‘कल’ डायरी से मिटाइए, ‘आज’ ऐसे जी कर देखिए…खुशदीप

आज मैं अपनी डायरी से दो दिनों को मिटाऊंगा
बीता हुआ कल और आने वाला कल…


बीता हुआ कल सीखने के लिए था,
आने वाला कल नतीजा होगा उसका,
जो मैं आज कर सकता हूं…


आज मैं ज़िंदगी का सामना करूंगा,
ये मानकर कि ये दिन फिर कभी,
दोबारा नहीं लौटने वाला…


आज आखिरी मौका है,
मैं शिद्दत के साथ जी लूं,
कोई नहीं मुझे आश्वस्त कर सकता कि,
मैं कल का सूरज देखूंगा या नहीं…


आज मैं इतनी हिम्मत दिखाऊंगा,
किसी मौके को हाथ से जाने नहीं दूंगा,
एक ही विकल्प है मेरे पास,
सिर्फ और सिर्फ कामयाबी…


आज मैं निवेश करूंगा,
अपने सबसे मूल्यवान संसाधन,
यानि अपने वक्त का,
सबसे श्रेष्ठ काम में,
यानि अपनी ज़िंदगी में…


आज मैं अपने हर मिनट को,
इस तरह बिताऊंगा,
कि मेरी ज़िंदगी का आज,
सबसे अलग और खास दिन बन जाए…


आज मेरे रास्ते में जो बाधा आएगी,
उससे पार पाऊंगा,
इस विश्वास के साथ कि,
जीत मेरी ही होगी…


आज मैं निराशा छोड़ कर उठूंगा,
दुनिया को जीतूंगा मुस्कान के साथ,
अपनी सारी सकारात्मक ऊर्जा के साथ,
बस इसी उम्मीद से कि,
सब कुछ अच्छा होगा…


आज मैं हर सादे काम को भी
खास अंदाज़ से ख़ास बनाऊंगा
आज मैं ज़मीन पर ही रखूंगा,
अपने कदमों को,
हक़ीक़त समझते हुए…

और सितारे टकटकी लगाकर देखेंगे,
मेरा भविष्य किस तरह गढ़ा जाता है…




आपकी मुस्कान है आपकी सबसे अच्छी दोस्त…इसे किसी और की दोस्त भी बनाइए..


खुश रहिए…ये भी बुद्धिमान होने का एक रास्ता है…
 
(ई-मेल से अनुवाद)

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