसे मजबूत करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देती
है…
अगर कांग्रेस ये सोचती है कि बीजेपी की खामियां, जनविरोधी
नीतियां उसे खुद ही सत्ता में वापस ला देगी तो ये उसके मुगालते के सिवा और कुछ
नहीं है…अब कोई दूसरे को हराने के लिए आपको वोट नहीं देगा…बल्कि वोट देने वाला
पूछेगा कि आप में खुद ऐसा क्या है जो आपको जिताया जाए…
नीतियां उसे खुद ही सत्ता में वापस ला देगी तो ये उसके मुगालते के सिवा और कुछ
नहीं है…अब कोई दूसरे को हराने के लिए आपको वोट नहीं देगा…बल्कि वोट देने वाला
पूछेगा कि आप में खुद ऐसा क्या है जो आपको जिताया जाए…
इस फ़र्क को जितनी जल्दी
समझ लिया जाएगा उतना ही इस ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए अच्छा रहेगा…जितना वो सड़क
पर गरीब-गुरबों, किसान-मजदूरों, मध्यम वर्ग, नौकरीपेशा लोगों के लिए लड़ाई लड़ती
दिखेगी, भ्रष्टाचारियों का गांधीगीरी से नाक में दम करेगी, बिग ब्रदर वाली अकड़
छोड़ सभी विरोधी दलों को एकजुट करेगी, उतनी ही उसके लिए संभावनाएं बढ़ेंगी…अगर
ऐसा नहीं किया और पार्टी मौजूदा ढर्रे पर ही चलती रही तो ये ठीक वैसा ही है जैसे
कि कोई संथारा ले लेता है…और अगर कोई खुदकुशी करने की ठान ही ले तो फिर उसका ऊपर
वाला ही मालिक है…
समझ लिया जाएगा उतना ही इस ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए अच्छा रहेगा…जितना वो सड़क
पर गरीब-गुरबों, किसान-मजदूरों, मध्यम वर्ग, नौकरीपेशा लोगों के लिए लड़ाई लड़ती
दिखेगी, भ्रष्टाचारियों का गांधीगीरी से नाक में दम करेगी, बिग ब्रदर वाली अकड़
छोड़ सभी विरोधी दलों को एकजुट करेगी, उतनी ही उसके लिए संभावनाएं बढ़ेंगी…अगर
ऐसा नहीं किया और पार्टी मौजूदा ढर्रे पर ही चलती रही तो ये ठीक वैसा ही है जैसे
कि कोई संथारा ले लेता है…और अगर कोई खुदकुशी करने की ठान ही ले तो फिर उसका ऊपर
वाला ही मालिक है…
स्लॉग ओवर
(नोट- 2009 लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में बीजेपी की हार
के बाद ये स्लॉग ओवर लिखा था लेकिन अब परिस्थितियां ऐसी हैं कि बीजेपी की जगह
कांग्रेस ने ले ली है)
के बाद ये स्लॉग ओवर लिखा था लेकिन अब परिस्थितियां ऐसी हैं कि बीजेपी की जगह
कांग्रेस ने ले ली है)
जिस तरह कांग्रेस ने खुद को बुरे दौर में फंसा लिया है, उस पर हरियाणा का
एक किस्सा याद आ रहा है…एक बार एक लड़की छत से गिर गयी, लड़की दर्द से
बुरी तरह छटपटा रही थी, उसे कोई घरेलु
नुस्खे बता रहा था तो कोई डॉक्टर को बुलाने की सलाह दे रहा था, तभी सरपंच जी भी
वहां आ गए…उन्होंने हिंग लगे न फिटकरी वाली तर्ज़ पर सुझाया कि लड़की को दर्द तो
हो ही रहा है लगे हाथ इसके नाक-कान भी छिदवा दो, बड़े दर्द में बच्ची को इस दर्द का पता भी नहीं
चलेगा, वही हाल फिलहाल कांग्रेस
का है… 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से इतने झटके लग रहे है कि इससे ज्यादा बुरे दौर
कि और क्या सोची जा सकती है…ऐसे में पार्टी कि शायद यही मानसिकता हो गयी है कि
जो भी सितम ढहने है वो अभी ही ढह जायें, कल तो फिर उठना ही उठना है…आखिर उम्मीद पर दुनिया कायम
है…
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
एक किस्सा याद आ रहा है…एक बार एक लड़की छत से गिर गयी, लड़की दर्द से
बुरी तरह छटपटा रही थी, उसे कोई घरेलु
नुस्खे बता रहा था तो कोई डॉक्टर को बुलाने की सलाह दे रहा था, तभी सरपंच जी भी
वहां आ गए…उन्होंने हिंग लगे न फिटकरी वाली तर्ज़ पर सुझाया कि लड़की को दर्द तो
हो ही रहा है लगे हाथ इसके नाक-कान भी छिदवा दो, बड़े दर्द में बच्ची को इस दर्द का पता भी नहीं
चलेगा, वही हाल फिलहाल कांग्रेस
का है… 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से इतने झटके लग रहे है कि इससे ज्यादा बुरे दौर
कि और क्या सोची जा सकती है…ऐसे में पार्टी कि शायद यही मानसिकता हो गयी है कि
जो भी सितम ढहने है वो अभी ही ढह जायें, कल तो फिर उठना ही उठना है…आखिर उम्मीद पर दुनिया कायम
है…
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
Latest posts by Khushdeep Sehgal (see all)
- दुबई में 20,000 करोड़ के मालिक से सानिया मिर्ज़ा के कनेक्शन का सच! - February 4, 2025
- कौन हैं पूनम गुप्ता, जिनकी राष्ट्रपति भवन में होगी शादी - February 3, 2025
- U’DID’IT: किस कंट्रोवर्सी में क्या सारा दोष उदित नारायण का? - February 1, 2025