कौन कहेगा, मां का दूध पिया है…खुशदीप

मां का दूध पिया है तो सामने आ…


छठी का दूध याद न दिला दिया तो मेरा नाम नहीं…


दूध का कर्ज़ कैसे चुकाऊंगा

ये सारे डॉयलॉग आपने कभी बोले नहीं तो सुने ज़रूर होंगे…आज मदर्स डे पर अमर उजाला में प्रमोद भारद्वाज जी का शानदार लेख पड़ते हुए ये डॉयलॉग खुद-ब-खुद याद आ गए…आज महानगरों का जैसा परिवेश हो चला है…पाश्चात्य आधुनिकता की सिल्वर कोटिंग में युवा पीढ़ी जिस तरह का जीवन जीने की अभ्यस्त होती जा रही है, उसे देखते हुए मुश्किल लगता है कि अब नवजातों को मां का दूध नसीब भी होता होगा…ये नौनिहाल बड़े होकर कैसे सीना ठोक कर कह सकेंगे…मां का दूध पिया है तो सामने आ…

DISC (Double Income Single Child) या DINC (Double Income No Child) कपल्स की ये पीढ़ी जीवन की आपाधापी में इतनी व्यस्त है या व्यस्त होने को मजबूर है कि बच्चों को पालना भी बड़ा बोझ नज़र आने लगा है…हफ्ते में पांच दिन ऑफिस की दौड़…जिम, लंच सब आधुनिक ठंडे ऑफिसों में ही उपलब्ध…बचे दो दिन तो उनमें हफ्ते की सारी थकान उतारने के लिए आउटिंग या जान-पहचान वालों के यहां दारू या टी-पार्टी…अब बच्चों के लिए टाइम लाए तो लाए कहां से…

लिव-इन-रिलेशनशिप का शायद यही सबसे बड़ा फायदा है…शादी नहीं करेंगे तो बच्चे के लिए कोई क्यों पूछेगा कि मुंह मीठा कब करा रहे हो…खैर अब युवा पीढ़ी में सभी ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट होते हैं…इसलिए महानगरों में अब ये फ़िक्र कोई नहीं करता कि लोग क्या कहेंगे…सवाल लोगों के कहने का नहीं सवाल अपनी सुविधा का है…और इस सुविधा में बच्चे को पालना-परोसना…No way, it’s just not suit to us…

तर्क दिया जाएगा, काम पर आपको स्मार्ट दिखना भी ज़रूरी है भई…इसलिए प्रेगनेंसी या नवजात को दूध पिलाने से फिगर खराब हुई तो कहां से उसे ठीक किया जाएगा…वो मुंर्गी वाली बात यहीं बड़ी सटीक बैठती है…जो खुद ही स्टोर पर अंडे खरीदने पहुंच जाती है…सेल्समैन के पूछने पर कहती है कि वो मेरे मुर्गे जी ने कहा है क्या दस-बीस रुपये के पीछे अपनी फिगर खराब करनी, अंडे मार्केट से ही ले आ…(हाई क्लास सोसायटी में खुद को सोशली कॉन्शियस दिखाने के लिए अनाथ बच्चों को गोद लेने के पीछे यही वजह तो नहीं है, सॉरी सुष्मिता सेन)

क्रमश:

इस मुद्दे पर पूरी सीरिज़ लिखने जा रहा हूं…पता नहीं कितनी कड़ियों में खत्म हो…फिलहाल मदर्स डे पर ये प्यारा सा गीत सुनिए…फ़ौजिया रियाज़ ने इसे अपने ब्लॉग पर लगा रखा है…इस वीडियो का तीसरा गाना है, लिंक खुलने पर कृपया सीधे वहीं क्लिक करिएगा…

मां, सुनाओ…मुझे वो कहानी…

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डा० अमर कुमार


ऒये तेरी की, मॉडरेटर भी बैठा दिया ?

डा० अमर कुमार


जागरूक करती ए्क उच्चस्तरीय पोस्ट !
इस पोस्ट पर मेरी टिप्पणी कैसे रह गयी ?

( बच्चा, जहाँ कहीं भी हो..लौट आओ । मैं तुम्हारे पुराने पोस्ट पढ़कर किसी तरह गुज़र बसर कर रहा हूँ )

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