इसे एक बार पढ़िए ज़रूर…खुशदीप

हम अपने-अपने कामों में बड़े मसरूफ़ हैं…अपने बच्चों को ज़िंदगी में कोई मकाम बनाने के लिए हर तरह की मदद देना चाहते हैं…चाहते हैं कि वो किसी भी मामले में दूसरों से पिछड़े नहीं…लेकिन कभी ठीक यही बात हमारे लिए भी किसी ने चाही थी…चाही थी क्या, वो अब भी ऐसा ही चाहते हैं…हम उनके लिए अब भी बच्चे ही हैं…कभी हमने गौर से सोचा कि वो भी हमसे कुछ कहना चाहते हैं…फिर हमे क्यों एक मिनट के लिए भी उनकी बात सुनने पर ज़ोर पड़ता है…ठीक है जीवन की आपाधापी में हमें आगे बढ़ना है…लेकिन उनकी भी तो सोचिए जिन्होंने हमें यहां तक पहुंचाया है…ई-मेल पर बहुत अच्छा फोटो फीचर मिला है…अनुवाद के बाद आपके लिए पेश कर रहा हूं…एक बार पढिए ज़रूर…

जब तुम हमें एक दिन बूढ़े, कमज़ोर देखोगे…

संयम रखना और हमें समझने की कोशिश करना…

अगर हम से खाते वक्त कपड़े गंदे हो जाएं…अगर हम खुद कपड़े न पहन सकें…


हमें बर्दाश्त करना…वो याद करते हुए जब बचपन में तुम हमारे हाथ से खाते थे…कपड़े पहनते थे…


अगर हम तुमसे बात करते वक्त एक ही बात बार बार दोहराएं, गुस्सा खाकर हमें मत टोकना…हमें सुनना…


याद करना, बचपन में कोई कहानी या लोरी कितनी बार तुम्हे सुनाते थे जब तक तुम चैन की नींद सो नहीं जाते थे…

अगर कभी हम न नहाना चाहें तो हमें गंदगी या आलस का हवाला देते हुए मत झिड़कना…


याद करना बचपन में तु्म नहाने से बचने के लिए कितने बहाने बनाते थे और हमें तुम्हारे पीछे भागते रहना पड़ता था…


अगर हमें कंप्यूटर या आधुनिक उपकरण चलाने नहीं आते तो हम पर झल्लाना नहीं…


याद करना हमने तुम्हे कैसे सिखाया था…सही खाना खाना…सही कपड़े पहनना…अपने अधिकारों के लिए लड़ना…

अगर हम कोई बात करते करते कुछ भूल जाएं तो हमें याद करने के लिए मौका देना…हम याद न कर पाएं तो खीझ मत जाना…


हमारे लिए बात से ज़्यादा अहम है बस तुम्हारे साथ होना और ये अहसास कि तुम हमें सुन रहे हो…

अगर हम कभी कुछ न खाना चाहें तो जबरदस्ती मत करना…हम जानते हैं कि हमें कब खाना है और कब नहीं खाना…


अगर चलते हुए हमारी टांगे थक जाएं और लाठी के बिना हम चल न सकें तो अपना हाथ आगे बढ़ाना…


ठीक वैसे ही जब तुम पहली बार चलना सीखते वक्त लड़खड़ाए थे और हमने तुम्हे थामा था…

और जब हम एक दिन कहें कि और जीना नहीं चाहते और दुनिया को अलविदा कहना चाहते हैं…


हम पर गुस्सा मत होना…एक दिन तुम इसे ज़रूर समझोगे…

इसे सराहने की कोशिश करना कि हमने इतनी उम्र को जिया नहीं बचाए रखा है…


एक दिन तुम महसूस करोगे कि हमने अपनी गलतियों के बावजूद तुम्हारे लिए सदा सर्वेश्रेष्ठ ही सोचा…उसके लिए रास्ता बनाने की हर मुमकिन कोशिश की…

अब हमारे पास आने पर क्रोध, शर्म या दुख की भावना मन में मत लाना…हमें समझने और वैसे ही मदद करने की कोशिश करना जैसे कि तुम्हारे बचपन में हम किया करते थे…

हमें चलने में मदद करो…बाकी की ज़िंदगी हमें प्यार और गरिमा से जीने के लिए हमारा साथ दो…


हम तुम्हे मुस्कुराहट और असीम प्यार से जवाब देंगे, जो हमारे दिल तुम्हारे लिए हमेशा से रहा है…


बच्चे, हम तुमसे प्यार करते हैं….मॉम और डैड