15 अगस्त आ गया
है…आज़ादी का दिन…हम खुशकिस्मत हैं कि आज़ाद देश में जन्मे और जीवन में जो
बनना चाहा, उसके लिए हमें अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार अवसर मिले…समाज में
बिना किसी चुनौती के…बिना कोई तिरस्कार सहे…लेकिन सभी इतने भाग्यशाली नहीं
हैं…आपने कभी इसी देश में रहने वाले उस समुदाय के बारे में सोचा है, जिसके लिए
हाल तक किसी फॉर्म में जेंडर का कॉलम भरना ही टेढ़ी खीर था…
इसी
समुदाय का कोई सदस्य अगर अपनी पसंद का करियर चुनना चाहता है, उसके पास तमाम योग्यता
और क्षमता के साथ आगे बढ़ने का जज़्बा भी है लेकिन क्या उसके लिए रास्ता उतना ही
आसान होता है जितना कि हम तथाकथित सामान्य लोगों के लिए…हम खुद को सामान्य कैसे कह
सकते हैं अगर हम इस समुदाय (हिजड़ा या ट्रांसजेंडर्स) को खुशी के मौकों पर
नाचने-गाने के अलावा कहीं और देख ही नहीं सकते…
भला हो सुप्रीम कोर्ट
का जिसने 14 फरवरी
2014 को ऐतिहासिक फैसले
में इस समुदाय को थर्ड जेंडर की पहचान दी…यहीं नहीं सरकार
से इन्हें सामाजिक और आर्थिक
तौर पर पिछड़े समुदाय के तौर पर नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए भी कहा। लेकिन
सिर्फ कोर्ट के फैसले पर ही बात खत्म नहीं हो जाती…इस समुदाय को पूरा न्याय तब
मिलेगा जब समाज भी इनके लिए अपनी सोच को बदले…इस बात को समझे कि इस समुदाय को भी
सम्मान के साथ रहने का अधिकार है जितना कि मुझे और आपको…मेरा यही मानना है कि
नौकरियों और शिक्षा में अगर किसी को वास्तव में ही आरक्षण की ज़रूरत है तो इसी
समुदाय को है।
यथार्थ पिक्चर्स ने
12 अगस्त को यू-ट्यूब पर एक विडियो अपलोड किया है…एक बार इस विडियो को देखिए…यकीन
मानिए और कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं रह जाएगी….
(यू ट्यूव विडियो…आभार यथार्थ पिक्चर्स)