ऊपर वाले से मांगो तो हमेशा ये मांगो…खुशदीप

Source: NamasteCafeMn Facebook Page


जो करेगा ऊपर वाला ही करेगा. उसकी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होगा. जो होगा
वक़्त से ही होगा. तो फिर क्या किया जाए- हाथ पर हाथ रख कर बैठा जाए. कोई कर्म
नहीं किया जाए?


हम जिस आराध्य को भी मानते हैं, उससे हर दिन अपने अटके हुए काम बन जाने की
प्रार्थना करते हैं, दुआ करते हैं, अरदास करते हैं, प्रेयर करते हैं. युवावस्था में ये कुछ इस तरह की होती है या यूं कहें
कि सिफ़ारिश की अर्जी इस तरह की होती है-
मुझे अच्छे नंबरों से पास करा दो. मेरी
अच्छी नौकरी लगवा दो. मुझे अच्छा जीवन साथी दिला दो.


अगली स्टेज पर ये प्रार्थना इसमें बदल जाती है- मेरा प्रमोशन करा दो,
बढ़िया अप्रेसल दिला दो, मेरे बच्चे का अच्छे स्कूल-कॉलेज में एडमिशन करा दो, गाड़ी-बंगला
दिला दो, बढ़िया जगह पोस्टिंग करा दो, तबीयत ठीक करा दो, मुकदमा पक्ष में करा दो,
आदि आदि.


ऊपर वाले से मांगना ये कभी न रुकने वाला सिलसिला है. ये मांगने का दायरा भी
खुद और अपने परिवार या बेहद करीबियों तक ही सिमटा रहता है. अब ये सोचिए कि आपका
अकेले का कॉपीराइट तो हो नहीं सकता. ऊपर वाले से तो आप जैसे अनेक अनेक हर दिन
प्रार्थना करते होंगे. उसे तो सभी का एक जैसा ही ध्यान रखना है.


अब तमाम प्रार्थनाओं के बाद भी कोई काम नहीं हो पाता तो आप कहते हैं कि
अपनी तो किस्मत ही ख़राब है. ईमानदारी और मेहनत की कोई पूछ नहीं है. सब जुगाड़ुओं
और चमचागिरी करने वालों को ही मिल जाता है.


अब ज़रा सोचिए, लिफ्ट ख़राब है और आपने पांचवें माले पर जाना है. आप ऊपर
वाले से प्रार्थना कीजिए कि पांचवें माले पर चढ़ा दे. क्या वो चढ़ा देगा
? 
फिर आपको कौन पांचवें माले पर चढ़ाएगा. वो चढ़ाएगा आपका अपना कर्म. आप खुद
सीढ़ी चढ़ कर जाएंगे. ऊपर वाले से प्रार्थना करने का ये फ़ायदा होता है कि वो आपको
पांचवें माले पर चढ़ने के लिए शक्ति और ऊर्जा देता है.


यानि ऊपर वाले से जब भी मांगो तो ये मत कहो कि मेरा फलाना काम करा दो
बल्कि ये कहो कि उस काम को करने की मुझे शक्ति मिले. उसके लिए मेरे में सामर्थ्य
आए. साथ ही मैं खुद को उसके लिए योग्य बना सकूं.

 

सौ बातों की एक बात-  ऊपर वाले से
ये मत कहो कि मेरे साथ समस्याएं है बल्कि समस्याओं से कहो कि मेरे साथ
ऊपरवाला है.

 

मैं अपने युवा साथियों से भी कहता हूं. सिफ़ारिश, जुगाड़ जैसी निगेटिव
बातों में व्यर्थ करने की जगह अपने वक्त को खुद को मज़बूत करने में लगाएं, तराशने
में लगाएं. आप एक जॉब की हसरत रखते हैं तो फिर ये भी सोचिए कि उस जॉब के लिए क्या
क्या ज़रूरते हैं, उसके मुताबिक तैयारी करके खुद को कैसे निखारा जा सकता है. कहीं
भी नौकरी के लिए जाएंगे तो टेस्ट या इंटरव्यू में सवालों के जवाब तो देने ही
होंगे. उसके लिए खुद को एवररेडी रखना चाहिए. यही बात अगर आप नौकरी की जगह खुद का
काम शुरू करना चाहते हैं तो वहां भी लागू होती हैं.


एक और समस्या युवा साथियों के सामने पेश आ सकती है. वो है अपना बर्ताव तो
हम कंट्रोल में रख सकते हैं लेकिन दूसरों का क्या करें. वो हमारे साथ ठीक से पेश
नहीं आ रहे. एक सूरत तो ये हो सकती है कि आप भी उनसे ठीक से पेश न आए. या फिर उनसे
बात ही करना बंद कर दें. लेकिन इसका नतीजा क्या निकलेगा. माहौल नकारात्मक बनेगा,
आपके अंदर खुद भी निगेटिविटी आएगी जो निश्चित तौर पर आप पर भी असर डालेगी.

 

फिर क्या किया जाए?
इस तरह के लोगों को कैसे
डील किया जाए. यहां मेरा कहना है कि दूसरा चाहे जो करे, आपको कितना भी उकसाए, आप
अपनी पॉजिटिविटी मत छोड़िए. दूसरा जैसा भी है, उसका व्यवहार जैसा भी है, उसे वैसे
ही स्वीकार कीजिए. इससे आप खुद को तनाव से बचा कर ऱखेंगे. माहौल भी ठीक रहेगा.
आपके ऐसा करने से या तो दूसरे के स्वभाव में भी कभी न कभी परिवर्तन होगा या वो आपको काउंटर करने के
लिए तिकड़में लगाना बंद कर देगा.

Be Positive, Be Happy…

(#Khush_Helpline को मेरी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. मीडिया में एंट्री के इच्छुक युवा मुझसे अपने दिल की बात करना चाहते हैं तो यहां फॉर्म भर दीजिए)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
मन की वीणा

सुंदर संदेश देता लेख , सकारात्मकता कभी न छोड़े।
बहुत सुंदर।

Amrita Tanmay
3 years ago

प्रेरक आलेख ।

प्रवीण पाण्डेय

का माँगू, कुछ थिर न रहाई।
सच कहा आपने। बड़ा प्रश्न है यह कि क्या माँगा जाये?

Ravindra Singh Yadav
3 years ago

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-08-2021 ) को 'कल सावन गया आज से भादों मास का आरंभ' (चर्चा अंक 4165) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

Alok sharma
3 years ago

Sahi baat

Shiv Om Gupta
3 years ago

बढ़िया

Khushdeep Sehgal
3 years ago

शुक्रिया…

Unknown
3 years ago

Very well written. It's a true reflection of our society .👍

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x