अन्ना कृष्ण हो सकते हैं पांडव कहां से लाएं…खुशदीप

जिसका आगाह मैंने किया था, वही टीम अन्ना के साथ हो रहा है…सियासी तिकड़में अन्ना हज़ारे को घेरती जा रही हैं…मैंने बीच में आलोचना की कसौटी पर टीम अन्ना को रखकर कुछ लिखने की कोशिश की थी तो काफी कुछ सुनने को मिला था…वो ऐसा दौर था, जब मैं अन्ना हूं के शोर में कोई कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था…मैंने तब भी कहा था कि लोकतंत्र में माइवे या हाइवे के ट्रैक पर चलने से कभी मंजिल तक नहीं पहुंचा जा सकता…मैं अब भी इसी बात को दोहरा रहा हूं…

महाभारत की तरह आज कलयुग में युद्ध लड़ा जाना है…लेकिन यहां कौरव और कोई नहीं बल्कि भ्रष्टाचार, सत्तालोलुपता, नेताओं का अहंकार, कॉरपोरेट का लालच, भूख, गरीबी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, साम्प्रदायिकता, तालीम में भेदभाव, जातपात, किसानों की दुर्दशा, प्रांतवाद जैसे सौ दुश्मन है….इसके लिए किसी पार्टी विशेष पर हमला बोलने से ही बात बनने वाली नहीं…कांग्रेस जाएगी, दूसरी पार्टी आ जाएगी, सांपनाथ जाएंगे, नागनाथ आ जाएंगे…अन्ना कुछ करें न करें, कांग्रेस को तो उसका अहंकार ही ले डूबेगा…

अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि के सरपंच जयवीर सिंह मापारी और अन्ना के निजी सहायक सुरेश पठारे को दिल्ली बुलाकर युवराज राहुल गांधी से मुलाकात का वक्त न मिलना अपने आप में ही सब कुछ कह देता है…अब केरल के सांसद पी टी थॉमस सफाई देते फिर रहे हैं कि गफलत के लिए वो ज़िम्मेदार है…वो सही से कम्युनिकेट नहीं कर पाए…या तो राहुल जानबूझ कर नहीं मिले या फिर उनके सिपहसालार ही इतने नाकारा है कि किसी भी चीज़ को सही तरह से हैंडल नहीं कर पा रहे, सही तरह से मैसेज नहीं दे पा रहे और नतीजा कांग्रेस की पहले से ही गोता लगाती हुई छवि को भुगतना पड़ रहा है…अन्ना ने रालेगण के सरपंच को फौरन गांव लौटने को कहा है…लेकिन इसी बीच एक खबर ऐसी भी आ रही है कि अन्ना ने राहुल को रालेगण आकर खुद विकास कार्यों का जायज़ा लेने के लिए न्यौता भेजा है….अन्ना के भतीजे विनायकराव देशमुख ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में अन्‍ना की ओर से कहा, ‘अन्‍ना का संदेश साफ है कि राहुल का रालेगण में स्‍वागत है… अन्‍ना को नई पीढ़ी के नेतृत्‍व को लेकर राहुल से काफी उम्‍मीदें हैं…’ गौरतलब है कि विनायक राव महाराष्‍ट्र में यूपीए की बड़ी योजनाओं के क्रियान्‍वयन के कांग्रेस प्रभारी भी हैं… उन्‍होंने अन्‍ना हजारे के आरएसएस से संबंधों को भी सिरे से खारिज किया…हालांकि उन्‍होंने कहा कि हजारे को एनडीए के शासनकाल में राज्‍यसभा सीट की पेशकश की गई थी लेकिन उन्‍होंने ठुकरा दिया था…
अन्ना खुद रालेगण गांव के ही पद्मावती मंदिर के निकट एक वट वृक्ष के नीचे बैठे हैं और उनके मौन व्रत का मंगलवार को तीसरा दिन है…

अब फिर लौटता हूं अन्ना के श्रीकृष्ण की तरह युद्ध में सारथी होने पर…हिसार के नतीजों के बाद टीम अन्ना बहुत खुश है…जता रही है कि कांग्रेस उसके रोडमैप पर नहीं चली तो देश भर में जब भी चुनाव होंगे उसके अरमानों को हिसार की तरह ही कुचल दिया जाएगा…अब ये बात दूसरी है कि हिसार से बीजेपी के समर्थन से हरियाणा जनहित कांग्रेस के जो कुलदीप विश्नोई जीते हैं, वही टीम अन्ना को श्रेय देने के लिए तैयार नहीं है…टीम अन्ना की तरफ से भी विरोधाभासी संदेश जनता में जा रहे है…पहले अन्ना ने कहा था कि वो जनचेतना जगाने के लिए उन राज्यों का दौरा करेंगे जहां विधानसभा चुनाव होने हैं…अन्ना अब इसे टालकर मौनव्रत पर बैठ गए हैं…लेकिन अन्ना टीम के दो अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ज़रूर अब भी यूपी के दौरे पर निकले हुए हैं…अन्ना कह रहे हैं कि कांग्रेस जनलोकपाल बिल शीतकालीन सत्र में पास करा दे तो वो उसके बाद कांग्रेस का भी समर्थन करने के लिए तैयार है…

अन्ना टीम में पेंच प्रशांत भूषण को लेकर भी काफी दिखे…कश्मीर पर जनमत संग्रह संबंधी प्रशांत के बयान के बाद अन्ना के हावभाव ऐसे ही दिख रहे हैं कि वो प्रशांत को अपनी कोर कमेटी से बाहर का रास्ता दिखाने के हक़ में हैं…लेकिन अन्ना के बिना ही केजरीवाल, सिसौदिया नोएडा में कोर कमेटी की बैठक कर ऐलान कर देते हैं कि प्रशांत कोर कमेटी में बने रहेंगे…बैठक में किरण बेदी और प्रशांत भूषण विदेश में होने की वजह से हिस्सा नहीं ले सके…प्रशांत के पिता शांति भूषण ज़रूर बैठक में मौजूद रहे…अन्ना ने अब भी यही संकेत दिए हैं कि प्रशांत को टीम में रखने या न रखने पर विचार किया जाएगा…उधर जस्टिस संतोष हेगड़े भी कह चुके हैं कि हिसार में टीम अन्ना को कांग्रेस को वोट न देने की अपील से बचना चाहिए था…रामलीला मैदान पर बढ़-चढ़ कर दिखने वाली मेधा पाटकर दो दिन पहले श्रीनगर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट को हटाने के लिए रवाना होने वाली रैली को हरी झंडी दिखा रही थीं…

टीम अन्ना के ये कैसे पांडव है भाई जो पहले तो स्वघोषित तौर पर देश के कर्णधार होने का दावा कर बैठे और अब खुद ही अपनी ढपली, अपने राग वाले संकेत दे रहे हैं…कहीं राजनीति को निशाना बनाकर राजनीति को साधने की राजनीति ही तो टीम अन्ना के कुछ सदस्यों के मन में नहीं है…अगर ऐसा है तो फिर तो भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई का राम ही मालिक है…

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Unknown
13 years ago

आत्म चिंतन को उत्प्रेरित करता साथक आलेख….

अजित गुप्ता का कोना

जब भी कोई आन्‍दोलन होता है उसमें सभी प्रकार के लोग एकसाथ आते हैं लेकिन समय के साथ छंटनी भी होती है। जो वास्‍तव में इस आन्‍दोलन के साथ हैं वे शेष रह जाएंगे और जिनके राजनैतिक स्‍वार्थ कहीं और से सध रहे होंगे वे छिटक जाएंगे। अब इस जागृत युवाशक्ति को एक दिशा देने की आवश्‍यकता है नहीं तो यह अपना गुस्‍सा उतारेगी ही।

अजित गुप्ता का कोना

जब भी कोई आन्‍दोलन होता है उसमें सभी प्रकार के लोग एकसाथ आते हैं लेकिन समय के साथ छंटनी भी होती है। जो वास्‍तव में इस आन्‍दोलन के साथ हैं वे शेष रह जाएंगे और जिनके राजनैतिक स्‍वार्थ कहीं और से सध रहे होंगे वे छिटक जाएंगे। अब इस जागृत युवाशक्ति को एक दिशा देने की आवश्‍यकता है नहीं तो यह अपना गुस्‍सा उतारेगी ही।

राजन
13 years ago

समझदार हैं केजरिवाल

निर्मला कपिला

har baat se sahamat. koi door baithha anna ke kandhe par rakh kar bandook chala raha hai jise abhi koi dekh nahin paa raha lekin sach ek din samane aayegaa. ahnkar me hai annaa team . shubhakamanayen.

har baat se sahamat

सुरेन्द्र सिंह " झंझट "

बिलकुल सही लिखा है आपने….
अन्ना के पांडव अपनी''ढपली – अपना राग ''अलापने में जुटे हुए हैं | लगता है , अन्ना की पवित्र मंशा ही पीछे धकेलकर उनके सिपाही खुद सिपहसालार बन्ने की होड़ में लगे हैं | इनकी नहीं चलती वे अलग हो रहे हैं और जिनकी चल रही है वे अन्ना के बजाय अपनी ही चलाना चाहते हैं |

राजन
13 years ago

देखते हैं आगे क्या होता है.बेसिर पैर की बयानबाजियों ने अन्ना टीम का ज्यादा नुकसान किया है वर्ना वो बिल्कुल ठीक चल रहे थे.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

बहुत बढ़िया आलेख!
इसकी चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2011/10/672.html

वन्दना अवस्थी दुबे

देखते जाइये बस्स.

Atul Shrivastava
13 years ago

अच्‍छी और सटीक बातें की आपने।

सच है, भेडचाल ही है यहां।
लो इस पोस्‍ट को पढते वक्‍त तक केरजीवाल पर भी जूते चल गए।

प्रवीण पाण्डेय

सटीक अवलोकन।

Satish Saxena
13 years ago

देशनामा से एक और सारगर्भित लेख….
आभार आपका !

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

अन्ना केवल अन्ना हैं,
उनकी मिसाल न तो कृष्ण जी से ठीक है और न ही गांधी जी से।
जो आवाज़ उन्होंने उठाई है, वह बहुत ठीक है।
आदमी में और साथ के आदमियों में कमियां होती ही हैं।
सत्ता जनता की आवाज़ को दबाने के लिए तरह तरह की जितनी तिकड़में कर सकती है, कर रही है।
यही काम संजीव भट्ट जी के साथ भी किया जा रहा है।
यही काम स्वामी निगमानंद और बाबा रामदेव के साथ किया गया।
सरकार इस पार्टी की हो या उस पार्टी की बहरहाल सरकार है
और जनता इनके सामने लाचार है।

http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%85%E0%A4%9A_%E0%A4%9B_%E0%A4%B8%E0%A4%B5_%E0%A4%B2_%E0%A4%95_%E0%A4%AE_%E0%A4%B8_%E0%A4%B2

Gyan Darpan
13 years ago

जिन्हें अन्ना पांडव समझ साथ ले चल रहे थे उनमे ज्यादातर तो कौरव ही निकले|

anshumala
13 years ago

बहुत पहले किसी ने आप की पोस्ट पर टिपण्णी की थी वही कर रही हूँ कि नेता कहता है " मेरे जैसे नेता तो बन गए पर हमारे जैसा कमीनापन कहा से लाओगे "

मुझे तो लगता है की पांडव तो है बस कृष्ण की ही कमी है जो पांडवो को बताये की दुशमन कैसी कूटनीतिया चालबाजिया चल रहा है और उससे कैसे बचा जाये | कांग्रेस से अच्छा इस बात को कौन जान सकता है की फुट डालो और राज करो की नीति कैसे प्रयोग की जाती है अब तो वो उसके साथ उलझाने की नीति भी चल रही है | मुश्किल ये है की अन्ना टीम राजनीतिक तिकड़मो को ठीक से समझ नहीं पा रही है आगे बढ़ना है तो उसे ये सिखाना होगा इसके बिना आप कोई भी लड़ाई नहीं जीत सकते है | और मुझे नहीं लगता है की अभी उनके कोई राजनीतिक मनसूबे है अभी तो उन्होंने ठीक से एक लड़ाई भी नहीं जीती है | हा जितने के बाद कोई मंसूबा पाल ले तो ये बाद की बात है |

Unknown
13 years ago

intizaar…..

jai baba banaras…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

विवेक रस्तोगी

इतनी जल्दी सफ़लता पचती भी नहीं है, इसी का परिणाम है…

vandana gupta
13 years ago

विचारणीय आलेख्…………देखे जाइये क्या क्या होता है।

shikha varshney
13 years ago

यही तो सारी बात है.पर हमारे यहाँ तो आँखों पर पट्टी बांधकर बस भेड़ चाल में शामिल हो जाते हैं सब.

sonal
13 years ago

band mutthi laakh ki aur khul gai to khaak ki …anna ke paandavon ko samajh lenaa chaiye

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