कौन है ‘असली’…अन्ना हज़ारे या शंभूदत्त शर्मा…खुशदीप



  अन्ना हज़ारे का नाम आज देश में ही नहीं सात समंदर पार भी जाना जाता है… लेकिन शंभूदत्त शर्मा का नाम आप सब में बहुत कम जानते होंगे…सच बताऊं तो आज से पहले मैंने भी कभी शंभूदत्त जी के बारे में नहीं सुना था…ये तो भला हो बीबीसी के विनीत खरे का, जिनकी रिपोर्ट पढ़कर मैंने शंभूदत्त जी के बारे में जाना…93 बसंत देख चुके शंभूदत्त शर्मा दिल्ली में ही रहते हैं…जोश इतना है कि इस साल तीस जनवरी को शंभूनाथ जी ही लोकपाल के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठने वाले थे…टीम अन्ना के आग्रह पर शंभूदत्त जी ने अनशन का इरादा त्यागा था…आप भी इस रिपोर्ट में शंभूदत्त जी की खरी-खरी सुनकर सोचने को मजबूर होंगे कि क्यों अपार जनसमर्थन मिलने के बावजूद अन्ना का आंदोलन धार नहीं पकड़ सका…ऐसी धार जो सरकार की शातिर चालों को उसी के वार से काट सके…पढ़िए ये रिपोर्ट, मेरी तरह बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा…

‘असली’ अन्ना ने कहा मांगे अव्यावहारिक

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स्वंर्ग पहुंच कर विजय माल्या ने क्या किया…पढ़िए इस लिंक पर…

ONE AND ONLY VIJAY MALLYA…KHUSHDEEP

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honesty project democracy

शम्भू दत्त शर्मा जी की बातें भ्रमित करने वाली है और आत्ममुग्धता से प्रेरित है …..शम्भू दत्त शर्मा दिल्ली के अशोक विहार में फैले शर्मनाक भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को एकजुट कर कितनी बार कांग्रेस को टोका है….? जमीन पे काम करना और बात करने में बहुत फर्क है मैं ये नहीं कहता की अरविन्द केजरीवाल या अन्ना हजारे जी में कोई कमी नहीं बल्कि मैंने इन लोगों के साथ जमीनी स्तर पर काम किया है इसलिए ये कह सकता हूँ की मानवीय दुखों के प्रति इनकी संवेदनशीलता लाजबाब और आज शर्मनाक असंवेदनशील सरकार के खिलाफ इनका हर बयान बहुत सभ्य है बल्कि मैं तो असभ्य भाषा के इस्तेमाल के पक्ष में हूँ क्योकि सारकार में बैठे लोग आज इंसान कहलाने लायक नहीं इसलिए इनके साथ अब सिर्फ गाँधी जी वाली भाषा नहीं बल्कि साथ में सुभाष चन्द्र बोस व भगत सिंह की भाषा का समावेश भी करना होगा…

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

शंभूदत्त शर्मा को हमने भी आज ही जाना.
बाबा रामदेव जी चाहते थे कि विदेशों में जमा ख़ज़ाना भारत लाया जाए और सरकार ने दिखा दिया कि बाहर से लाने की ज़रूरत तो बाद में पड़ेगी, देश के धर्मस्थलों में बहुत जमा है ख़ज़ाना।
आप कहें तो पहले इसी का राष्ट्रीकरण कर दिया जाए ?
अब न तो बाबा जी से जवाब देते बन रहा है और न ही बीजेपी से।
…लेकिन यह सब हुआ क्यों और अब क्या होगा आगे ?
जानने के लिए देखिए यह लिंक
धर्म और राजनीति के धंधेबाजों की फंदेबाज़ी Indian Tradition

डॉ टी एस दराल

दिल को देखो , चेहरा न देखो . अन्ना का मकसद तो साफ है . लेकिन उन्हें चला तो सलाहकार रहे हैं .

मुकेश कुमार सिन्हा

jai ho inn deshbhakto ki:)

डा० अमर कुमार

अव्यवहारिक मसलों पर अन्ना का बच्चों जैसा हठ सचमुच चिन्ता में डालने वाला है ।
कहीं कहीं लगता है कि, वह प्रशासन को ही ललकार रहे हैं कि आओ मुझे कुचलो !
दो कदम तुम भी चलो, दो कदम हम भी चलें….. यह है समझौते की सीमा.. न कि,
दो सौ कदम तुम्हीं दौड़ो, हम अडिग बैठे रहें !
मन में एक मलाल यह है कि, भारतीय मीडिया शर्मा जी को सम्मुख लाने में आखिर कैसे चूक गयी ?
आखिर बी.बी.सी. ने अपनी खबरों को लेकर इतना भरोसा कैसे अर्जित कर लिया ? कहीं ऎसा तो नहीं है कि, शँभुदत्त जी को प्रॉक्सी बना कर सँभावनायें ठोकी जा रहीं हों ? आखिरकार राजनीति और रणनीति सँभावनाओं का अनन्त सागर है । 🙁

भाई, सतीश जी की शुभकामनायें जल्द स्वीकारो…
यहाँ नीचे मेरे ऊपर टपकी जा रही है… और प्रवीण जी साक्षी बने देख रहे हैं 🙂

प्रवीण पाण्डेय

हम साक्षी बने सब देख रहे हैं।

Satish Saxena
13 years ago

हर समय तालियाँ बजाती भीड़ के सामने, शम्भुदत्त जी जैसे लोगों की आवाज कितने लोग सुन पाएंगे ? संदेह है ….
राजनीतिक पार्टियों के प्रति अपनी अपनी प्रतिबद्धता निभाते लोगों से देशभक्ति की आवाज उठाने की आशा करना बेमानी है !
बहरहाल शुभकामनायें स्वीकारें खुशदीप भाई !

दिनेशराय द्विवेदी

बातें शम्भूदत्त जी की सही लगती हैं। अपनी समझ जरा मोटी है। भारत की 72% आबादी आज भी गावों में रहती है। जब तक किसी आंदोलन में इन की बहुलता नहीं उस आंदोलन को सफलता नहीं।

Gyan Darpan
13 years ago

शंभूदत्त शर्मा को हमने भी आज ही जाना ,आपके दिए लिंक पर उनकी बातें भी पढ़ी वो जो भी कह रहे है वह सच है| शंभूदत्त शर्मा के विचारों से १००%सहमत |

Rohit Singh
13 years ago

अब यही तो देखना होगा कि इन गांधिवादियों में किसकी बात जनता तक पहुंचती है औऱ नेताओं के कानों में…..रास्ता आसान नहीं है तभी तो सत्याग्रह करना पड़ा….

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