पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के मुंबई में आवास रहे जिन्ना हाउस पर मालिकाना हक किसका है, ये तय करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में 12 दिसंबर से सुनवाई शुरू हो सकती है…जिन्ना की इकलौती संतान उनकी बेटी डीना वा़डिया ने 2007 में जिन्ना की वारिस के नाते जिन्ना हाउस पर अपना दावा करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था…ढाई एकड़ में फैला जिन्ना हाउस मुंबई के पॉश इलाके मालाबार हिल्स में माउंट प्लेसेंट रोड (भाऊसाहेब हीरे मार्ग) पर स्थित है…इसी के सामने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास है…इसी से अंदाज़ लगाया जा सकता है कि मौजूद बाज़ार भाव के मुताबिक ये कितनी कीमती प्रॉपर्टी होगी…
पांच दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस पी बी मजूमदार की अगुवाई वाली बेच ने कहा कि इस केस को अब तार्किक नतीजे पर पहुंचना चाहिए…बेंच ने केस से जुड़ी सभी पार्टियों को दिसंबर के पहले हफ्ते तक अपने लिखित बयान कोर्ट में दाखिल कराने का आदेश दिया है…
डीना वाडिया की दलील है कि उनके पिता ने मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी…डीना वाडिया के मुताबिक भारत सरकार की वह अधिसूचना अवैध है जिसमें जिन्ना हाउस को इवेक्यूइ प्रॉपर्टी घोषित किया गया है…ऐसी प्रॉपर्टी जो विभाजन के वक्त पाकिस्तान गए लोग भारत में ही छोड़ गए थे…भारत सरकार अदालत को बता चुकी है कि वो जिन्ना हाउस को साउथ एशिया कल्चरल सेंटर में तब्दील करना चाहती है और किसी भी शख्स या संस्था को ये प्रॉपर्टी सौंपने के हक में नहीं है…
![]() |
मोहम्मद अली जिन्ना बेटी डीना के साथ |
डीना वाडिया के अलावा मोहम्मद राजाबल्ली इब्राहिम और शाकिर मोहम्मद इब्राहिम ने भी अदालत में अर्ज़ी देकर जिन्ना हाउस में हिस्सेदारी देने की मांग की है…ये दोनों खुद को जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना के वंशज बताते हैं…
जिन्ना ने इस प्रॉपर्टी को 1917 में खरीदा था और इटालियन मार्बल और अखरोट की लकड़ी से 1936 में दो लाख रुपये की लागत से इसका कायापलट किया था…यही 41 साल की उम्र में जिन्ना ने पारसी लड़की रतनबाई से शादी की थी…
देश के विभाजन से एक साल पहले जिन्ना और नेहरू ने इसी हाउस में वो ऐतिहासिक बातचीत की थी जो बंटवारे का आधार बनी…जिन्ना को इस जगह से बेहद लगाव था..उन्होंने नेहरू से इस जगह को किसी विदेशी दूतावास को सौंपने का आग्रह किया था…यहां 1948 से 1982 तक ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीश्नर का ऑफिस रहा…उसके बाद से ये जगह इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन्स के पास है…
मैंने 15 सितंबर 2010 को जिन्ना पर ही एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें जिन्ना की हिंदू जड़ों के बारे में बताया था…उसी पोस्ट को यहां रिपीट कर रहा हूं…
क्या आप जानते हैं कि स्वतंत्र भारत के जनक महात्मा गांधी की तरह ही पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की जड़ें भी सौराष्ट्र (कठियावाड़) से हैं..मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें मैंने पहली बार जाना है…जिन्ना के दादा का नाम प्रेमजी भाई ठक्कर था…वो कठियावाड़ के गोंडाल के पनेली गांव के हिंदू भाटिया राजपूत थे…अपने परिवार के गुजर-बसर के लिए प्रेमजी भाई ने तटीय कस्बे वेरावल में मछलियों का कारोबार शुरू किया…लेकिन जिस लोहाना समुदाय से प्रेमजी भाई आते थे, वहां मछलियों के धंधे को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था…लिहाज़ा प्रेमजी भाई को लोहाना समुदाय से बहिष्कृत कर दिया गया…
प्रेमजी भाई ने मछलियों के धंधे में खूब पैसा बनाया…इसके बाद उन्होंने फिर समुदाय में वापस आने की कोशिश की..मछलियों का धंधा भी छोड़ दिया…लेकिन प्रेमजी भाई को लोहाना समुदाय में वापस नहीं लिया गया…इस अपमान से सबसे ज़्यादा गुस्सा प्रेमजी भाई के बेटे पुंजालाल ठक्कर (जिन्ना के पिता) को आया…इस तिरस्कार की प्रतिक्रिया में ही पुंजालाल ठक्कर ने मुस्लिम धर्म अपना लिया…साथ ही अपने बेटों का नाम भी मुस्लिम धर्म के मुताबिक ही रख दिया…हालांकि पुंजालाल खुद के लिए गुजराती का ही अपना निकनेम ज़िनो ही इस्तेमाल करते रहे…ज़िनो का अर्थ होता है दुबला-पतला…पुंजालाल उर्फ ज़िन्नो ने कठियावाड़ से कराची आकर अपना ठिकाना भी बदल लिया…
पुंजालाल की शादी मिट्ठीभाई से हुई थी…दोनों की सात संतानों में से मोहम्मद अली जिन्ना सबसे बड़े थे… मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म कराची ज़िले के वज़ीर मेंशन में हुआ…स्कूल रिकार्ड के मुताबिक उनकी जन्मतिथि 20 अक्टूबर 1875 है…हालांकि जिन्ना की पहली बायोग्राफी लिखने वाली सरोजनी नायडू के मुताबिक जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को हुआ था….मोहम्मद अली ने ही अपने परिवार का सरनेम पिता के निकनेम पर जिन्ना कर दिया…जिन्ना 1892 में पढाई के लिए इंग्लैंड गए…
Related posts:
- US में बाप-बेटी की हत्या, क्या भारतीयों से बढ़ रही नफ़रत? - March 24, 2025
- नो वन किल्ड सुशांत सिंह राजपूत - March 23, 2025
- शैतान प्रेमी के साथ मिल पत्नी हो गई हैवान, पति की ली जान, फिर हिमाचल में जश्न - March 21, 2025
नई और अच्छी जानकारी मिली जिन्ना को लेकर….
इस सम्पत्ति को राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित होना चाहिए……
Udan Tashtari said…
जाते जाते जिन्ना जी इसे मेरे नाम कर गये थे दस रुपया के स्टैम्प पर लिख कर…आता हूँ प्रतिदावा लेकर जल्दी…आना ही पड़ेगा और क्या!!
जिन्ना तो मरने के बाद यही दफन होना चाहते थे।
जीते जी यह संपत्ति जिन्ना की थी और वे भारत छोड़ गए थे इस तरह इस संपत्ति को निष्क्रांत संपत्ति घोषित कर भारत सरकार को सौंप देना चाहिए जिस के पास वह वर्तमान में है। भारत सरकार तय करे कि उस का क्या उपयोग हो सकता है।
यह निर्णय बहुत पहले हो जाना चाहिए था। पर भारत देश की संघ और राज्य सरकारों की जय हो उन्हो ने न्याय व्यवस्था को इस लायक नहीं छोड़ा कि वह किसी विवाद से शीघ्रता से पल्ला न
जाते जाते जिन्ना जी इसे मेरे नाम कर गये थे दस रुपया के स्टैम्प पर लिख कर…आता हूँ प्रतिदावा लेकर जल्दी…आना ही पड़ेगा और क्या!!
ज्ञानवर्धन करता एक अच्छा आलेख..पसंद आई
बहुत जानकारी पूर्ण पोस्ट ।
इसे देखकर यही लगता है कि यह दुनिया किसी की ज़ागीर नहीं है । बस लोगों को समझ नहीं आता और लगे रहते हैं धन बटोरने में जैसे साथ लेकर ही जायेंगे ।
राष्ट्रीय सम्पत्ति होनी चाहिये जिन्ना भी तो यही चाहते थे ना तो फिर सोचना क्या।
Bahut hi achhi jankari di hai apne
जिन्ना के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला आपकी इस पोस्ट से.
जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए आभार खुशदीप भाई.
Jinna ki vasiyat ke hisab se bhi voh khud is ghar ko pariwar ko dene ki jagah kisi desh ki embassy ka office khulwana chahte the… Matlab voh khud bhi nahi chahte thhe ki yeh ghar unke pariwar ko miley..
यह संपत्ति तो अब राष्ट्र की ही होनी चाहिए.
प्रश्न जटिल हैं, न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा रहेगी।
सरकार इसे हथियाए और गरीबों के लिए फ़्लैट बना कर उन्हें देदे…या फिर कोई सरकारी हस्पताल ही बना दिया जाय जो सबके काम आये..
नीरज
बड़ी आवश्यक जानकरियां मिली इस पोस्ट से ….
पाकिस्तान के संस्थापक पहले हिन्दू थे, यह पहले नहीं पता था !
इस संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने का तरीका तलाशना चाहिए !
शुभकामनायें आपको !