एक बच्चे की तस्वीर ने मुझे अंदर तक हिला दिया.
आप भी कहेंगे कि पीवी
सिंधू ने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल पक्का करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट
होने का इतिहास रचा है, ऐसे जश्न के माहौल में मैं आपको इस बच्चे के बारे में बता रहा हूं …
सिंधू ने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल पक्का करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट
होने का इतिहास रचा है, ऐसे जश्न के माहौल में मैं आपको इस बच्चे के बारे में बता रहा हूं …
यकीन मानिए 22
साल से पत्रकारिता कर रहा हूं, लेकिन आज एक बच्चे की तस्वीर और वीडियो को देखकर
जितना हिला हूं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ…
साल से पत्रकारिता कर रहा हूं, लेकिन आज एक बच्चे की तस्वीर और वीडियो को देखकर
जितना हिला हूं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ…
अब आपको इस बच्चे के बारे में बताता हूं…इस 5 साल के मासूम का नाम है
ओमरान दाकनीश…ये बच्चा सिविल वॉर की मार सह रहे सीरिया के एलेप्पो शहर में रहने
को अभिशप्त है…ओमरान का वीडियो और तस्वीर एलेप्पो शहर पर हवाई हमले के बाद की
है…ओमरान को एक बिल्डिंग से रेस्क्यू के बाद एंबुलेस के अंदर कुर्सी पर लाकर
बिठाया गया है…
ओमरान दाकनीश…ये बच्चा सिविल वॉर की मार सह रहे सीरिया के एलेप्पो शहर में रहने
को अभिशप्त है…ओमरान का वीडियो और तस्वीर एलेप्पो शहर पर हवाई हमले के बाद की
है…ओमरान को एक बिल्डिंग से रेस्क्यू के बाद एंबुलेस के अंदर कुर्सी पर लाकर
बिठाया गया है…
तस्वीर और वीडियो में
ओमरान का लहूलुहान चेहरा देखा
जा सकता है…वो पूरा मलबे की गर्त से ढका हुआ है…ओमरान ना रो रहा है, ना चिल्ला
रहा है…शांति से रेस्क्यू वर्कर्स को अपना काम करते देख रहा है…चार बच्चों, एक
शख्स को और बचा कर लाया जाता है…फिर एंबुलेंस सभी को लेकर अस्पताल चली जाती
है…नहीं पता कि ओमरान के मां-बाप कहां हैं…ज़िंदा भी हैं या नहीं…
ओमरान का लहूलुहान चेहरा देखा
जा सकता है…वो पूरा मलबे की गर्त से ढका हुआ है…ओमरान ना रो रहा है, ना चिल्ला
रहा है…शांति से रेस्क्यू वर्कर्स को अपना काम करते देख रहा है…चार बच्चों, एक
शख्स को और बचा कर लाया जाता है…फिर एंबुलेंस सभी को लेकर अस्पताल चली जाती
है…नहीं पता कि ओमरान के मां-बाप कहां हैं…ज़िंदा भी हैं या नहीं…
ओमरान जब एंबुलेंस
के अंदर कुर्सी पर बैठा था तो उसकी एक मासूम हरकत ने मुझे अंदर तक झिंझोड़ कर रख
दिया…ओमरान अपना बायां हाथ माथे तक ले जाता है…माथे को छूकर हाथ वापस लाता
है…हाथ पर ख़ून लगा देखता है…फिर घबरा कर झट से हाथ को कुर्सी के कपड़े से
मिटाने की कोशिश करता है…लेकिन रहता पूरी तरह ख़ामोश ही है…उफ़ ओमरान,
तुम्हारी ये शांति बड़े से बड़े तूफ़ानों पर भारी है…
के अंदर कुर्सी पर बैठा था तो उसकी एक मासूम हरकत ने मुझे अंदर तक झिंझोड़ कर रख
दिया…ओमरान अपना बायां हाथ माथे तक ले जाता है…माथे को छूकर हाथ वापस लाता
है…हाथ पर ख़ून लगा देखता है…फिर घबरा कर झट से हाथ को कुर्सी के कपड़े से
मिटाने की कोशिश करता है…लेकिन रहता पूरी तरह ख़ामोश ही है…उफ़ ओमरान,
तुम्हारी ये शांति बड़े से बड़े तूफ़ानों पर भारी है…
बच्चे की टी-शर्ट
को गौर से देखें तो उस पर पॉपुलर कार्टून कैट-डॉग को देखा जा सकता है…ख़ून और
धूल से ढका हुआ…कैट डॉग यानि कुत्ते बिल्ली की जन्मजात लड़ाई…बच्चे ओमरान की
तस्वीर और वीडियो में मुझे कुछ बिम्ब दिखाई दिए…लड़ाई, जंग, हिंसा के
बिम्ब…उनकी निरर्थकता के बिम्ब…
को गौर से देखें तो उस पर पॉपुलर कार्टून कैट-डॉग को देखा जा सकता है…ख़ून और
धूल से ढका हुआ…कैट डॉग यानि कुत्ते बिल्ली की जन्मजात लड़ाई…बच्चे ओमरान की
तस्वीर और वीडियो में मुझे कुछ बिम्ब दिखाई दिए…लड़ाई, जंग, हिंसा के
बिम्ब…उनकी निरर्थकता के बिम्ब…
ये भी समझ आया कि
हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही के बाद भी इनसान ने कुछ नहीं सीखा…अहम की जंग और
सर्वश्रेष्ठ होने के दंभ में वो खुद ही दुनिया का सर्वनाश करने पर तुला है…सरहदें
जो उसने खुद बनाई हैं, उनके नाम पर मरने-मारने पर उतारू है…अपने हिंसक इरादों को
स्वीकार्यता देने के लिए मज़हब को ढाल बना रहा है…जंग के बोल बोलना बहुत आसान
है…जंग के दंश सहना बहुत मुश्किल…
हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही के बाद भी इनसान ने कुछ नहीं सीखा…अहम की जंग और
सर्वश्रेष्ठ होने के दंभ में वो खुद ही दुनिया का सर्वनाश करने पर तुला है…सरहदें
जो उसने खुद बनाई हैं, उनके नाम पर मरने-मारने पर उतारू है…अपने हिंसक इरादों को
स्वीकार्यता देने के लिए मज़हब को ढाल बना रहा है…जंग के बोल बोलना बहुत आसान
है…जंग के दंश सहना बहुत मुश्किल…
किसे है
मासूम ओमरान का चेहरा पढ़ने की फुर्सत…
मासूम ओमरान का चेहरा पढ़ने की फुर्सत…
काश…
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It's really inhuman act done by the people of Iran and Russia.
Thanks for writing. My post on this issue.
Please read here : http://sknomanahmed.com/2016/12/22/pray-for-aleppo-save-aleppo-syria
आपका लेख और विडियो सोचने पर मजबूर कर देता है
हमारे देश के बच्चों पर भी नज़र डालें।जो युद्ध से भी बेकार स्थिति में अपना जीवन व्यतित कर रहे हैं।
हीरोशिमा नागासाकी सिर्फ एक बार और पुनरावृत्ति नहीं लेकिन ये आतंकवाद का विष जिस तेजी से सक्रिय है और ओमरान जैसे बच्चे मूक प्रश्न कर रहे हैं – 'आखिर कब तक ?'
भावशून्य… लाचार…बेबस… दरअसल आंखों से इसने इतनी दुर्दशा देख ली है, कि अब इससे रोया भी नहीं जाता… ! किसके लिए रोएं… कोई तो आंसूं पोंछने वाला चाहिए…