9 जून को ही बीजेपी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर एक दंतकथा का हवाला दिया…आडवाणी के मुताबिक 5 जून को उनके घर पर आए प्रसिद्ध फिल्मकार कमलहासन को उन्होंने ये दंतकथा सुनाई थी…इसे आडवाणी ने कराची में अपने स्कूल के दिनों में सुना था…
दंतकथा एडोल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी की द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई एक मुलाकात को लेकर है…इसके मुताबिक जर्मनी का पूर्व तानाशाह हिटलर इटली के अपने समकक्ष मुसोलिनी से कहता है कि उन दोनों ने जो पाप किए हैं, वो उन्हें मृत्यु के बाद बहुत भारी पड़ेंगे…इस पर मुसोलिनी का कहना था कि जब उसे अपना अंत करीब आता दिखेगा तो वेटिकन जाकर पोप से मदद मांगेगा क्योंकि उनके पास स्वर्ग में भेजने का पास रहता है…इस पर हिटलर मुसोलिनी से पोप से अपने नाम की भी स्वर्ग के लिए सिफ़ारिश करने के लिए कहता है…इस दंतकथा के साथ डिमॉन्सट्रेशन के लिए दो कैंचियों और कागज़ की भी ज़रुरत होती है…दंतकथा का अंत यही होता है कि दोनों फासीवादी नेताओं को नर्क ही जाना पड़ता है और स्वर्ग में सिर्फ पोप ही जाते हैं…
9 जून को ही ब्लॉग पर आडवाणी के इस दंतकथा को डालने के कई मायने लगाए जा सकते हैं…पूछने वाले पूछ सकते हैं कि आज के संदर्भ में कौन ‘हिटलर-मुसोलिनी’ हैं और कौन ‘पोप’…
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बातें करना और उन्हें अमल में लाना दोनों में बहुत अन्तर है.
जो खुल जाए वही अच्छा है ..
अनुराग जी,बाकी बिंदु सही है लेकिन कश्मीर पर फैसला लेना अब इतना आसान नहीं रह गया है।अच्छा होगा यदि हम अपने पास वाले हिस्से को बचाकर रखें।क्या करें लेडी माउंटबेटन के इश्क में गिरफ्तार हमारे चच्चा जी ने इस मसले का अन्तर्राष्ट्रियकरण कर कश्मीर को हमेशा हमेशा के लिए जलने के लिए छोड दिया ।
ऑस्ट्रेलियन प्राइम मिनिस्टर जूलीया गिलर्ड को दुनिया की रानी बना देना चाहिए !!
इस महिला प्राइम मिनिस्टर ने जो कहा है , उस बात को कहने के लिए बड़ा साहस और आत्मविश्वास चाहिए !
पूरी दुनिया के सब देशो मे ऐसे ही लीडर होने चाहिए !!
वो कहती है :
"मुस्लिम , जो इस्लामिक शरिया क़ानून चाहते है उन्हेबुधवार तक ऑस्ट्रेलिया से बाहर जाने के लिए कहा हे क्यूकी ऑस्ट्रेलिया देश के कट्टर मुसलमानो को आतंकवादी समझता है
ऑस्ट्रेलिया के हर एक मस्जिद की जाँच होगी और मुस्लिम इस जाँच मे हमे सहयोग दे
जो बाहर से उनके देश मे आए है उन्हे ऑस्ट्रेलिया मे रहने के लिए अपने आप को बदलना होगा और ना की ऑस्ट्रेलियन लोगो को .. अगर नही होता है तो मुसलमान मुल्क छोड़ सकते है
कुछ ऑस्ट्रेलियन चिंतित है ये सोच के की क्या हम किसी धर्म के अपमान तो नही कर रहे .. पर मई ऑस्ट्रेलियन लोगो को विश्वास देती हू की हम जो भी कर रहे है वो सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के लोगो के हित मे कर रहे है
हम यहा इंग्लीश बोलते है ना की अरब .. इसलिए अगर इस देश मे रहना होगा तो आपको इंग्लीश सीखनी ही होगी
ऑस्ट्रेलिया मे हम JESUS को भगवान मानते है , हम भगवान को मानते है ! हम सिर्फ़ हमारे CHRISTIAN RELIGION को मानते है और किसी धर्म को नाही इसका यह मतलब नही की हम संप्रदायिक है ! इसलिए हुमारे यहा भगवान की तस्वीर और धर्म ग्रंथ सब जगह होते है ! अगर आपको इस बात से आपत्ति है तो दुनिया मे आप कही भी जा सकता है ऑस्ट्रेलिया छोड़ के
ऑस्ट्रेलिया हमारा मुल्क है , हमारी धरती है , और हमारी सभ्यता है
हम आपके धर्म को मानते नही पर आपकी भावना को मानते है! इसलिए अगर आपको नमाज़ पढ़नी है तो ध्वनि प्रदूषण नाकरे .. हमारे ऑफीस , स्कूल या सार्वजनिक जगहो मे नमाज़बिल्कुल ना पढ़े ! अपने घरो मे या मस्जिद मे शांति से नमाज़ पढ़े जिस से हमे कोई तकलीफ़ ना हो!
अगर आपको हमारे ध्वज से , राष्ट्रा गीत से , हमारे धर्म से या फिर हमारे रहण सहन से कोई भी शिकायत है तो आप अभी इसी वक़्त ऑस्ट्रेलिया छोड़ दे"
– ऑस्ट्रेलिया प्राइम मिनिस्टर जूलीया गिलर्ड
सीखो भारत के नेताओ .. कुछ सीखो इनसे ..
एक आस सी जगी है , निराशा के दौर में।
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज (सोमवार, १० जून, २०१३) के ब्लॉग बुलेटिन – दूरदर्शी पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
यह ख्वाब तो सभी राजनैतिक दल दिखाएंगे मगर करेगा एक भी नहीं… याद रखना चाहिए की सोती हुई कौम को बस ख्वाब हे दिखाया जा सकता है… हकीक़त से रूबरू होने के लिए तो हमें जागना होगा, जिंदा कौम बनना होगा।
स्वर्ग-नर्क जाने वाले तो चले गए, राजनेता तो धरती पर रहकर ही जनसेवा करेंगे ये पक्की बात है, कोंग्रेसी हों या भाजपाई … कहानियाँ तो टाइम-पास हैं, मैं तो यह जानने का इच्छुक हूँ कि कौन सी पार्टी
– कश्मीर के पाकी-चीनी कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस भारत में मिलाएगी
– माओवाद और दूसरे आतंकियों को नेस्तनाबूद करेगी
– 100% शिक्षा का स्तर लाएगी
– न्याय व्यवस्था को सरल और गतिमान बनाएगी
– देश में प्रशासन व्यवस्था बनाएगी
– भ्रष्टाचारियों को तुरंत बाहर करेगी
– पूरे देश में (चाहें तो सैंपल के तौर पर पहले एक छोटे से शहर दिल्ली में ही कर के दिखा दें) जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी
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