नोस्टेलजिया कहिए या कुछ और मुझे बीते दौर के फोटोग्राफ बहुत आकर्षित करते हैं…और अगर पुराने वक्त को दर्शाती कोई मूविंग फिल्म मिल जाए तो कहना ही क्या…ऐसी ही एक फिल्म आपसे शेयर करना चाहता हूँ …ये फिल्म अस्सी साल पहले के जयपुर की है…फिल्म ज़ाहिर है ब्लैक एंड व्हाईट है लेकिन आठ दशक पहले की गुलाबी नगरी के हर रंग को बड़ी शिद्दत के साथ इसमें उकेरा गया है…पूरी फिल्म में इक्का-दुक्का मोटर वाहन ही नज़र आते हैं…पतलून में भी कोई भारतीय बड़ी मुश्किल से ही फिल्म में कही मिलेगा…एक और बात भी इस फिल्म में नज़र आएगी कि जानवर भी उस वक्त आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कितने अहम हिस्सा थे…एक जनाब ने तो तेंदुए को ही बाज़ार में खाट पर अपने साथ बिठा रखा है…
चलिए 1932 के जयपुर और आपके बीच मैं ज़्यादा देर नहीं रहता …जेम्स ए फिट्ज़पैट्रिक की बनाई इस फिल्म का आनंद लीजिए…
साभार: Fitzpatrick pictures
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद इसे साझा करने के लिए ।यह फिल्म मेरे लिए तो किसी तोहफे से कम नहीं ।बल्कि हर राजस्थानी इसे सहेजकर रखना चाहेगा ।त्रिपोलिया वाला दृश्य तो बिल्कुल अभी जैसा ही है।कबूतरों और बंदरों के झुण्ड अभी भी वैसे ही दिखते हैं।आमेर के दृश्य भी बिल्कुल आज जैसे ही लग रहे हैं।
एक बार फिर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद!
आपका धन्यवाद. यह शायद ढूँढने से भी ना मिले… आपने सहज ही साझा किया..
आभार
ज़ाहिर है खुशदीप जी प्रकृति से हमारा संसग टूट गया जिव जगत के प्राकृतिक आवास हम उजाड़ बैठे .अब तेंदुआ शहर में आता है शहरी भाग खड़े होतें हैं .
जानकारी :लेटेन्ट ऑटो -इम्यून डायबिटीज़ इन एडल्ट्स
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
डाउनलोड कर रही हूं, इससे हमेशा आनन्द लिया जाएगा। हमारा, प्यारा जयपुर। 40 वर्ष पूर्व की याद तो हमें भी है और आज तक आँखों में बसी है। सच जयपुर अनोखा है। यह दिल में बसता है।
हमने आपकी पोस्ट के द्वारा 1932 के जयपुर का मज़ा लिया अब आप स्कॉटलैंड यात्रा के भाग -2 का मज़ा भी लीजिये गा 🙂
really nostalgic.
वाह ..बहुत शुक्रिया इस वीडियो का ऐसा लगा जैसे टाइम मशीन से उस युग की सैर कर आये.
हर जगह भीड़ बढ़ती जा रही है, सौन्दर्य घटता जा रहा है।
जयपुर अब भी वैसा ही रंगभरा है। बस आबादी बढ़ गई है और जानवरों का स्थान मशीनों ने ले लिया है।