लेखन की एक खास शैली
है…बेबाकी से अपनी बात सच सरासर सच कहना…ठेठ और अक्खड़ स्टाइल में…ये लेखन
सीधे दिल से निकला होता है, सोलह आने खरा होता है, इसलिए गहरी मार करता है…कलम
की रवानगी ऐसी होती है कि बस पूछो नहीं…एक बार कोई पढ़ना शुरू करता है तो फिर आख़री
फुलस्टॉप पर ही जाकर रुकता है…
है…बेबाकी से अपनी बात सच सरासर सच कहना…ठेठ और अक्खड़ स्टाइल में…ये लेखन
सीधे दिल से निकला होता है, सोलह आने खरा होता है, इसलिए गहरी मार करता है…कलम
की रवानगी ऐसी होती है कि बस पूछो नहीं…एक बार कोई पढ़ना शुरू करता है तो फिर आख़री
फुलस्टॉप पर ही जाकर रुकता है…
ब्लॉग जगत में ऐसा
24 कैरट लिखने वाले कई हैं…लेकिन मैं यहां दो ब्लॉगर्स का खास तौर पर नाम लेना
चाहूंगा…महफूज़ अली और अनिल पुसदकर….इसी कड़ी में ताज़ा एक और नाम जुड़ा
है…मोहम्मद अनस...इनके ब्लॉग का नाम है- नई डायरी…टैगलाइन है- मेरे हिस्से की दुनिया जो सबसे होकर गुज़रती है…
24 कैरट लिखने वाले कई हैं…लेकिन मैं यहां दो ब्लॉगर्स का खास तौर पर नाम लेना
चाहूंगा…महफूज़ अली और अनिल पुसदकर….इसी कड़ी में ताज़ा एक और नाम जुड़ा
है…मोहम्मद अनस...इनके ब्लॉग का नाम है- नई डायरी…टैगलाइन है- मेरे हिस्से की दुनिया जो सबसे होकर गुज़रती है…
मेरे लिए इस पोस्ट
लिखने का मकसद ही यही है कि मोहम्मद अनस को हिंदी ब्लॉग जगत से रू-ब-रू
कराना…फेसबुक पर जनाब का पहले से ही बहुत जलवा है…हाल ही में अनस ने ब्लॉगिंग
में दस्तक दी है…कुल जमा अभी तक तीन पोस्ट लिखी हैं…लेकिन इन तीन पोस्ट से ही
इन्होंने बता दिया है कि इनकी लेखनी क्या क़यामत ढा सकती है…
लिखने का मकसद ही यही है कि मोहम्मद अनस को हिंदी ब्लॉग जगत से रू-ब-रू
कराना…फेसबुक पर जनाब का पहले से ही बहुत जलवा है…हाल ही में अनस ने ब्लॉगिंग
में दस्तक दी है…कुल जमा अभी तक तीन पोस्ट लिखी हैं…लेकिन इन तीन पोस्ट से ही
इन्होंने बता दिया है कि इनकी लेखनी क्या क़यामत ढा सकती है…
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मोहम्मद अनस |
मोहम्मद अनस पर अभी
लौटता हूं, पहले जिस खास लेखन की बात कर रहा था, उसकी झलक महफूज़ अली और अनिल
पुसदकर भाई की इन दो पोस्ट के ज़रिए आप तक पहुंचा देता हूं…पुरानी पोस्ट हैं-
लेकिन आज भी वैसा ही मज़ा देती है जैसे कि पहली बार पढ़े जाने के वक्त दिया था…
लौटता हूं, पहले जिस खास लेखन की बात कर रहा था, उसकी झलक महफूज़ अली और अनिल
पुसदकर भाई की इन दो पोस्ट के ज़रिए आप तक पहुंचा देता हूं…पुरानी पोस्ट हैं-
लेकिन आज भी वैसा ही मज़ा देती है जैसे कि पहली बार पढ़े जाने के वक्त दिया था…
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महफूज़ अली |
महफूज़ अली-
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अनिल पुसदकर |
अनिल पुसदकर-
अब ये इस तरह के
लेखन का कमाल ही है कि महफूज़ और अनिल भाई की हिंदी ब्लॉगिंग में हमेशा ज़बरदस्त
फैन-फॉलोइंग रही है…
लेखन का कमाल ही है कि महफूज़ और अनिल भाई की हिंदी ब्लॉगिंग में हमेशा ज़बरदस्त
फैन-फॉलोइंग रही है…
अब आता हूं मोहम्मद अनस पर…मेस्मेराइज़ कर देने वाले इनके
लेखन की ये बानगी देखिए…
लेखन की ये बानगी देखिए…
“जब छोटा था तो
सबसे ज्यादा घबराहट जिस चीज़ से होती थी वह थी स्कूल जा कर आठ घंटे एक ही बेंच पर ,एक ही कमरे में ,एक ही ब्लैकबोर्ड को देखना . पांच साल का हो गया तो सजा धजा ,काजल पाउडर और सर में पचास ग्राम तेल चपोड़ घर में
काम करने वाले दस्सू चच्चा इलाहबाद मांटेसरी स्कूल छोड़ आते ।पढ़ता कम और रोता
ज्यादा था इसलिए क्लास से बाहर निकाल प्ले ग्राउंड भेज दिया जाता ।लेकिन स्कूल के
टीचर जल्दी ही समझ गए की लड़का पहुंचा हुआ है ,रोज़ रोज़ का नाटक है इसका न पढ़ने का।”
सबसे ज्यादा घबराहट जिस चीज़ से होती थी वह थी स्कूल जा कर आठ घंटे एक ही बेंच पर ,एक ही कमरे में ,एक ही ब्लैकबोर्ड को देखना . पांच साल का हो गया तो सजा धजा ,काजल पाउडर और सर में पचास ग्राम तेल चपोड़ घर में
काम करने वाले दस्सू चच्चा इलाहबाद मांटेसरी स्कूल छोड़ आते ।पढ़ता कम और रोता
ज्यादा था इसलिए क्लास से बाहर निकाल प्ले ग्राउंड भेज दिया जाता ।लेकिन स्कूल के
टीचर जल्दी ही समझ गए की लड़का पहुंचा हुआ है ,रोज़ रोज़ का नाटक है इसका न पढ़ने का।”
पूरी पोस्ट इस लिक पर पढ़ी जा सकती है-
इसके अलावा अनस ने
दो और पोस्ट लिखी हैं-
दो और पोस्ट लिखी हैं-
अगर आप सिर्फ़ एक बार अनस को पढ़ लेंगे तो इनके बारे में कुछ और कहने की गुंजाइश ही ख़त्म हो जाएगी…फिर मेरी तरह आपको भी इनका लिखा पढ़ने की लत लग जाएगी…
(नोट- मोहम्मद अनस से पहले
मैं मनसा वाचा कर्मणा वाले राकेश कुमार जी का हिंदी ब्लॉग जगत से परिचय कराने का ज़रिया बना था…राकेश जी भगवदगीता, उपनिषद, रामायण, भागवत आदि ग्रंथो की वैज्ञानिक आधार पर जिस तरह व्य़ाख्या करते हैं, उसने देश-विदेश में उनके असंख्य मुरीद बना दिए…अब मुझे उम्मीद ही नहीं पक्का यक़ीन है कि मोहम्मद अनस के लेखन को भी ऐसे ही हाथों-हाथ लिया जाएगा…)
Keywords:Mohammad Anas
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होली पर इस तरह की मिस्टेक तो …
होली पर इस तरह की मिस्टेक तो …
चलो जी एक से मिल आते हैं..एक से दिल दोबारा मिला कर आते हैं…औऱ एख को प्रणाम कर आते हैं…
आभार इस परिचय का …
बढिया है 🙂
रंगों का ये पर्व खूब मुबारक़ हो आपको…
क्या बात है!!!!
शुक्रिया मोनिका जी,
महफूज़ और अनस दोनों के ही लेखन की बेबाकी बार-बार पढ़ने के लिए अपनी ओर खींचती है…
जय हिंद…
अनस भाई,
आप लंबी रेस के वो घोड़े हैं जो रेस में शुरू से ही आगे हैं…कम से कम इतनी पारखी नज़र तो रखता हूं…
जय हिंद…
इस हौसला अफजाई का क़र्ज़ तभी चुकता होगा जब मैं आप सभी की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा .
वाकई चंद्र प्रकाश जी,
आपने सही कहा- यह एक नए तरह का लेखन है बिल्कुल ताज़गी भरा, गुदगुदाता और ईमानदारी भरा…थोड़ी सी मिस्टेक है- आपने जिस लेख का ज़िक्र किया है, वो महफूज़ ने लिखा है…लेकिन आप अनस को पढ़ते हैं तो वहां भी…कुछ हट के…वाली बात दिखती है…
जय हिंद…
तीनों ही अलग अलग फ्लैवर के और फ्लैवर भी ऐसा कि कोई नाम ही नहीं सूझेगा । तो फिर इनका नाम को ही फ्लैवर का नाम दे देते हैं । मजा आया खासकर मोहम्मद अनस (साला! मालूम कैसे चलेगा कि मुसलमान है? ) को पढ़ कर । शुरू में एक बारगी लगा कि दिलो-दिमाग में तनाव देने वाले किसी मसायल का जिक्र होगा लेकिन पढ़ने के बाद जनाब को सलाम करने को मन ने कहा । यह एक नए तरह का लेखन है बिल्कुल ताज़गी भरा, गुदगुदाता और ईमानदारी भरा ।
आभार …महफूज़ जी के लेखन से परिचय है … और अभी पढ़ते हैं ….
सुशील जी,
महफूज़ और अनिल भाई तो पहले से ही दिग्गज़ है…अनस ब्लॉगिंग में बेशक नए हैं, लेकिन हैं लेखनी के जादूगर…उन्हें भी ज़रूर पढ़िएगा…
जय हिद…
शुक्रिया प्रवीण भाई,
आप जैसे पारखी को पढ़ कर ज़रूर अच्छा लगा होगा…
जय हिंद…
सतीश भाई,
मुझे मोहम्मद अनस के लेखन की सच्चाई और रवानगी ने बहुत प्रभावित किया…
जय हिंद…
महफूज को हमेशा पढ़ता हूँ । अनिल को नहीं पढ़ा है अभी तक अब से पढूँगा 🙂
परिचय का आभार, पढ़ते हैं जाकर।
परिचय के लिए आभार आपका !!