आज से ‘आज़ादी की दूसरी लड़ाई’…खुशदीप

अन्ना हज़ारे दिल्ली के जंतर-मंतर पर आज सुबह दस बजे से आमरण अनशन पर बैठकर भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ निर्णायक लड़ाई शुरू करने वाले हैं…73 साल के अन्ना ने इस मुहिम को ‘आज़ादी की दूसरी लड़ाई’ नाम दिया है…इंडिया अंगेस्ट करप्शन के बैनर तले देश में लाखों लोग अन्ना के साथ जुड़ चुके हैं…इस आंदोलन को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन के मायने से सरकार भी अनजान नहीं है…तभी चाहती है कि किसी तरह अन्ना अपने अनशन को स्थगित कर दें…लेकिन अन्ना ने ऐलान कर दिया है कि जब तक सरकार लोकपाल बिल के मौजूदा स्वरूप में देश के लोगों की इच्छा के मुताबिक बदलाव नहीं करती उनका अनशन से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता…

 अन्ना पक्के गांधीवादी हैं…लेकिन वो भी मानते हैं कि सिर्फ गांधी के मार्ग पर चलकर ही भ्रष्टाचार को देश में जड़ से नहीं मिटाया जा सकता…इसके लिए छत्रपति शिवाजी का रास्ता भी अपनाना होगा…दरअसल देश में लोकपाल बिल 43 साल से लटका है…आठ बार संशोधन के बावजूद ये क़ानून नहीं बन सका…अन्ना का कहना है कि भ्रष्टाचारियों को सख्त सज़ा दिलवाने के लिए लोकपाल बिल का मौजूदा ड्राफ्ट कारगर नहीं है…इसके स्थान पर जन लोकपाल बिल लाया जाना चाहिए…इस जन लोकपाल बिल का मसौदा सामाजिक कार्यकर्ताओं और सरकारी नुमाइंदों की साझा कमेटी तैयार करे…फिर ये कमेटी जो सिफ़ारिश करे, उसे ही आखिरी मानकर कैबिनेट अपनी मंज़ूरी दे…ऐसा न हो कि सरकार फिर उस सिफ़ारिश पर विचार करने के लिए कोई नई कमेटी या मंत्रियों का ग्रुप गठित कर दे…

अन्ना जिस जन लोकपाल बिल की बात कर रहे हैं उसमें लोकपाल को अधिकार होगा कि वो मंत्रियों या सांसदों के खिलाफ शिकायतों की जांच बिना लोकसभा के स्पीकर या राज्यसभा के चेयरमैन की अनुमति लिए ही कर सके…


भ्रष्टाचार के लिए दोषी पाए जाने वाले नेताओं और अफसरों की संपत्ति बेच कर देश के नुकसान की भरपाई की जाए…

सरकार लोकपाल बिल के ड्राफ्ट में संशोधन के लिए तैयार होने की बात तो कह रही है लेकिन उसने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वो सामाजिक कार्यकर्ताओं का इस काम में सीधा दखल स्वीकार करेगी…सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के एक वर्कग्रुप ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन से संपर्क साधा है…साथ ही लोकपाल बिल के ड्राफ्ट में बदलाव के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार जानने की भी कोशिश की है…महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को भी अन्ना हज़ारे से संपर्क साधने के लिए कहा गया है…लेकिन अन्ना अपनी बात पर अटल हैं…

अब देखना है कि जंतर-मंतर पर कितने लोग अन्ना के साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए पहुंचते हैं…हमारे लिए देश को दीमक की तरह खा रहे भ्रष्टाचार से जंग लड़ना ज़रूरी है….या क्रिकेट की वर्ल्ड कप जीत के खुमार में डूबे रहना ही प्राथमिकता है…


अन्ना का साथ देने के लिए 47 साल पहले शकील बदायूंनी साहब का लीडर फिल्म के लिए लिखा ये गाना कितना सटीक बैठता है….

अपनी आज़ादी को हम हर्गिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं…

हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है,
सैकडों कुरबानियाँ दे कर ये दौलत पाई है,
मुस्कुराकर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियाँ,
कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो ये जन्नत पाई है,
खाक़ में हम अपनी इज्ज़त को मिला सकते नहीं…


अपनी आज़ादी को हम हर्गिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं…


क्या चलेगी जुल्म की एहल-ए-वफा के सामने,
आ नही सकता कोई शोला हवा के सामने,
लाख फौजे ले के आए अमन का दुश्मन कोई,
रुक नही सकता हमारी एकता के सामने,
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते  नहीं…


अपनी आज़ादी को हम हर्गिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं…


वक्त की आवाज के हम साथ चलते जायेंगे,
हर कदम पर ज़िंदगी का रुख़ बदलते जायेंगे
अगर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार-ए-वतन,
अपनी ताकत से हम उस का सर कुचलते जायेंगे,
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं,

अपनी आज़ादी को हम हर्गिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं…


हम वतन के नौजवान हैं, हम से जो टकरायेगा,
वो हमारी ठोकरों से खाक़ में मिल जायेगा,
वक्त के तूफ़ान में बह जायेंगे जुल्म-ओ-सितम,
आंसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहरायेगा,
जो शपथ बापू ने सिखलाया, वो भूला सकते नहीं…
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं…

अब सुनिए यही गाना…






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किलर झपाटा

मुझे बुद्धू बना रहे हो आप। कुछ अखबार शाम को ही आ जाते हैं जाम के साथ हा हा। उनसे बड़ा समाचार पत्र सवेरे आ सकता है क्या ?

Khushdeep Sehgal
14 years ago

किलर झपाटा जी,
मैं पोस्ट रात को लिखता हूं, और अखबार अगले दिन सुबह आता है…लेकिन मेरा तीसरा नेत्र इतना तेज़ है कि मैं अगले दिन छपने वाली हेडलाइन को एक दिन पहले ही पढ़ लेता हूं…अब क्या करूं इसका…

यार मेरे जैसे नाचीज़ पर वक्त खपाने की जगह कभी भ्रष्टाचार जैसे देश के ज्वलंत मुद्दों पर भी सोच कर कुछ प्रतिक्रिया दे दिया करो…

जय हिंद…

किलर झपाटा

अब आप अखबारों की हैड्लाइनें चुराकर पोस्टें लिखने लगे ! आपके ओवर का भी स्लॉग पीरियड आ गया लगता है, खुशदीप जी।

डा० अमर कुमार


तुमने यह पोस्ट बड़ी भावना से लिखी है, खुशदीप !
इसका निरादर नहीं करूँगा, पर स्थिति बड़ी निराशाजनक है ।
जिस देश और जिस माहौल में लोगों के लिये भ्रष्टाचार चटखारे की चर्चा बन कर रह गयी हो ।
लोकतँत्र की द्रोपदी, खड़ी बहाये नीर,
कृष्ण कमीशन माँगते, कौन बढ़ाये चीर !

जैसी लाइनें पढ़ कर कवि महोदय तालियाँ पिटवा कर अपना मानदेय लेकर चलते बनते हैं,
उपस्थित जनता लहालोट होकर ठहाके लगा रही हो, मानों कि यह स्थिति उनके मनोविनोद के हेत हो.. लोगों का खून सर्द हो गया है ! हम ही उम्हें सिंहासन पर बैठाते हैं, और गाते हैं..
यह कुर्सियों पर झपटते हैं बिल्लियों की तरह,
इन्हें तो ख़्वाब में भी छींका दिखायी देता है ।
जहाँ पर बैठ चुके हों पँत और नेहरू
वहीं पर आज घसीटा दिखाई देता है

उत्तरदायी कौन है ? जब तक आम जनता की सहभागिता ऎसे आन्दोलनों में न हो, कुछ होने जाने वाला नहीं है ।
श्री अन्ना हज़ारे जी का पूर्ण समर्थन करता हूँ, समर्थकों की सँख्या में इज़ाफ़ा करने को SMS भी भेज दिया, पर
जहाँ मतपेटियाँ लूट ली जाती हों, वहाँ ऎसे जनसमर्थन के क्या मायने ? आदरणीय द्विवेदी जी के सुझावनुसार यदि
हम भी ऋँखलाबद्ध उपवास रखें, तो क्या होगा ? यहाँ तो लोग भूख से ऋँखलाबद्ध तरीके से पहले ही मर रहे हैं ।
Who Cares ? आवश्यकता इच्छाशक्ति की है, डेढ़ दशक पहले का भ्रष्टतम देश हाँगकाँग की गिनती आज सबसे
ईमानदार देशों में होती है, आख़िर कैसे ?

शिवम् मिश्रा

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

इंक़लाब जिंदाबाद – जय हिंद !!

Sushil Bakliwal
14 years ago

अन्ना के समर्थन में आकंठ डूबे भ्रष्ट लोगों को छोडकर शेष सभी नागरिकों को पुरजोर समर्थन देना चाहिये ।

shikha varshney
14 years ago

हार्दिक शुभकामनायें आपको ..हर भारतीय को इसमें साथ देना ही चाहिए.

anshumala
14 years ago

मेरा विचार है की आम लोगो को भूखे रह कर नहीं बल्कि अपने आस पास हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध करके इस लड़ाई में अपना साथ दे सकते है | जरुरी नहीं की आप किसी बड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ ही लड़े आप अपने आस पास हो रहे किसी भी छोटे मोटे गलत कामो को, जो देश और समाज को नुकसान पहुंचा सकते है उसकी व्यवस्था बिगड़ सकते है, को करने से रोक सकते है चाहे वो प्लेटफार्म पर थूक कर उसे गन्दा करना हो या किसी का सिग्नल तोड़ कर जाना हो या ट्रैफिक पुलिस को रिश्वत लेते देखना हो आप सभी को टोक कर उसे ऐसा नहीं करने को कह कर भी इस तरह की मुहीम में साथ दे सकते है जब एक एक व्यक्ति देश के एक एक नियम का पालन करेगा , छोटी और खुद की जा रही गलतियों को रोकेगा तो किसी बड़े भ्रष्टाचार को देख कर वो खामोश नहीं रहेगा उसका विरोध करेगा और भ्रष्टाचार खुद ही धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा |

Unknown
14 years ago

दिल दिया जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए ….

jai baba banaras….

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

मैं तो यह भी कहूंगा कि यह बिल तो लाया ही जाये, इसके बाद काम कराने का अधिकार भी लाया जाये और फिर कोई भी कानून इसी प्रकार जनमत संग्रह के द्वारा बनाया जाये. लोकहित के मुद्दों पर जनमत संग्रह के द्वारा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिये जायें…

अजित गुप्ता का कोना

मैं तो प्रबल समर्थक हूँ क्‍योंकि मैं स्‍वयं 15 वर्षों से इस बिल के लिए लिख रही हूँ। अटलबिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि इस बिल में प्रधानमंत्री को भी शामिल किया जाए और राष्‍ट्रपति कलाम ने कहा था कि राष्‍ट्रपति को भी शामिल किया जाए। लेकिन इस बिल का पास न होना ही भ्रष्‍टाचार का सबसे बड़ा कारण है। अन्‍ना हजारे जी के नेतृत्‍व में यदि जन-क्रान्ति होती है तब यह बिल अवश्‍य पारित होगा और संशोधित स्‍वरूप में पारित होगा।

प्रवीण पाण्डेय

हार्दिक शुभकामनायें।

Satish Saxena
14 years ago

हार्दिक शुभकामनायें खुशदीप भाई !

Rakesh Kumar
14 years ago

आपके प्रेरणा और जोश से परिपूर्ण लेख के लिए बधाई.काश! सभी एकजुट हो भृष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ सकें.

वाणी गीत
14 years ago

उम्मीद का दीपक यूँ ही नहीं जला था …गांधीजी को सच्चा उत्तराधिकारी मिला …
आयोजन और प्रयास सफल हो …
बहुत शुभकामनायें !

दिनेशराय द्विवेदी

अन्न हजारे के समर्थन में देश भर में उपवास की श्रंखला आरंभ की जानी चाहिए।

अविनाश वाचस्पति

विश्‍व कप विजेता धोनी भाई से आग्रह किया जाये कि वे भी व्रत रखें। बहुत सकारात्‍मक परिणाम आयेंगे या वें भी यूं ही कप लूटकर ले गए हैं। कुछ तो उस जज्‍बे को गरिमा प्रदान करें।

honesty project democracy

64 वर्षों में एक भी भ्रष्ट मंत्री,प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति या अधिकारी को आजीवन कारावास या फांसी की सजा नहीं होना ही इस देश में चारो तरफ भयंकर अपराध,अराजकता,कुकर्म,शर्मनाक भ्रष्टाचार का कारण है तथा सभी हरामी व बेहया लोग राज्यसभा व लोकसभा में बैठें हैं…अन्ना जी के इस अभियान के बाद देश की इस बदसूरत तस्वीर के बदलने की आशा है….दिल दिया जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए ये अन्ना का नारा है और हमारा भी…आपका एकबार फिर धन्यवाद खुशदीप जी आजादी की इस दूसरी लड़ाई को ब्लॉग पोस्ट में जगह देने के लिए…..

Udan Tashtari
14 years ago

प्रत्येक सच्चे एवं स्वाभिमानी भारतीय को अन्ना का साथ देना चाहिये.

अन्ना, जिन्दाबाद!!!

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