आज दो अक्टूबर है…दो हस्तियों का जन्मदिन…एक सत्य का पुजारी…दूसरा ईमानदारी की मिसाल…एक गांधी, दूसरा शास्त्री…इस पावन दिन पर मैं अपना गुनाह कबूल कर अपने दिल का बोझ हल्का कर रहा हूं…औरों... Read more »
(ये व्यंग्य मैं दोबारा पोस्ट कर रहा हूं…क्योंकि ब्लॉगवाणी के ब्लैक आउट के दौरान स्वाभाविक है, हर किसी का ध्यान ब्लॉगवाणी के दोबारा शुरू होने पर ही था…इसलिए किसी विषय पर ध्यान... Read more »
ब्लॉगवाणी के विराम लेने से पहले आपने गौर किया होगा कि ब्लॉगवाणी के साइड लिंक्स में ये सूचनाएं चलती रहती थीं कि ब्लॉगवाणी को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा... Read more »
मैंने 12 बजे रात को बम फोड़ने का वादा कर रखा था…लेकिन ब्लॉगवाणी वालों ने पहले ही बम फोड़ दिया…मेरा बम तो सुतली बम होता लेकिन ब्लॉगवाणी ने असल में ही धमाका... Read more »
अभी जख्म ताजा हैं…जब पास्ट हो जाएंगे…खुश पोस्ट तब ही लिखी जाएगी…तब ही भरपूर हिम्मत आएगी…ये टिप्पणी अविनाश वाचस्पति जी ने मेरी पोस्ट…इक दिन चलणा…पर भेजी…अविनाश जी समेत जिनकी भी प्रतिक्रियाएं मेरी... Read more »
जिंद मेरिए मिट्टी दी ए ढेरिए, इक दिन चलणा…(जीवन माटी की एक ढेरी है, एक दिन चलना है)….ये शबद मेरे कानों में गूंज रहा है…साथ ही ये सवाल मेरे ज़ेहन में, कि... Read more »
राजनीति के आदिगुरु चाणक्य ने करीब दो हजार साल पहले अपने शिष्य चंद्रगुप्त को राजनीति का पहला पाठ पढाया था तो खीर भरी थाली का सहारा लिया…पाठ ये था कि थाली के... Read more »
देवा रे देवा…यहां भी राजनीति…ब्लॉगिंग के शैशव-काल में ही कदम-कदम पर उखाड़-पछाड़ की शतरंज…मोहरे चलाने वाले परदे के पीछे…और मोहरे हैं कि कारतूस की तरह दगे जा रहे हैं…ठीक वैसे ही जैसे... Read more »
रहिओअइउउउउफऱऱखथछठठ ऩजिसे खोजने के लिए इंसान न जाने कब से मरा जा रहा था…जिसे अमेरिका जैसी स्पेस सुपरपॉवर सारे घोड़े (सॉरी स्पेस शटल) दौड़ाने के बाद भी नहीं ढूंढ सकी, उसे निशांत... Read more »
आओ…आओ…देखो निशांत ने मेरा नाम चोरी कर लिया…ऊं…ऊं..ऊं..ऊं…मैं नहीं बस…मैं नहीं…मैं नहीं मानता…पहले सारे निशांत को डांटो… कुश-बबली-खुशदीप-अनूप-रचना प्रकरण से उठते सवाल टाइटल देकर अपनी पोस्ट हिट करा ली…मेरे फंडे इस्तेमाल किए... Read more »