आंसू रोक कर दिखाओ इसे पढ़ने के बाद…खुशदीप

ये कहानी इंटरनेट से ही अंग्रेज़ी में मुझे किसी ने ई-मेल की है…ये कहानी अगर देश के हर इंसान को पढ़ा दी जाए, हर टीचर को पढ़ा दी जाए, हर बच्चे को पढ़ा दी जाए…मेरा दावा है इस देश की तस्वीर बदल जाएगी…

स्कूल का पहला दिन…ग्रेड पांच की क्लास में टीचर मिसेज मुखर्जी बच्चों से एक झूठ कह रही है…मैं तुम सब बच्चों से एक जैसा प्यार करती हूं…लेकिन ये कैसे मुमकिन हो सकता है…क्योंकि सबसे अगली लाइन में सिर झुकाए हुए रॉनी बैठा है…

मिसेज मुखर्जी देख रही थीं कि रॉनी और बच्चों के साथ न खेलता था, न ही मिक्स-अप होता था…उसके कपड़े भी सलीके से नहीं होते थे…देखते ही लगता था कि रॉनी को अच्छी तरह नहलाने की ज़रूरत है…. रॉनी को देखकर मिसेज मुखर्जी को यही लगता कि इस बच्चे को स्टडी में बहुत ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत है…

रॉनी के पेपर चेक होने के लिए आए तो मिसेज मुखर्जी ने सख्त टीचर की तरह मार्किंग करते हुए उन पर लाल पेन से बड़ा-बड़ा एफ ग्रे़ड (सबसे फिसड्डी) मार्क कर दिया…प्राइमरी सेक्शन की हेड होने के नाते मिसेज मुखर्जी को हर बच्चे की प्रोग्रेस पर नज़र रखनी थी…इसी प्रक्रिया में एक दिन मिसेज मुखर्जी के हाथ रॉनी के पिछली क्लासेज़ के रिकॉर्ड की फाइल भी लगी…जैसे जैसे फाइल पढ़ना शुरू किया, मिसेज मुखर्जी के चेहरे के भाव बदलते गए…

ग्रेड एक की क्लास टीचर ने लिखा था…रॉनी बेहद हंसमुख और प्रतिभावान बच्चा है…अपना काम बड़ी अच्छी तरह करता है…अच्छे संस्कार वाले रॉनी को पाकर कोई भी टीचर खुद को खुशकिस्मत समझ सकती है…

ग्रेड दो की क्लास टीचर ने लिखा था…रॉनी विलक्षण छात्र है…क्लॉस के सभी बच्चों की जान है…लेकिन कभी-कभी अपनी मां की बीमारी के चलते परेशान दिखाई देता है…दिखता है कि घर में ज़रूर रॉनी को दिक्कत का सामना करना पड़ता होगा…

ग्रेड तीन की क्लास टीचर ने लिखा…मां की मौत का रॉनी पर असर दिखने लगा है…वो अपना श्रेष्ठ दिखाना चाहता है लेकिन उसके पिता शायद पूरा ध्यान नहीं दे रहे…अगर रॉनी के बारे में कुछ विशेष न सोचा गया तो घर का माहौल रॉनी के अंदर के अच्छे छात्र को खत्म कर डालेगा…

ग्रेड चार की क्लास टीचर ने फाइल पर लिखा था…रॉनी गुमसुम रहने लगा है…न वो किसी दोस्त के साथ खेलता है और न ही बात करता है…अक्सर क्लास में सोता दिखाई देता है…

ये सब पढ़ने के बाद मिसेज मुखर्जी को अपनी गलती का अहसास होने लगा …मिसेज मुखर्जी को तब और भी ग्लानि हुई जब टीचर्स डे पर सब बच्चों ने खूबसूरत पैकिंग और रिबन से बंधे तोहफ़े लाकर उन्हें दिए और रॉनी ने एक सादे ब्राउन पेपर में लिपटी छोटी सी भेंट उनके आगे झिझकते हुए रखी.. मिसेज मुखर्जी ने पेपर को खोला तो उसमें से निकली दो चीज़ों को देखकर और सभी बच्चे हंसने लगे…पेपर से एक हाथ का कड़ा निकला, जिसके कुछ पत्थर टूटे हुए थे…साथ ही एक चौथाई भरी परफ्यूम की बॉटल थी…

मिसेज मुखर्जी ने बच्चों की हंसी को दबाते हुए फौरन कहा…ओह कितना प्यारा कड़ा है…ये कहते हुए मिसेज मुखर्जी ने कड़ा हाथ में डाल लिया…साथ ही परफ्यूम की बॉटल से हथेली और कपड़ों पर थोड़ा स्प्रे कर लिया…अलौकिक खुशबू जैसा चेहरे पर भाव दिया…रॉनी उस दिन स्कूल खत्म होने के बाद भी मिसेज मुखर्जी से ये कहने के लिए रुका रहा…मैम, आज आपसे मुझे मॉम जैसी खुशबू आई…

उस दिन रूम में आने के बाद मिसेज मुखर्जी की आंखों से एक घंटे तक आंसू झरझर बहते रहे…उसी दिन से मिसेज मुखर्जी ने बच्चों को रटाना, लिखाना और मैथ्स पढ़ाना छोड़ दिया…इसकी जगह मिसेज मुखर्जी ने बच्चों को ज़िंदगी पढ़ाना शुरू किया

रॉनी पर मिसेज मुखर्जी का खास ध्यान रहने लगा…जैसे जैसे मिसेज मुखर्जी रॉनी पर ज़्यादा वक्त देने लगीं, रॉनी के अंदर का प्रतिभावान छात्र लौटने लगा…जितना मिसेज मुखर्जी हौसला बढ़ातीं, उससे दुगनी रफ्तार से वो रिस्पांस देता…साल का आखिर आते-आते रॉनी क्लास के दस स्मार्ट और होशियार बच्चों में फिर गिना जाने लगा…मिसेज मुखर्जी के इस झूठ के बावजूद कि वो क्लास के सभी बच्चों को एक जैसा प्यार करती हैं…

एक साल बाद मिसेज मुखर्जी को अपने रूम के दरवाजे के नीचे कागज का नोट मिला…जिस पर रॉनी ने लिखा था…जितनी भी टीचर्स ने मुझे पढ़ाया, आप सबसे अच्छी हैं…

छह साल बाद फिर मिसेज मुखर्जी को रॉनी का एक नोट मिला…मैंने सेकंडरी स्कूल पूरा कर लिया है…क्लास में थर्ड पोज़ीशन रही है….और आप अब भी मेरी ज़िंदगी की सबसे अच्छी टीचर हैं…

चार साल बाद मिसेज मुखर्जी को रॉनी का फिर खत मिला…लिखा था…जल्दी ही कॉलेज से ऑनर्स के साथ ग्रेजुएट हो जाएगा और आप अब भी ज़िंदगी की सबसे अच्छी और पसंदीदा टीचर हैं…

तीन साल और गुज़र गए…फिर मिसेज मुखर्जी के पास रॉनी का खत आया…पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हो गई है…आप अब भी मेरी ज़िंदगी की सबसे अच्छी और पसंदीदा टीचर हैं…लेकिन इस खत के नीचे रॉनी का नाम कुछ लंबा लिखा हुआ था…रॉनी के रॉय, एमडी

कहानी यही खत्म नहीं हो जाती…उसी वसंत में मिसेज मुखर्जी को एक और खत मिला…लिखा था…मुझे एक लड़की का साथ मिला है और जल्दी ही दोनों शादी करने वाले हैं…रॉनी ने ये भी लिखा था कि उसके पिता का दो साल पहले निधन हो गया, इसलिए क्या मिसेज मुखर्जी शादी में उस जगह पर बैठना पसंद करेंगी, जहां लड़के की मां बैठती है…

मिसेज मुखर्जी ने वैसा ही किया जैसी कि रॉनी ने इच्छा जताई थी….और जानते है क्या…शादी वाले दिन मिसेज मुखर्जी आशीर्वाद देने पहुंची तो उनके हाथ में वही कड़ा था और उनके पास से उसी परफ्यूम की खुशबू आ रही थी जो बरसों पहले रॉनी ने तोहफे में मिसेज मुखर्जी को दिए थे…

रॉनी और मिसेज मुखर्जी एक दूसरे को देखने के बाद दस मिनट तक गले लगे रहे…बिना कुछ बोले…आंखों से छमछम बहता पानी ही सब कुछ बोल रहा था…बड़ी मुश्किल से रॉनी (डॉ रॉनी के रॉय, एमडी) मिसेज मुखर्जी के कान में बुदबुदा सका…शुक्रिया मॉम, मेरे ऊपर भरोसा करने के लिए…शुक्रिया मुझे अपनी अहमियत का अहसास दिलाने के लिए…और मुझे जताने के लिए मैं भी बदलाव ला सकता हूं…

मिसेज मुखर्जी ने रॉनी को और ज़ोर से गले लगाते हुए कहा…नहीं मेरे बच्चे…तुम जो कह रहे हो गलत कह रहे हो, उलटे तुम मेरे वो टीचर हो जिसने मुझे पढ़ाया कि मैं भी कुछ बदल सकती हूं…तुमसे मिलने से पहले तो मुझे पता ही नहीं था कि असल में पढ़ाया कैसे जाता है…



ये अनुवाद पूरा करने के बाद मेरी आंखे पूरी तरह नम हैं…शब्द पानी से धुले लग रहे हैं…सोच रहा हूं क्या मैं भी कहीं छोटा सा ही कोई बदलाव ला सकता हूं…आप क्या सोच रहे हैं…

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